झारखंड की नाबालिग को शादी के नाम पर कोटा में बेचने की कोशिश, दो गिरफ्तार
फाइल फोटो: नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी बच्चों के साथ
KOTA: नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित संगठन बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) की सूचना पर पुलिस ने झारखंड के गिरिडीह जिले की एक नाबालिग लड़की को अगवा कर कोटा में शादी के लिए बेचने की कोशिश के मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
आरोपियों ने नाबालिग और उसकी मां को पिछले आठ दिन से बंधक बना रखा था और विवाह के नाम पर उसे बेचने के लिए लोगों से बातचीत कर रहे थे।
पीड़िता ने किसी तरह बीबीए की हेल्पलाइन पर सूचना दी। इसके बाद बीबीए ने साइबर सेल के इंचार्ज प्रताप और पुलिस अधीक्षक शरद चौधरी को मामले की जानकारी दी।
चौधरी ने बच्ची की लोकेशन को ट्रेस कर लिया। इसके बाद साइबर टीम और उद्योग नगर थाना पुलिस ने बच्ची और उसकी मां को प्रेमनगर अफोर्डेबल सोसायटी के एक कमरे से सुरक्षित निकाल लिया।
यह कमरा गीता नाम की एक महिला का है जो इसी मामले में एक आरोपी रवि की मां है।
बालिका को सुरक्षित उद्योग नगर थाने के बाल कक्ष में लाया गया जहां उसकी काउंसलिंग की गई।
काउंसलिंग के दौरान बच्ची ने बताया कि उसके पड़ोसी गांव के राजेंद्र मंडल उर्फ राजू ने एक दिन उसके घर आकर उसकी मां से कहा कि वह कोटा में उनकी बेटी की शादी करा देगा और इसके बदले में उन्हें कुछ पैसे भी देगा।
मां के मना करने पर उसने उसे जान से मारने की धमकी दी और डरा धमका कर उन दोनों को कोटा लाया। यहां उसने उसने रवि और ललित के साथ मिलकर उन दोनों को बंधक बना लिया और पांच लाख रुपए में शादी के नाम पर उसे बेचने के लिए लोगों से सौदेबाजी करने लगा।
मना करने पर उन तीनों ने मां-बेटी की हत्या की भी धमकी दी और चार दिन तक उन्हें भूखा रखा।
बच्ची की शिकायत पर पुलिस ने ट्रैफिकिंग व अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज करते हुए राजेंद्र मंडल उर्फ राजू और रवि को गिरफ्तार कर लिया है
जबकि तीसरे अभियुक्त ललित की गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस की शुरुआती जांच से पता चला है कि ये तीनों मिलकर झारखंड से लड़कियां लाकर उन्हें शादी के नाम पर उम्रदराज लोगों को बेचने का काम करते हैं।
राजू के बेटी-दामाद कोटा में ही रहते हैं जबकि दूसरे अभियुक्त रवि की मां गीता जिसके कमरे से मां-बेटी को बरामद किया गया, भी इस धंधे में संलिप्त है।
गीता पर पहले भी एक नाबालिग को विवाह के नाम पर बेचने का मामला दर्ज है और फिलहाल वह जमानत पर है।
नाबालिग तीन बहनों में दूसरे नंबर की है। उसके पिता दुबई में कारीगर हैं लेकिन फिलहाल वह वहां किसी कानूनी झमेले में फंसे होने की वजह से घर नहीं लौट पा रहे।
काउसंलिंग के बाद बच्ची को अस्थायी आश्रय में भेज दिया गया।
बचपन बचाओ आंदोलन के निदेशक मनीष शर्मा ने कहा, “देखने में आ रहा है कि संगठित अपराधी गिरोहों द्वारा विवाह और नौकरी दिलाने के नाम पर झारखंड की नाबालिग बच्चियों की ट्रैफिकिंग और उनके बाल विवाह का चलन जोर पकड़ रहा है।
हर साल देश भर में तमाम जगहों से हजारों लड़कियों को बाल विवाह के चंगुल से मुक्त कराया जा रहा है फिर भी इस तरह की घटनाओं में कमी नहीं आ रही है।
सतत सतर्कता और जागरूकता से ही ट्रैफिकिंग और बाल विवाह की घटनाओं पर रोक लग सकती है।
हमने देश को बाल विवाह और बच्चों की ट्रैफिकिंग के अभिशाप से देश को मुक्त कराने का संकल्प लिया है और इस दिशा में प्रयासों में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी।