रिम्स के प्रभारी निदेशक एवम नेत्ररोग विभागाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार गुप्ता सेवानिवृत
नेत्र विभाग द्वारा रिम्स ट्रॉमा सेंटर के सभागार में विदाई समारोह का आयोजन किया गया
RANCHI: रिम्स प्रभारी निदेशक व नेत्र विभागाध्यक्ष प्रो (डॉ) राजीव कुमार गुप्ता 27 वर्षों के अपने कार्यकाल के पश्चात आज सेवानिवृत हो गए।
बुधवार को नेत्र विभाग द्वारा ट्रॉमा सेंटर के सभागार में विदाई समारोह का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में डीन प्रो (डॉ) विद्यापति, चिकित्सा अधीक्षक डॉ हिरेंद्र बिरूआ, उपाधीक्षक कर्नल शैलेश त्रिपाठी, नेत्र विभाग के चिकित्सक डॉ सुनील कुमार, डॉ दीपक लकड़ा,
डॉ राहुल प्रसाद, अतिरिक्त निदेशक (प्रशासन) श्रीमति सीमा सिंह, नेत्र विभाग के कई पूर्व विभागाध्यक्ष, अन्य विभागों के फैकल्टी मेंबर, स्टाफ नर्स व कर्मचारी मौजूद थे।
डॉ गुप्ता ने रिम्स में एमबीबीएस के दिनों से लेकर नेत्र विभाग के कार्यकाल और निदेशक पद तक के अपने सफर से जुड़ी खट्टी मीठी यादें साझा की।
और सभी चिकित्सकों, सहभागियों, नर्स, कर्मचारियों और पोस्ट ग्रेजुएशन के छात्रों को कार्यकाल के दौरान प्राप्त समर्थन के लिए धन्यवाद किया।
मौके पर मौजूद सभी ने डॉ राजीव गुप्ता के नेत्र विभाग और निदेशक पद के कार्यकाल को सराहना की और उनके उज्जवल भविष्य और स्वस्थ्य जीवन की कामना की।
डॉ राजीव गुप्ता का सफर
डॉ आर के गुप्ता का जन्म पटना, बिहार में हुआ था।
1981 में राजेंद्र मेडिकल कॉलेज और अस्पताल से एमबीबीएस करने के पश्चात उन्होंने 1986 में दरभंगा मेडिकल कॉलेज से ओप्थलमोलोजी में एमएस किया।
मेडिकल की पढ़ाई पूर्ण करने के बाद वह कुछ समय तक रांची स्थित सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड में चिकित्सा अधिकारी के तौर पर कार्यरत थे।
1997 में सीनियर रेजिडेंट के तौर पर डॉ गुप्ता आरएमसीएच (अब रिम्स) से जुड़ने के बाद अब तक यहां अपनी सेवाएं दे रहे थे।
2017 में वह प्रोफेसर के पद पर पदोन्नत हुए और अक्टूबर 2021 से अब तक वह नेत्र विभाग के विभागाध्यक्ष के पद पर कार्यरत रहे।
6 जुन 2023 को उन्होंने रिम्स के प्रभारी निदेशक के तौर पर पदभार ग्रहण किया था।
सितंबर 2018 में रिम्स में आई बैंक और कॉर्नियल ट्रांसप्लांटेशन शुरू करने में डॉ गुप्ता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
रिम्स में अब तक 93 कॉर्नियल ग्राफ्टिंग सफलतापूर्वक की जा चुकी है।
इसके अलावा डॉ गुप्ता शुरुआत से ही चिकित्सा शिक्षा से जुड़े रहे थें।
उनके मार्गदर्शन में अब तक 36 स्नातकोत्तर छात्रों ने एम.एस. की डिग्री प्राप्त कर चुके हैं।
झारखंड पैरामेडिकल काउंसिल के वह सदस्य और पाठ्यक्रम समन्वयक भी हैं।
इसके साथ ही वे यूजी छात्रों के शिक्षण और नेत्र सहायकों के शिक्षण-प्रशिक्षण में शामिल रहे हैं।