Ram Mandir: नागपुर से अयोध्या क्यों लाई जा रही 1400 किलो की खास कड़ाही?

0

नई दिल्‍ली । अयोध्या (Ayodhya)में 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा (Dignity of life)होनी है. इस कार्यक्रम में देश-दुनिया के तमाम गणमान्य लोग (dignitaries)मौजूद रहेंगे. प्राण प्रतिष्ठा समारोह कई मायनों में अद्वितीय और अनोखा होगा. मसलन- डेढ़ लाख भक्तों के लिए बनने वाला 7000 किलो ‘राम हलवा’. इस प्रसाद को तैयार करने की जिम्मेदारी चर्चित शेफ विष्णु मनोहर को सौंपी गई है. प्रसाद भी वह अपनी खास कड़ाही में तैयार करेंगे, जो नागपुर से अयोध्या लाई जा रही है।

क्रेन से उठानी पड़ती है कड़ाही

शेफ विष्णु मनोहर की खास कड़ाही, करीब 1400 किलो वजनी है. महाराष्ट्र के कोल्हापुर में बनी यह खास कड़ाही 10 फिट गहरी और इतनी ही चौड़ी है और इसे क्रेन से उठाना पड़ता है. बकौल विष्णु मनोहर उन्हें रिकॉर्ड बनाने का शौक है, इसलिये कुछ साल पहले उन्होंने कोल्हापुर के बर्तन बाजार से यह खास कड़ाही बनवाई थी. तब करीब 4 लाख रुपये में कड़ाही तैयार हुई थी।

कड़ाही के नाम भी कई रिकॉर्

इस कड़ाही के नाम भी तमाम रिकॉर्ड हैं. साल 2019 में दिल्ली में इसी कड़ाही में 5000 किलो समरसता खिचड़ी पकाई गई थी. 2021 में 8000 किलो मिसल पाव तैयार हुआ था. विष्णु मनोहर कहते हैं कि ‘यह कड़ाही मेरे लिए पवित्र और भाग्यशाली है, इसलिये इसमें बनी चीजें कभी बेचूंगा नहीं…’

2 दिन पहले से बनने लगेगा प्रसाद

अयोध्या में ‘राम हलवा’ बनाने के लिए विष्णु मनोहर और उनकी टीम भारी-भरकम किचन सेटअप कर रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक 2 दिन पहले यानी 20 जनवरी से ही प्रसाद बनाने की तैयारी शुरू कर दी जाएगी. 7000 किलो हलवा में 900 किलो सूजी, 1000 किलो घी, 2000 किलो चीनी, 300 किलो ड्राई फ्रूट्स, 75 किलो इलायची और 2500 लीटर पानी और 2500 गैलन दूध जैसी चीजें इस्तेमाल होंगी।

कौन हैं शेफ विष्णु?

मूल रूप से महाराष्ट्र के नागपुर के रहने वाले विष्णु मनोहर फाइन आर्ट्स के स्टूडेंट हुआ करते थे लेकिन उन्हें खाना बनाना इतना पसंद था कि इसे पेशे के तौर पर अपना लिया और अब उनके नाम एक दर्जन से ज्यादा वर्ल्ड रिकॉर्ड हैं. 50 से ज्यादा कुकरी बुक्स लिख चुके मनोहर का आखिरी रिकॉर्ड 75 किस्म के चावल के साथ महज 285 मिनट के अंदर 75 व्यंजन बनाने का है. विष्णु के नाम दुनिया का सबसे बड़ा पराठा बनाने का लिम्का बुक का रिकॉर्ड भी है।

प्राण प्रतिष्ठा में किस दिन क्या अनुष्ठान?

16 जनवरी: प्रायश्चित्त और कर्मकूटि पूजन
17 जनवरी: मूर्ति का परिसर प्रवेश
18 जनवरी (सायं): तीर्थ पूजन, जल यात्रा, जलाधिवास और गंधाधिवास
19 जनवरी (प्रातः): औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास
19 जनवरी (सायं): धान्याधिवास
20 जनवरी (प्रातः): शर्कराधिवास, फलाधिवास
20 जनवरी (सायं): पुष्पाधिवास
21 जनवरी (प्रातः): मध्याधिवास
21 जनवरी (सायं): शय्याधिवास

प्राण प्रतिष्ठा में कौन है मुख्य आचार्य?

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मुताबिक प्राण प्रतिष्ठा समारोह में सात अधिवास होते हैं और न्यूनतम तीन अधिवास अभ्यास में होते हैं. समारोह के अनुष्ठान की सभी प्रक्रियाओं का समन्वय, समर्थन और मार्गदर्शन करने वाले 121 आचार्य होंगे. इसके अलावा गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ सभी प्रक्रियाओं की निगरानी, समन्वय और दिशा-निर्देशन करेंगे और काशी के लक्ष्मीकांत दीक्षित मुख्य आचार्य होंगे।

किन परंपराओं के लोग शामिल होंगे?

प्राण प्रतिष्ठा समारोह में अलग-अलग धर्म, मत और परंपराओं के लोग शामिल होंगे. ट्रस्ट के मुताबिक शैव, वैष्णव, शाक्त, गाणपत्य, पात्य, सिख, बौद्ध, जैन, दशनाम शंकर, रामानंद, रामानुज, निम्बार्क, माध्व, विष्णु नामी, रामसनेही, घिसापंथ, गरीबदासी, गौड़ीय, कबीरपंथी, वाल्मीकि, शंकरदेव (असम), माधव देव, इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन, चिन्मय मिशन, भारत सेवाश्रम संघ, गायत्री परिवार, अनुकूल चंद्र ठाकुर परंपरा, ओडिशा के महिमा समाज, अकाली, निरंकारी, नामधारी (पंजाब), राधास्वामी और स्वामीनारायण, वारकरी, वीर शैव जैसे मत के प्रतिनिधि समारोह में मौजूद रहेंगे।

इसके अलावा 150 से अधिक परंपराओं के संत, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत, नागा सहित 50 से अधिक आदिवासी, गिरिवासी, तातवासी, द्वीपवासी आदिवासी परंपराओं के प्रमुख शख़्स भी प्राण-प्रतिष्ठा में मौजूद रहेंगे।

जनकपुर से आया भार, ननिहाल से गहने

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मुताबिक गर्भ-गृह में प्राण प्रतिष्ठा के बाद समारोह में मौजूद सभी अतिथियों को रामलला का दर्शन कराया जाएगा. ट्रस्ट के मुताबिक प्राण प्रतिष्ठा से पहले हर दिन तमाम राज्यों के लोग रामलला के लिए अलग-अलग तरह के तोहफे के साथ अयोध्या पहुंच रहे हैं. जैसे- सोना, चांदी, मणियां, कपड़े, आभूषण, विशाल घंटे, ढोल, सुगंध आदि।

प्रतिष्ठा से पहले मां जानकी के मायके से अयोध्या (Ayodhya) खास ‘भार’ (एक बेटी के घर स्थापना के समय भेजे जाने वाले उपहार) भी भेजे गए हैं. जिसमें तमाम तरह की मिठाईयां, वस्त्र और गहने वगैरह शामिल हैं. इसके अलावा दंडकारण्य (रायपुर) क्षेत्र स्थित प्रभु के ननिहाल से भी विभिन्न प्रकार के आभूषणों आदि के उपहार भेजे गए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed