डेंगू मरीजों की संख्या 49 तक पहुंची, 2.45 लाख मच्छरदानियां बंटना है जनवरी 2024 तक ही हो पाएगा

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रतलाम। मानसून की विदाई हो गई है, लेकिन गड्ढों और पोखरों में जमा पानी में मच्छरों का लार्वा पनप रहा है। इसके चलते डेंगू के मामले बढ़ने लगे हैं। इससे बचाव के लिए जिले में मलेरिया, डेंगू प्रभावित इलाकों में वितरण के लिए 2.45 लाख मच्छरदानियां एक सप्ताह में मलेरिया विभाग को मिलने की संभावना है, लेकिन Code of conduct के चलते इनका वितरण अब जनवरी 2024 तक ही हो पाएगा।

3.30 लाख मच्छरदानियां बंटना है
जिले में मलेरिया के मरीजों की संख्या कम हो रही है, लेकिन डेंगू के मरीजों को लेकर स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट है। इस वर्ष अभी तक कुल 55 मामले आए हैं, इनमें से 49 मरीज रतलाम जिले के और शेष छह जिले के बाहर के हैं। उज्जैन संभाग में कुल 3.30 लाख मच्छरदानियां का वितरण होना है। इसमें सर्वाधिक संख्या रतलाम जिले की है। मलेरिया विभाग ने मत्स्य विभाग से एक लाख गंबूसिया मछलियों की मांग भी की है।

अभी छोटे गड्ढों में तो दवाई छिड़ककर लार्वा नियंत्रण किया जा रहा है, लेकिन बड़ी जल संरचनाओं के लिए गंबूसिया मछली ही मददगार सहायक होती हैं। ये मछलियां मलेरिया, डेंगू के मच्छरों के लार्वा को खा जाती हैं। मलेरिया विभाग व नगर निगम अभी लगातार फागिंग करवा रहा है।

2018 में भी अटकी थी प्रक्रिया
वर्ष 2018 में भी 2.5 लाख मच्छरदानियां मिली थी, जिनका वितरण आचार संहिता हटने के बाद जनवरी 2019 में हो पाया था। इस बार भी ऐसे ही हालात हैं। खास बात यह है कि मच्छरों से बचाव के लिए नवंबर, दिसंबर माह में ही सर्वाधिक सावधानी रखना पड़ती है। ऐसे में आचार संहिता के ब्रेक के चलते लोगों को अपने स्तर पर ही इंतजाम करना पड़ेंगे।

ऐसे तय की मच्‍छरदानियों की संख्‍या
विभाग एक मच्छरदानी की उम्र पांच साल मानता है। यह समय सीमा 2023 में पूरी हो गई है। ujjain संभाग के लिए 3.30 लाख मच्छरदानियां रतलाम में ही वेयर हाउस में रखी जाएंगी। उप स्वास्थ्य केंद्र को एक यूनिट मानकर मच्छदरदानियों की संख्या तय हुई है।

किसी उपस्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत एक हजार जनसंख्या है और वहां एक मरीज भी मलेरिया, डेंगू पाजीटिव मिला है तो पूरी जनसंख्या के मान से मच्छरदानियां दी जाती है। जिले के बिलपांक, बाजना, सैलाना, पिपलौदा, बर्डियागोयल, रतलाम शहर केंद्र पर वर्ष 2018 में मच्छरदानियों का वितरण किया गया था।

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