नौवी बार पैरोल पर बाहर आया गुरमीत राम रहीम, रेप के आरोप में मिली है 20 साल की सजा

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नई दिल्‍ली । डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को एक बार फिर से पैरोल मिली है. यह नौवीं बार हो रहा है. इस बार राम रहीम को 50 दिनों की पैरोल मिली है. इस तरह पिछले चार सालों में नौंवी बार राम रहीम को पैरोल दी गई है। राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है. डेरा प्रमुख को जब-जब पैरोल दी जाती है, तब-तब हरियाणा सरकार विपक्ष के निशाने पर आ जाती है. इस बार भी कुछ ऐसा हो रहा है।

आपको बता दें देरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को साल 2017 में लगभग 20 साल की सजा सुनाई गई थी. तब से वह लगभग नौ बार जेल से पैरोल पर बाहर निकल कर आ चुका है. यूपी के बागपत जिले के बरनावा आश्रम में इस बार पेरोल की अवधि काटने की तैयारी में है राम रहीम. राम रहीम पर अपनी दो महिला अनुयायियों के साथ कथित तौर पर रेप करने का गंभीर आरोप है. राम रहीम के पैरोल को इसी साल लोकसभा और हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव से भी जोड़ कर देखा जा रहा है।

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राम रहीम पर क्या है आरोप

साल 2017 में राम रहीम को दो महिला अनुयायियों के साथ कथित तौर पर रेप करने के आरोप में 20 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी. वहीं साल 2019 में अपने कर्मचारी रणजीत सिंह की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. इसके अलावा 2021 में डेरा प्रमुख को एक पत्रकार की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. यह आरोप काफी संगीन हैं लेकिन इसके बावजूद राम रहीम को हर बार पैरोल मिल जाती है. ये केस काफी हाई प्रोफाइल है क्योंकि अभी भी कई लोग राम रहीम को दोषी नहीं मानते और साथ ही हरियाणा की राजनीति में भी उसका अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है।

पहले भी पैरोल पर आये था बाहर

पिछले साल ही राम रहीम सिंह को कागजों में हरियाणा के रोहतक जिले की सुनारिया जेल में सलाखों के पीछे तीन मौकों पर पैरोल दी गई थी, जिसमें 91 दिन की पैरोल थी. पूर्व डेरा प्रमुख शाह सतनाम की जयंती में शामिल होने के लिए उसे नवंबर में 21 दिन, जुलाई में 30 दिन और जनवरी में 40 दिन के लिए रिहा किया गया था. इसके अलावा प्रमुख शाह सतनाम की जयंती के अवसर पर राम रहीम को तलवार से जन्मदिन का केक काटकर जश्न मनाते हुए फोटो को शेयर भी किया गया था जिसके बाद हरियाणा सरकार पर कई सवाल उठे थे।

क्या है पैरोल की प्रक्रिया?

बता दें पैरोल एक अधिकार नहीं है, इसे एक विशिष्ट कारण के लिये कैदी को दिया जाता है जैसे कि परिवार में किसी अपने की मृत्यु या करीबी रिश्तेदार की शादी. इसमें एक कैदी को पैरोल देने से मना भी किया जा सकता है अगर सक्षम प्राधिकारी इस बात से संतुष्ट हो जाता है कि दोषी को रिहा करना समाज के हित में नहीं है. इसके अलावा एक कैदी को एक साल में केवल 70 दिनों का पैरोल मिलती है।

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