लोकसभा चुनाव से पहले बीएसपी को लगा तगड़ा झटका, सांसद रितेश पांडेय बीजेपी में शामिल

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लखनऊ । लोकसभा चुनाव से पहले बीएसपी को तगड़ा झटका लगा है. अंबेडकरनगर से सांसद रितेश पांडेय ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. इसके साथ ही वो बीजेपी में भी शामिल हो गए हैं।

बताया जा रहा है कि रितेश काफी समय से बीएसपी से नाराज चल रहे थे. अपने पत्र में उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि उन्होंने कई बार पार्टी सुप्रीमो मायावती से मिलने की कोशिश की लेकिन वो नाकाम रहे।

विदेश में रहकर स्‍नातक की डिग्री हासिल की

रितेश पांडे का जन्म 3 अप्रैल 1981 को लखनऊ में एक राजनीतिक घराने में हुआ था. उनके पिता राकेश पांडेय भी राजनीति में हैं. राकेश पांडेय जलालपुर विधानसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के विधायक हैं. वहीं रितेश की मां का नाम मंजू पांडे है. रितेश ने साल 2005 में लंदन के यूरोपियन बिजनेस स्कूल से इंटर नेशनल बिजनेस मैनेजमेंट में स्नातक की डिग्री हासिल की. उनकी शादी इंग्लैंड की रहने वाली कैथरीना के साथ हुई है।

रितेश बीएसपी की तरफ से अंबेडकर नगर जिले के जलालपुर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक भी रहे. पिछले लोकसभा चुनाव में रितेश पांडे बसपा से चुनाव लड़कर सांसद बने. रितेश पांडे के पिता राकेश पांडे भी एक बार बसपा से सांसद रह चुके हैं. 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से राकेश पांडेय ने बीएसपी से अलग होकर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था।

2019 के लोकसभा चुनाव में BJP उम्मीदवार को हराया

2019 के लोकसभा चुनाव में रितेश ने बीजेपी के उम्मीदवार मुकुट बिहारी को शिकस्त दी थी और सांसद बने थे. इससे पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में वो जलालपुर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए. वहीं 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. वो समाजवादी पार्टी के शेर बहादुर सिंह से हार गए थे।

रितेश पांडेय को संसदीय बिजनेस सर्वे में देश के 539 सांसदों के बीच 19वां स्थान दिया गया. वो टॉप-20 में शामिल होने वाले सबसे कम उम्र के सांसद बने. राजनीति में कदम रखने से पहले वो भारतीय कला को यूरोपीय दर्शकों से जोड़ने वाली एक सफल कला फर्म चलाते थे. उन्होंने अंबेडकर नगर में 12 शैक्षणिक संस्थान, तक्षशिला अकादमी, साथ ही अवध म्यूटिनियर्स फुटबॉल क्लब की स्थापना की है।

सबसे कम उम्र के सांसदों में से एक बने

2020 में रितेश लोकसभा में बहुजन समाज पार्टी के फ्लोर लीडर बन गए और संसद में एक प्रमुख राष्ट्रीय पार्टी का नेतृत्व करने वाले सबसे कम उम्र के सांसदों में से एक बने. रितेश कई संसदीय समितियों के सक्रिय सदस्य भी रहे हैं, जिनमें विदेश मामलों की स्थायी समिति, व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 की जांच करने वाली संयुक्त संसदीय समिति और जैविक विविधता (संशोधन) विधेयक 2021 पर संयुक्त संसदीय समिति शामिल हैं।

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