आदिवासियों के मन में क्या? 47 आदिवासी सीटों पर बंपर वोटिंग
29 सामान्य सीटों पर भी आदिवासी वोटरों की निर्णायक भूमिका
हर बार बदलते रहे समीकरण, दोनों ही दलों के अपने-अपने दावेकी कोशिश की है। 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 30, भाजपा के 16 और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने चुनाव जीता। 2008 में आदिवासी मतदाताओं ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया और पार्टी 29 सीटों पर चुनाव जीती। 2013 में भी आदिवासियों ने भाजपा का साथ दिया और दो सीट की वृद्धि के साथ 31 सीटों पर पहुंच गई। प्रदेश में आरक्षित 47 सीटों के अलावा 29 सामान्य सीटों पर भी आदिवासियों का बड़ा प्रभाव है। बीते दो चुनावों में 47 आदिवासी सीटों में 26 पर वोटर का मन बदला। वहीं 12 सीटें भाजपा ने बरकार रखीं तो कांग्रेस की ऐसी 9 सीटें थीं।
दो साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मप्र से ही हर साल राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस 15 नवंबर को मनाने की घोषणा की। इस बार भी चुनाव से ऐन पहले प्रधानमंत्री ने आदिवासियों के लिए कई बड़ी घोषणाएं कीं।
प्रदेश की शिवराज सरकार ने 89 जनजातीय ब्लॉक में पैठ बढ़ाने पेसा एक्ट और नायकों की प्रतिमाएं लगाने सहित आदिवासी वोट बैंक को लुभाने के लिए कई घोषणाएं की। 2018 में कांग्रेस ने इन सभी को मुद्दा बनाया तो सीधा फायदा पार्टी को मिला।
सबसे ज्यादा सिवनी में
सिवनी में 6,धार में 5, बड़वानी में 4, शहडोल, मंडला, झाबुआ, छिंदवाड़ा में 3, डिंडोरी, उमरिया, अनूपपुर, बैतूल, खंडवा, खरगोन, आलीराजपुर में 2, कटनी, हरदा, जबलपुर, बालाघाट , देवास, बुरहानपुर रतलाम में एक सीट है।
6 प्रतिशत तक बढ़ी वोटिंग का भाजपा को मिला था फायदा
2013 में आदिवासी सीटों पर 6% तो 2018 में 5% तक मतदान बढ़ा। 15 सीटें ऐसी हैं जहां वोटिंग बंपर हुई है। ऐसे में दोनों ही दल अपने-अपने दावे कर रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कटंगी, शहपुरा, सेंधवा, श्योपुर, आमला तो राहुल गांधी ने राजपुर, टिमरनी और प्रियंका गांधी ने कुक्षी जैसी आदिवासी सीटों पर प्रचार किया। चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने 22-22 गोंड, कांग्रेस ने भील-भीलाला के 9-9 और भाजपा ने भील 8 और भिलाला के 7 उम्मीदवारों को टिकट दिया।
भाजपा ने केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को भी मैदान में उतारा। भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर अमित शाह और शिवराज सिंह चौहान ने भी 30 से ज्यादा आदिवासी सीटों पर जाकर प्रचार किया। आदिवासी वोटर्स को लुभाने आचार संहिता से पहले 5 अक्टूबर को पीएम मोदी ने जबलपुर में गौंड राजवंश की महारानी दुर्गावती के 100 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले स्मारक की आधारशिला रखी।