राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा की असम में एंट्री, इन नेताओं की उड़ी नींद?

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नई दिल्‍ली । पूर्वोत्तर के मणिपुर से मकर संक्रांति के मौके पर शुरू हुई कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ गुरुवार को असम में शिवसागर जिले से दाखिल हो गई है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस की न्याय यात्रा असम के 17 जिलों से गुजरेगी और 833 किमी का सफर तय करेगी।

लोकसभा चुनाव की सियासी तपिश के साथ ही राहुल गांधी के असम में दाखिल होने से पहले ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने सवाल खड़े कर दिए हैं. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी कितनी भी यात्रा कर लें, लेकिन जनता कभी भी कांग्रेस को वोट नहीं देगी. ऐसे में सवाल उठता है कि राहुल की असम यात्रा से बदरुद्दीन अजमल क्यों बेचैन हो रहे हैं?

राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो न्याय यात्रा आठ दिनों तक असम में रहेगी और 17 जिलों से होकर गुजरेगी. इससे साफतौर पर समझा जा सकता है कि कांग्रेस का असम पर खास फोकस है. इस दौरान असम के शिवसागर जिले के अमगुरी और जोरहाट जिले के मारियानी इलाके में राहुल गांधी दो जनसभाओं को संबोधित भी करेंगे. साथ ही जनसभा से पहले राहुल गांधी अमगुरी और मारियानी में रोड शो भी करेंगे. असम में यात्रा सबसे बड़े नदी द्वीप माजुली से भी गुजरेगी तो अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला के होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में दिन राहुल गांधी गुवाहाटी के शिवधाम में होंगे. इस तरह कांग्रेस ने असम में 2024 के लिए सियासी माहौल को बनाने की रणनीति है।

राहुल की यात्रा पर अजमल ने खड़े किए सवाल

ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर सवाल खड़े किए. बदरुद्दीन का मानना है कि राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा शुरू करेंगे, लेकिन जनता कभी भी कांग्रेस को वोट नहीं देगी. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी नेहरू परिवार के बेटे हैं, वह किसी भी जगह जाते हैं तो लोगों की वहां भीड़ जुट जाती है. आमतौर पर लोग उन्हें एक हीरो के तौर पर देखने आते हैं, लेकिन जनता उन्हें वोट नहीं देगी. जनता को लगता है कि कांग्रेस काम नहीं करेगी. बदरुद्दीन ने कहा कि इससे पहले राहुल गांधी ने 50 राज्यों का दौरा किया, लेकिन चुनाव में उन्हें नतीजे क्या मिले. इसी तरह असम में भी राहुल गांधी की यात्रा से कांग्रेस को कोई फायदा नहीं मिलने वाला है।

असम में यात्रा के दलित से अजमल क्यों बेचैन?

राहुल गांधी की असम यात्रा से आखिर क्यों बदरुद्दीन अजमल सवाल खड़े कर रहे हैं, क्योंकि दोनों ही पार्टियों का सियासी आधार राज्य में एक ही है. राहुल गांधी के भारत जोड़ो न्याय यात्रा का असम में जो रूट बनाया गया है, उसके चलते ही बदरुद्दीन अजमल को लोकसभा चुनाव में अपने सियासी नुकसान होने की चिंता सताने लगी है. इसलिए अजमल कह रहे हैं कि मुस्लिमों को लेकर जितनी भी समस्याएं हैं, वो सारी की सारी कांग्रेस के जरिए ही पैदा की गई हैं. मुसलमानों के शिक्षा से लेकर रोजगार तक पर काम नहीं किया गया. राहुल भले ही हमारे इलाके से गुजर जाएं, मगर वह यहां पर जीत नहीं पाएंगे. अजमल मुस्लिमों की समस्या के लिए कांग्रेस को दोषी ठहरा रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि अगर मुस्लिम वोट बैंक छिटका तो उसकी पसंद कांग्रेस होगी।

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो कांग्रेस मुस्लिम समुदाय को साधने के लिए मशक्कत कर रही है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा असम में आठ दिनों तक रहेगी और 17 जिलों से होकर गुजर रही है, उससे बदरुद्दीन अजमल बेचैन हैं. उन्हें लगता है कि राहुल की यात्रा से असम के मुस्लिमों का झुकाव कांग्रेस की तरफ हो सकता है. राहुल गांधी की पहली भारत जोड़ो यात्रा के बाद मुस्लिम समुदाय की पहली पसंद कांग्रेस बनी है, क्योंकि उन्हें ये लगता है कि कांग्रेस और राहुल गांधी ही उनकी समस्याओं को उठा रहे हैं. कर्नाटक और तेलंगाना में मुस्लिम समुदाय ने एकमुश्त होकर कांग्रेस को वोट दिया है. इसके चलते असम में यात्रा आने से अजमल चिंतित हैं और उन्हें लोकसभा चुनाव में अपने सियासी नुकसान की संभावना दिख रही है।

असम में मुस्लिम सियासत किस तरह की है?

असम में करीब 34 फीसदी आबादी मुसलमानों की है, जिसमें असमिया मुस्लिम और बांग्लादेश से आकर असम में बसे मुसलमान दोनों शामिल हैं. मुस्लिम मतदाता सूबे की विधानसभा की कुल 126 सीटों में करीब 30 सीटों पर तो लोकसभा की 14 में से 6 सीटों पर सीधा प्रभाव डालते हैं. डुबरी, बारपेटा, नागांव, कलियाबोर, करीमगंज और सिलचर लोकसभा सीट पर मुस्लिम जीत-हार तय करते हैं. असम में एक समय मुस्लिम मतदाता कांग्रेस का परंपरागत वोटर माना जाता था, लेकिन 2005 में बदरुद्दीन अजमल के पार्टी बनाते हुए ही दो धड़ों में बंट गया है. बदरुद्दीन अजमल मुस्लिम वोटों के सहारे असम की राजनीति में एक मजबूत ताकत बनने में कामयाब रहे, तो कांग्रेस की जमीन भी सिकुड़ने लगी।

जमीयत के साथ राजनीतिक रसूख का महत्व समझा

मौलाना बदरुद्दीन अजमल देवबंद में पढ़ाई पूरी करने के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद के साथ जुड़ गए. जमीयत के साथ रहते हुए अजमल ने राजनीतिक रसूख का महत्व समझा. इसी के बाद उन्होंने 2005 में ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) पार्टी बनाई. मुसलमानों को रिझाने के लिए उन्होंने अपने तरकश के हर तीर का इस्तेमाल किया. इसी का नतीजा रहा कि पार्टी के गठन के एक साल के बाद 2006 में असम विधानसभा चुनाव हुए तो 10 सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रहे. तीन साल के बाद 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में खुद चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे. 2011 के असम विधानसभा चुनाव में अजमल की पार्टी 18 सीटें जीती. 2014 के लोकसभा चुनाव में अजमल की पार्टी के तीन सांसद जीतने में सफल रहे, जिससे कांग्रेस को झटका लगा है.लेकिन, बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से उनका सियासी ग्राफ कम होना शुरू हुआ जो लगातार जारी है।

राहुल गांधी की यात्रा से क्या बदलेगा पैटर्न?

राहुल गांधी की अगुवाई में ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ लोकसभा चुनाव की सियासी सरगर्मी के बीच असम पहुंची है. इसे मिशन-2024 से जोड़कर देखा जा रहा. राहुल गांधी के यात्रा से कांग्रेस को असम में अपनी वापसी की उम्मीदें दिख रही हैं क्योंकि दक्षिण भारत में भारत जोड़ो यात्रा से मुस्लिमों का झुकाव कांग्रेस की तरफ तेजी से हुआ है. मुस्लिमों का वोटिंग पैटर्न देखें तो वो उसी दल के साथ जा रहे हैं, जो बीजेपी को हराती हुई दिख रही है. इसलिए मद्देनजर कांग्रेस ने 28 दलों के साथ मिलकर INDIA गठबंधन का गठन किया है ताकि वोटों का बिखराव न हो सके. ऐसे में राहुल की असम यात्रा से बदरुद्दीन अजमल बेचैन हैं क्योंकि उन्हें अपने मुस्लिम वोट बैंक के खिसकने का डर सता रहा है।

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