जलती बस से 5 महीने के बेटे को खिड़की से उछाला, लेकिन पत्नी को नहीं बचा पाया, बेटी लापता

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बस में आग लगने के मामले में दो लोगों के मौत हुई है। कुछ लोगों को सफदरगंज भेजा गया है। अन्य लोगों का सिविल अस्पताल और मेदांता में इलाज चल रहा है। आग लगने के कारणों की तलाश की जा रही है। केस दर्ज कर लिया गया है।

स्लीपर बस में लगी आग
हम उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जा रही भरी स्लीपर बस से रथ शहर में दिवाली मनाने जा रहे थे। मेरी पत्नी ने दीपाली (5)को उठाया हुआ था और मैंने अपने बेटे को पकड़ा हुआ था। मेरी सबसे बड़ी बेटी अलका (7) हमारे बगल में बैठी थी। अचानक बस में धुआं भर गया और हमारा दम घुटने लगा। मैंने देखा कि लोग बस की खिड़कियां तोड़ने की कोशिश कर रहे थे। मैंने भी अपने टिफिन बॉक्स से एक खिड़की तोड़ दी। मैंने अपने बेटे को पकड़ने के लिए बाहर के लोगों को बुलाया और उसे खिड़की से बाहर फेंक दिया। मुझे नहीं पता था कि उसे और कैसे बचाया जाए। जले हुए चोटों के साथ मैं भी बस से बाहर निकला, लेकिन मैं अपनी पत्नी माया को नहीं बचा पाया। ये बताते हुए दिनेश फूट-फूट कर रोने लगा।

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हमारे सहयोगी टीओआई से बातचीत करते हुए दिनेश ने बताया कि कई दर्दनाक घंटों के बाद वो हिल गया और थका हुआ था। इस दौरान उसकी छोटी बेटी की गलत पहचान माया के अलावा त्रासदी में मरने वाले दूसरे व्यक्ति के रूप में की गई थी। जब उसे पहचान के लिए बुलाया गया, तो उसने पुलिस को बताया कि दीपाली सिर्फ पांच साल की थी। दूसरे शव की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है। शव परीक्षण से पता चला कि उसकी उम्र 20 से 25 वर्ष के बीच होगी। इस बीच, दीपाली लापता है। उन्होंने कहा कि उन्होंने जो शव दिखाया वह मेरी बेटी का नहीं था। वह कहीं बाहर है। वह सिर्फ एक बच्ची है। उसे डर लग रहा होगा। दिनेश ने कहा कि मुझे नहीं पता कि उसे क्या हुआ है। वहीं मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. वीरेंद्र यादव ने बताया कि हमने रिपोर्ट और दिनेश की बड़ी बेटी से एकत्र किए गए डीएनए नमूने को आगे की जांच के लिए पुलिस को भेज दिया है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. वीरेंद्र यादव ने कहा कि दूसरा मृतक बच्चा नहीं हो सकता है, क्योंकि शव एक वयस्क महिला का है।

गुरुग्राम के सेक्टर-12 ए से उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जा रही यात्रियों से भरी स्लीपर बस में बुधवार रात 8:30 बजे अचानक आग लग गई थी। आग में झुलसने से दो की मौत हो गई। 30 से अधिक लोग फंस गए, जिसमें काफी लोग झुलस गए व अधिकतर लोग जान बचाने के दौरान बस से कूदने पर जख्मी हो गए। 13 लोगों को सिविल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है, जिसमें एक दंपती को हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया गया। जबकि 16 लोगों की हालत गंभीर नहीं होने पर उनकी मरहम पट्टी कर व दवाएं देकर घर भेज दिया गया। पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। आग लगने के कारणों का पता नहीं लग सका है।

बस में सवार से 50 से अधिक लोग
बस में सवार यात्रियों के अनुसार अरुणाचल प्रदेश नंबर की बस में सेक्टर-21 ए स्थित चौक से बुधवार शाम उत्तर प्रदेश, झज्जर, गुरुग्राम, मध्यप्रदेश आदि जगहों पर जाने के लिए 50- 60 लोग सवार हुए थे। हमीरपुर तक के लिए एक सवारी से 650 रुपये किराया लिया गया था। बस को सोहना, पलवल, मथुरा होते हुए हमीरपुर तक जाना था। बस में काफी संख्या में बच्चे व महिलाएं सवार थे। बस जब 32 माइल्स स्टोन के पास पहुंची कि बस के पिछले हिस्से में यात्रियों को धुआं दिखा और गर्माहट महसूस होने लगी। देखते ही देखते बस आग की लपटों से घिर गई।

फ्लाईओवर पर रोकी बस
यात्रियों के शोर मचाने पर ड्राइवर ने बस को फ्लाईओवर पर साइड के लगाकर रोक दिया। बस को आग की लपटों से घिरा देखकर वहां से गुजर रहे लोगों ने गाड़ियों को ब्रेक लगा, बस में फंसे लोगों को निकालने का प्रयास किया। वहीं बस में चीख पुकार मच गई और लोग मदद की गुहार लगाने लगे। अपनी जान बचाने के लिए यात्री आग की लपटों से घिरी बस की खिड़कियों व दरवाजे से कूद गए। आनन फानन लोगों ने फायर ब्रिगेड और पुलिस को सूचना दी। यहां से गुजर रहे राहगीरों ने फायर ब्रिगेड के साथ मिलकर आग बुझाने में मदद की।

13 यात्री सिविल हॉस्पिटल में भर्ती
बस में आग लगने की खबर पर पुलिस उपायुक्त विकास अरोड़ा मौके पर पहुंचे। वहीं उपायुक्त निशांत कुमार यादव व सिविल सर्जन डॉ़ वीरेंद्र यादव यात्रियों का इलाज कराने में जुटे। दिनेश, मिथलेश, राकेश कुमार, मुलायम सिंह, ठाकुर दास, हर्ष, अक्का, धर्मेंद्र, काली चरण, प्रवीन,हेमलता, प्रीति, दिनेश को सिविल हॉस्पिटल के इमरजेंसी वॉर्ड में भर्ती किया गया। इनमें मिथलेश व उसके पति हरीश को हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया गया। पीएमओ जयमाला ने बताया कि 40 फीसदी से अधिक जले मरीज़ को रेफर किया गया।

16 मरीज़ों को दवा देकर घर भेजा
आग लगी बस में सवार शीला, लवकेश, ईश्वा दास, आशीष, ओमप्रकाश, साक्षी, निर्मला, राम कुमार, बबलू, करिश्मा, महेंद्र, आर्यन, सचिन, नंदनी, पूनम, हसन को मामूली चोंटें व बहुत कम झुलसा होने के कारण डॉक्टर्स ने मरहम पट्टी करने के साथ दवा देकर घर पर भेज दिया। काफी संख्या में मरीजों के पहुंचने पर सभी स्पेशलिस्ट को रात में ही हॉस्पिटल बुलाया गया और मरीजों को भर्ती करने के लिए तुरंत ही 10 बेड तैयार किए गए।

पुलिस ने दर्ज की शिकायत
हमीरपुर गांव के राठ निवासी दिनेश ने सेक्टर-40 थाना पुलिस को बताया कि वह झज्जर में मजदूरी का काम करता है। वह अपनी पत्नी माया, भाई महेंद्र, सचिन, बेटी अलका, दिपाली व बेटे दरमेश के साथ बस में सवार होकर गुड़गांव से अपने गांव जा रहा था। बस में अचानक पीछे की तरह से एक दम काफी धुआं निकला और अचानक बस में आग लग गई। फिलहाल दिनेश का कहना है कि उसकी बेटी दिपाली (5) का पता नहीं लग सका है।

 

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