हिंसा से भरी फिल्में,दिमाग को कैसे प्रभावित करती हैं
नई दिल्ली। बीते दिनों बॉलीवुड अभिनेता रणबीर कपूर की फिल्म एनिमल बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हुई।
सिनेमा घरों में दस्तक देने के साथ ही यह फिल्म देश ही नहीं दुनियाभर में चर्चा का विषय बन गई।
इस फिल्म को ज्यादातर लोगों ने काफी पसंद किया और इसकी जमकर तारीफ भी की। एक्शन प्रेमियों के लिए तो यह फिल्म किसी वरदान से कम नहीं थी।
हालांकि, कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्हें फिल्म में दिखाएं गए कई दृश्यों और इस्तेमाल किए गए डायलॉग्स से आपत्ति हुई।
ऐसे में इस को लेकर दर्शकों के दो खेमे बन गए, जिसके एक तरफ इसके समर्थक थे, तो वहीं दूसरी तरफ इसके विरोधी।
हालांकि, इस फिल्म का वास्तविकता से कोई संबंध नहीं था। पूरी तरह काल्पनिक इस फिल्म में एक्टर रणबीर कपूर एक ऐसे बेटे के किरदार में नजर आए, जो जीवनभर अपने पिता के प्यार और समय के लिए तरसते रहे और उन पर हुए जानलेवा हमले का बदला लेते नजर आए।
फिल्म में अपना बदला पूरा करते रणबीर जमकर वॉयलेंस करते नजर आए, जिसे देख कई लोग विचलित हो गए।
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मेंटल हेल्थ पर वॉयलेंस का असर
ऐसे में सवाल यह उठता है कि इस तरह की वॉयलेंट फिल्म देखकर आखिर लोगों को दिमाग पर क्या असर पड़ता है।
यह हिंसा लोगों की मेंटल हेल्थ को कैसे प्रभावित करती है, इस बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने तुलसी हेल्थकेयर, नई दिल्ली में मनोचिकित्सक और वरिष्ठ सलाहकार डॉ गौरव गुप्ता से बातचीत की।
आइए जानते हैं हिंसक फिल्मों का मानसिक स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
हिंसा और हिंसक फिल्मों,सीरीज या अन्य कंटेंट से मानसिक स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभाव के बारे में डॉक्टर बोलते हैं कि हिंसक फिल्में आपके दिमाग और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालती है।
उन्होंने आगे कहा कि ऐसे कई तरीके हैं, जिनसे हिंसक फिल्में देखना आपके मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है, जिनमें से कुछ निम्न हैं-
आक्रामक व्यवहार
जब लोग हिंसक फिल्में देखते हैं, तो यह उन्हें और अधिक आक्रामक बना सकती हैं।
हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि हर कोई हिंसक हो जाएगा, यह कुछ लोगों के व्यवहारों को प्रभावित कर सकता है।
डर की भावना
जो लोग इस तरह की फिल्मों, सीरीज या कंटेंट के प्रति संवेदनशील होते हैं, उनके लिए हिंसक दृश्य भय या चिंता की भावना को बढ़ा सकते हैं।
यह उनके दैनिक जीवन को अधिक तनावपूर्ण और चिंताजनक बना सकता है।
सहानुभूति की कमी
अगर आप बहुत सारी हिंसक फिल्में या टेलीविजन शो देखते हैं, तो अंततः आप हिंसा के प्रति कम संवेदनशील या भयभीत हो सकते हैं।
परिणामस्वरूप वास्तविक हिंसक कृत्यों के प्रति आपकी सहानुभूति कम हो सकती है।
बच्चों पर बुरा असर
यह संभव है कि बच्चे हिंसक फिल्मों के प्रभाव के प्रति अधिक संवेदनशील हों। ऐसे में इस तरह के कंटेंटे के प्रति एक्सपोजर मिलने से बच्चे का व्यवहार, भावनात्मक स्वास्थ्य और दृष्टिकोण प्रभावित हो सकता है।
बुरे सपने आने का कारण
हिंसक और ग्राफिक छवियां आपके दिमाग में रहने की क्षमता रखती हैं, जो कभी-कभी आपकी नींद में खलल डाल सकती हैं या बुरे सपनों का कारण बन सकती हैं।
यह आपके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है और नींद में कठिनाई पैदा कर सकता है।