नैनोटेक्नोलाजी और जीनोम एवं जेनेटिक्स दुर्लभ बिमारियों की पहचान के लिए अहम हिस्सा: रिम्स निदेशक
RANCHI: रिम्स में दुर्लभ बीमारी दिवस (Rare Disease Day) के अवसर पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए निदेशक रिम्स प्रो (डॉ) राज कुमार ने कहा कि हमें उन बीमारियों को अनकोड करना चाहिए जो दुर्लभ हैं क्योंकि सामान्य बीमारियों के असामान्य लक्षण, असामान्य बिमारियों के आम लक्षण होते हैं।
उन्होंने कहा कि नैनोटेक्नोलाजी और जीनोम एवं जेनेटिक्स दुर्लभ बिमारियों की पहचान के लिए
एक अहम हिस्सा है और इसका लाभ बिमारियों की पहचान और इसके उपचार में काफी मददगार है।
साथ ही उन्होंने कहा कि चिकित्सा की क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रशिक्षु चिकित्सकों में उत्सुकता, समर्पण और बुनियादी सिद्धांतो को जानने के भाव होना चाहिए तभी वह इस क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करेंगे।
उन्होंने जोर दिया कि शिक्षा की गुणवत्ता पर कोई भी समझौता नहीं होना चाहिए।
वहीं डॉ आर एन शर्मा, उप निदेशक सह नोडल पदाधिकारी, राज्य बाल स्वास्थ्य सेल ने कहा कि, “दुर्लभ बीमारी को ऑरफन डिजीज के नाम से भी जाना जाता है।
हम दुर्लभ बीमारियों से अपरिचित हैं इसलिए इस क्षेत्र में अनुसंधान की भी कमी है।
उम्मीद है कि निकट भविष्य में इन दुर्लभ बिमारियों का बेहतर निदान और उपचार हो सकेगा और साथ ही इन दुर्लभ बिमारियों के विषय में लोगों में जागरूकता भी आएगी।
डॉ विद्यापति ने कहा कि दुर्लभ बीमारियों को समझने में यह सेमिनार और CME सभी के लिए काफी मददगार साबित होगा।
वहीं डॉ हीरेन्द्र बिरुआ ने बताया की रिम्स में हमने एक दुर्लभ बीमारी का इलाज शुरू कर दिया है।
दुर्लभ बीमारियों के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए फरवरी महीने के आखिरी दिन दुर्लभ बीमारी दिवस हर मनाया जाता है।
इसका मुख्य उद्देश्य चिकित्सकों, शोधकर्ताओं और आम जनता को दुर्लभ बीमारियों के प्रति जागरूक करना है।
दुनिया भर में 30 करोड़ से अधिक लोग दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित हैं और लगभग 7 से 8 हज़ार अधिसूचित दुर्लभ रोग हैं।
कम समझ और कम चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध होने के कारण इनसे पीड़ित लोग समाज में उपेक्षित जीवन जीते हैं।
दुर्लभ बीमारियों के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है।
कार्यक्रम में डीन प्रो (डॉ) विद्यापति, चिकित्सा अधीक्षक प्रो (डॉ) हीरेन्द्र बिरुआ,
राज्य बाल स्वास्थ्य सेल के नोडल पदाधिकारी डॉ आर एन शर्मा, शिशु रोग विभागाध्यक्ष प्रो (डॉ) राजीव मिश्रा, डॉ पार्था चौधरी,
जीनोम एवं जेनेटिक्स विभागाध्यक्ष डॉ अनूपा प्रसाद, RDIF के अध्यक्ष सौरभ सिंह, रिम्स के वरीय-कनिष्ठ चिकित्सक और छात्र इस मौके पर मौजूद थे।