अगले 25 साल देश को समर्पित करे जनता, कन्याकुमारी प्रवास के बाद प्रधानमंत्री मोदी बोले

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव 2024 की राजनीतिक व्यस्तताओं के बाद आध्यात्मिक यात्रा पर तमिलनाडु के कन्याकुमारी में प्रवास किया। विवेकानंद मेमोरियल में 45 घंटे के ध्यान के बाद प्रधानमंत्री ने भारत के भावी विकास और देश की वास्तविक ताकत का उल्लेख करते हुए खास संदेश दिया है। पीएम मोदी ने कहा, हमें प्राचीन मूल्यों को आधुनिक स्वरूप में अपनाकर विरासतों को आधुनिक ढंग से दोबारा परिभाषित करना होगा। उन्होंने कहा, हमें पुरानी पड़ चुकी सोच और मान्यताओं का परिमार्जन करना होगा। समाज को पेशेवर निराशावादियों के दबाव से बाहर निकालने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि नकारात्मकता से मुक्ति सफलता की सिद्धि तक पहुंचने की पहली जड़ी-बूटी है। सफलता सकारात्मकता की गोद में ही पलती है। इस संदेश के साथ उन्होंने देशवासियों से अगले 25 वर्ष केवल और केवल राष्ट्र के लिए समर्पित करने का आह्वान भी किया।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मेरे मन में विरक्ति का भाव और तीव्र हो गया…मेरा मन बाह्य जगत से पूरी तरह अलिप्त हो गया। इतने बड़े दायित्वों के बीच ऐसी साधना कठिन होती है, पर कन्याकुमारी की भूमि और स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा ने इसे सहज बना दिया। मैं सांसद के तौर पर अपना चुनाव भी काशी के मतदाताओं के चरणों में छोड़कर यहां आया था। इस विरक्ति के बीच, शांति और नीरवता के बीच, मेरे मन में भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए, भारत के लक्ष्यों के लिए निरंतर विचार उमड़ रहे थे।

पीएम मोदी ने कहा, कन्याकुमारी का यह स्थान हमेशा से मेरे मन के अत्यंत करीब रहा है। कश्मीर से कन्याकुमारी…यह हर देशवासी के अंतर्मन में रची-बसी हमारी साझी पहचान है। कन्याकुमारी संगमों के संगम की धरती है। हमारे देश की पवित्र नदियां अलग-अलग समुद्रों में जाकर मिलती हैं और यहां उन समुद्रों का संगम होता है। और यहां एक और महान संगम दिखता है-भारत का वैचारिक संगम! यहां विवेकानंद शिला स्मारक के साथ ही संत तिरुवल्लूवर की विशाल प्रतिमा, गांधी मंडपम और कामराजर मणि मंडपम हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक एक जून को कन्याकुमारी से दिल्ली लौटते समय शाम 4.15 बजे से सात बजे के बीच नोट लिखा। उन्होंने इसकी शुरुआत में लिखा, ‘कन्याकुमारी में तीन दिवसीय आध्यात्मिक यात्रा के बाद मैं अभी दिल्ली के विमान में सवार हुआ हूं।’ बकौल प्रधानमंत्री मोदी, ‘आज के वैश्विक परिदृश्य में, एक युवा राष्ट्र के रूप में भारत की ताकत एक अवसर है, ऐसे समय में हमें पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए।

तीन दिवसीय ध्यान के दौरान अपने विचारों के बारे में बताते हुए पीएम ने लिखा, ‘वैराग्य, शांति और मौन के बीच, मेरा मन निरंतर भारत के उज्ज्वल भविष्य के बारे में, भारत के लक्ष्यों के बारे में सोच रहा था।’ उन्होंने कहा कि भारत हजारों वर्षों से विचारों का उद्गम स्थल रहा है। हमने जो अर्जित किया उसे कभी निजी संपत्ति नहीं माना। हमने इसे कभी आर्थिक या भौतिक मापदंडों से नहीं मापा, इसलिए ‘इदं न मम’ यानी यह मेरा नहीं है, भारत के चरित्र का अंतर्निहित और स्वाभाविक हिस्सा बन चुका है। भारत का गवर्नेंस मॉडल दुनिया के कई देशों के लिए मिसाल बन चुका है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत का विकास पथ हमें गौरवान्वित करता है। साथ ही 140 करोड़ नागरिकों को यह जिम्मेदारियों की याद भी दिलाता है। उन्होंने कहा कि हमें एक भी पल बर्बाद किए बिना अधिक कर्तव्यों और बड़े लक्ष्यों की तरफ बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें नए ख्वाब देखने होंगे, इन सपनों को हकीकत में बदलने के लिए सपने को जीना शुरू करना होगा।

प्रधानमंत्री ने अपने लेख में लोकसभा चुनाव 2024 के अंतिम दौर में मतदान का भी जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा कि 2024 का लोकसभा चुनाव अमृत काल का पहला चुनाव है। उन्होंने कहा कि तीन दिवसीय आध्यात्मिक यात्रा के बाद जब मैं अभी-अभी दिल्ली के लिए विमान में सवार हुआ हूं। पूरे दिन काशी और अन्य सीटों पर मतदान की चर्चा रही। उन्होंने अपने आध्यात्मिक अनुभव का जिक्र करते हुए कहा, जैसे ही वे ध्यान की अवस्था में पहुंचे, सभी गरमागरम राजनीतिक बहसें, जवाबी हमले और आरोप-प्रत्यारोप शून्य में विलीन हो गए। उन्होंने कहा कि उन्हें बाहरी दुनिया से अलगाव की भावना महसूस हुई।

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