लंबे संघर्ष एवं रक्त रंजित आंदोलनों से गुजर कर हम सब ने अलग झारखंड राज्य पाया: आजसू सुप्रीमो

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झारखंड नवनिर्माण का संकल्प समागम

सुदेश बोले, झारखंडी सपनों को साकार करने का संकल्प

उत्साह और उल्लासपूर्ण माहौल में आजसू का महाधिवेशन  शुरू

झारखंड आंदोलनकारियों को किया गया सम्मानित

RANCHI: झारखंड आंदोलन के कोख से जन्मा तथा झारखंड के सपूतों के शहादत एवं बलिदान से सिंचित आजसू पार्टी शहीदों के सपनों तथा झारखंड के युवाओं, किसानों, मजदूरों, वंचितो और अल्पसंख्यकों एवं महिलाओं के आकांक्षाओं एवं अरमानों के लिए संघर्ष करने वाला एक राजनीतिक संगठन है।

वर्ष 2000 से आजसू पार्टी एक राजनीतिक दल के रूप में झारखंड के लोगों के बुनियादी जरूरतो, सामाजिक सरोकारों आर्थिक उन्नति, राजनैतिक चेतना, सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण एवं संवर्धन तथा उनके हक अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही है।

ये बातें आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो ने कही। रांची के मोराबादी मैदान स्थित बिरसा मुंडा परिसर में आजसू की तीन दिवसीय महाधिवेशन आज से शुरू हुआ है।

आजसू प्रमुख ने कहा है कि लंबे संघर्ष एवं रक्त रंजित आंदोलनो से गुजर कर हम सब ने अपने एक अलग झारखंड राज्य पाया।

सन 2000 में झारखंड के जन्मोत्सव पर खूब जश्न मना ढोल और नगाड़ों की आवाज से जंगल-पहाड़ तक झूम उठे।

सबों ने शहीदों को नमन किया। सब के सहयोग से झारखंड को समृद्धि के फूलों से संवारने की हम सबों ने कसम खाई।

महिलाओं को अधिकार, बेरोजगारों को रोजगार, किसानों को एवं मजदूरों को घरों में खुशहाली का सपना देखा।

अपने सीमित भागीदारी लेकिन असीमित ऊर्जा एवं उत्साह तथा झारखंड अस्मिता एवं पहचान के प्रति अपनी ठोस प्रतिबद्धता तथा दृढ़ संकल्प के साथ आजसू सरकार में शामिल भी रहा।

आदिवासी, ओबीसी एवं पिछड़ों के अधिकार एवं विकास के लिए हम सतत संघर्षशील रहे।

आजसू झारखंड के राजनीतिक धरातल पर युवाओं, महिलाओं एवं वंचितों के संघर्षशील धारा का प्रतिनिधित्व करती है।

आज झारखंड नवनिर्माण संकल्प समागम इस बात का आकलन करने का अवसर है कि अधिकार, स्वाभिमान एवं पहचान के लिए संघर्ष करते-करते हम खुद को कहां खड़े पाते हैं। यहां से आगे का रास्ता क्या है।

झारखंड का जल, जमीन, जंगल एवं खनिज की लुट ने झारखंड निर्माण आंदोलन को जन्म दिया था।

राज्य निर्माण के बाद बनी सरकारों की झारखंड आंदोलन के उद्देश्यों को पूरा करने में विफलता ने राज्य को फिर से एक क्रांति की चौखट पर लाख खड़ा किया है।

आगे का रास्ता बनाने के लिए अपने शहीदों को याद कर सर पर कफन बांध फिर से सड़क पर उतरने की नौबत बनती दिखती है।

वर्तमान राजनीतिक आर्थिक सामाजिक एवं अन्य ज्वलंत विषयों पर परिचर्चा कर झारखंड नवनिर्माण के लिए आगे का रास्ता तय करने हेतु गंभीर मंथन इस झारखंड नवनिर्माण संकल्प समागम में किया गया है।

विषय विशेषज्ञ, बुद्धिजीवों, सामाजिक, राजनीतिक कार्यकर्ता हैं एवं स्वयंसेवी संगठनों का प्रतिनिधित्व के ग्रहण मंथन से निकले वैचारिक एवं राजनीतिक रूढ़ों पर चलकर आंसू अगले 5 वर्षों में झारखंड आंदोलन के मूल उद्देश्यों को हासिल करने तथा झारखंड के सपनों को साकार करने का आजसू पार्टी का आज संकल्प लेती है।

जिन आंदोलनकारियों को किया गया सम्मानित

महाधिवेशन के उदघाटन सत्र में केंद्रीय अध्यक्ष और पार्टी के अन्य नेताओं ने झारखंड आंदोलनकारियों को सम्मानित किया।

जिन्हें सम्मानित किया गया, उनमें बादल महतो, राजूमहतो, डॉ आफताब जमील, प्रो खालिक अहमद, उमेश उरांव, फजल अब्बास, प्रो अलाउद्दीन अंसारी, सुप्रीति मुर्मू, अमीन अहमद, शिवजी मल्लिक, टाइगर सुशील,

सुशील हांसदा, राजेंद्र मेहता, हसन अंसारी, डॉ देवशरण भगत, संजय बसु मल्लिक, हरिमोहन महतो, अंशमान सुंडी शामिल हैं।

साथ ही पार्टी के विधायक रहे आंदोलनकारी दिवंगत कमलकिशोर भगत के नाम उनकी पत्नी नीरूशांति भगत और दामोदर महतो की पत्नी यशोदा देवी, विरेंद्र भगत की पत्नी निर्मला भगत को भी सम्मानित किया गया गया।

इनके अलावा वरिष्ठ पत्रकार और एक्टिविस्ट प्रो दिलीप मंडल को भी सम्मानित किया गया।

महाधिवेशन के पहले दिन पार्टी के प्रधान महासचिव पूर्व मंत्री रामचंद्र सहिस ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

इसमें वर्ष 2017 में हुए छठे महाधिवेशन के बाद से अब तक की पार्टी के कार्यक्रमों, गतिविधियां, आंदोलन की तिथिवार जानकारी दी गई। इसके साथ ही केंद्रीय उपाध्यक्ष हसन अंसारी ने संविधान संशोधन पेश किया।

महाधिवेशन में 29 और 30 सिंतबर को प्रदेश, जिला और प्रखंड के पदाधिकारियों के साथ सभी अनुषंगी इकाइंयों को पदधारी भाग ले रहे हैं। जबकि जिला, नगर और छात्र कमेटी व्यवस्था संभालने में जुटी हैं।

केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो, सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ने उत्साह और उल्लासपूर्ण माहौल में दीप जलाकर और नगाड़ा बजाकर महाधिवेशन का उदघाटन हुआ।

इस मौके पर पारंपरिक नृत्य के साथ अतिथियों का स्वागत किया गया। महाधिवेशन में विधायक डॉ लंबोदर महतो, सुनिता चौधरी, पूर्व विधायक उमाकांज रजक, अकील अख्तर के अलावा पार्टी नेता डोमन सिंह मुंडा, रोशनलाल चौधरी, वीणा देवी, सुनील सिंह, जयपाल सिंह आदि मौजूद रहे।

मंच संचालन हरीश कुमार और प्रो रविशंकर मौर्या ने किया।

महाधिवेश के दूसरे सत्र में झारखंड आंदोलन का औच्त्य विषय पर परिचर्चा में बोलते हुए संजय बसु मल्लिक ने कहा कि सिर्फ बिहार से अलग होने के लिए झारखंड आंदोलन खड़ा नहीं किया गया था।

इसका मकसद अलग राज्य के सपने साकार करने थे। लेकिन सपने पूरे नहीं हुए हैं, इसलिए आंदोलन आज भी जारी है।

झारखंड आंदोलन बंगाल और ओड़िशा के कई हिस्से को शामिल करने के लिए भी था। इली विषय पर आंदलनकारी राजू महतो, हरिमोहन महतो, सुप्रीति मुर्मू, खालिक अहमद ने भी अपने विचार रखे। इससे पहले देवशरण भगत ने विषय प्रवेश कराया।

भोजन अवकाश के बाद तीसरे सत्र में झारखंडी युवाओं की चुनौतियां स्थानीयता और नियोजन नीति पर परिचय की गई। डॉक्टर लंबोदर महतो ने विषय प्रवेश कराया। जबकि सुरेश कुमार महतो के अलावा प्रसिद्ध वकील रश्मि कात्यायन और राजीव गुप्ता ने विस्तार से अपने विचार रखे।

चौथे सत्र में झारखंड में सामाजिक न्याय और राजनीतिक भागीदारी विषय पर विचार मंथन किया गया पूर्व मंत्री रामचंद्र सहित ने विषय प्रवेश कराया जबकि विशेषज्ञ के तौर पर प्रोफेसर दिलीप मंडल ने विस्तार से अपनी बातें रखी।

गांव की आवाज में ऑनलाइन जुड़े

महाधिवेशन में गांव की आवाज को लेकर ऑनलाइन माध्यम से कई हिस्से के लोग जुड़े।

जामताड़ा के चीरूडीह, हजारीबाग के चरही और रांची के तमाड़ से लोगों ने जुड़कर अपने क्षेत्र की समस्याओं जरूरतों के विषय पर अपने विचार प्रकट किये।

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