सुशील मोदी कैंसर से पीडि़त, लोकसभा चुनाव के प्रचार में भाग नहीं ले सकेंगे

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पटना । बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी को कैंसर हो गया है। गंभीर बीमारी से जूझ रहे पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी चल रहे इलाज की वजह से लोकसभा चुनाव में प्रचार नहीं कर पाएंगे। काफी समय से सुशील मोदी को सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया है लेकिन मीडिया के लिए राजनीतिक घटनाक्रमों पर वो नियमित रूप से बयान जारी करते रहते हैं। मोदी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखकर कैंसर के बारे में बताया है। उन्होंने लिखा- “पिछले 6 माह से कैंसर से संघर्ष कर रहा हूँ। अब लगा कि लोगों को बताने का समय आ गया है। लोकसभा चुनाव में कुछ कर नहीं पाऊँगा। PM को सब कुछ बता दिया है। देश, बिहार और पार्टी का सदा आभार और सदैव समर्पित।

 

कुछ महीनों से सार्वजनिक मंच से दूर रहे

सुशील मोदी बिहार में बीजेपी के दिग्गज नेता हैं। इसी साल उनकी राज्यसभा की सदस्यता खत्म हुई थी। बीजेपी ने उन्हें दोबारा राज्यसभा सांसद नहीं बनाया तो उनके लोकसभा चुनाव लड़ने को लेकर अटकलें चलने लगीं। हालांकि, बीजेपी की कैंडिडेट लिस्ट आने के बाद यह भी साफ हो गया कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। पिछले कुछ महीनों से वे सार्वजनिक मंचों से दूरी बनाए हुए हैं। हालांकि, वे सोशल मीडिया पर पूरी तरह एक्टिव हैं। अब उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए ही खुद के कैंसर होने की बात सार्वजनिक की है।

पटना यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव से राजनीति में आए

सुशील मोदी ने पटना यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव से राजनीति में कदम रखा और जब वो महासचिव चुने गए थे तब उनके धुर राजनीतिक विरोधी लालू यादव उसके अध्यक्ष पद पर जीते थे। जयप्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति के आह्वान पर सुशील मोदी आंदोलन में कूद गए और गिरफ्तारी के बाद 19 महीने तक जेल में रहे। मोदी ने इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लाए गए मीसा कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और उसकी एक दमनकारी धारा को हटवाने में कामयाब हुए।

पहली बार चुनाव लड़ा और लगातार तीसरी बार जीता

इमरजेंसी के बाद सुशील मोदी को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का राज्य सचिव बनाया गया। 1990 में वो पहली बार पटना मध्य विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और लगातार तीन बार जीते। 1996 से 2004 तक सुशील मोदी बिहार विधानसभा में भाजपा के नेता और नेता विपक्ष रहे। लालू यादव पर पशुपालन विभाग में चारा घोटाला का केस सुशील मोदी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका के जरिए दायर किया था जिसमें बाद में लालू बुरी तरह उलझ गए। 2004 में सुशील मोदी पहली बार संसद पहुंचे जब भागलपुर लोकसभा सीट से वो लड़े और जीते।

केंद्र में मंत्री बनने की भी अटकलें रही

सुशील मोदी बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनने के बाद मंत्री और फिर डिप्टी सीएम बने तो 2020 तक जब भी नीतीश एनडीए में रहे, वो उनके उप-मुख्यमंत्री रहे। इस दौरान सुशील मोदी विधान परिषद के सदस्य बनते रहे। 2020 में सुशील मोदी को भाजपा ने बिहार से हटाकर राज्यसभा भेज दिया। कभी लालकृष्ण आडवाणी के करीबी रहे सुशील मोदी की केंद्र सरकार में मंत्री बनने की अटकलें कई बार लगीं लेकिन मौका नहीं मिला।

सुशील मोदी बिहार के उन चुनिंदा राजनेताओं में हैं जिन्हें राज्य के दोनों सदन यानी विधानसभा और विधान परिषद और देश की संसद के दोनों सदन यानी लोकसभा और राज्यसभा में सदस्य बनने का मौका मिला है।

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