सीएम मोहन यादव ने तोड़ा मिथक, महाकाल की नगरी उज्जैन में गुजारी रात
उज्जैन। मध्य प्रदेश के सीएम बनने के बाद पहली बार डॉक्टर मोहन यादव शनिवार को उज्जैन पहुंचे। उन्होंने विकसित भारत संकल्प यात्रा की शुरुआत की और 7 किलोमीटर लंबा रोड शो भी किया। उन्होंने शनिवार रात अपने घर में परिवार के साथ गुजारी और बरसों से चली आ रही मिथक परंपरा को तोड़ दिया। इसके साथ ही सीएम मोहन यादव ने कैबिनेट की पहली बैठक उज्जैन में करने के संकेत दिए हैं। माना जा रहा है कि बैठक 14 जनवरी मकर संक्राति पर हो सकती है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव शनिवार शाम को भाजपा की विकसित भारत संकल्प यात्रा के शुभारंभ कार्यक्रम में शामिल होने उज्जैन पहुचे थे। यहां वो कार्यक्रम में शामिल होने के बाद शहर में निकाली जाने वाली भव्य स्वागत यात्रा में शामिल हुए। जो शहर में बड़ी धूमधाम से निकाली गई। यात्रा देर रात तक चली और यात्रा समापन पर डॉक्टर मोहन यादव ने आम सभा को भी संबोधित किया। कहा कि मध्य प्रदेश शासन की कैबिनेट बैठक उज्जैन में होगी उसे बैठक में शहर हित में तत्काल निर्णय लिए जाएंगे। तय कार्यक्रम के अनुसार वो रविवार दोपहर 1:25 पर उज्जैन से श्योपुर के लिए ही रवाना होंगे।
पंडित, पुजारी मोहन यादव को मानते हैं महाकाल को बेटा
मध्य प्रदेश की अवंतिका नगरी को महाकाल की नगरी भी कहा जाता है। मध्य प्रदेश में मान्यता रही है कि उज्जैन के राजा सिर्फ बाबा महाकाल है इसको लेकर एक बड़ा मिथक भी चर्चित है। जिसको लेकर मंदिर के पुजारी पुरोहित और उज्जैन के ज्योतिषाचार्य का कहना है कि महाकाल ही राजा है यहां कोई दूसरा राजा या राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री रात नहीं गुजार सकता लेकिन डॉक्टर मोहन यादव ने शनिवार रात परिवार के साथ घर में गुजारकर इस मिथक को तोड़ दिया। इसको लेकर पंडित ज्योतिष आचार्य ने सीएम मोहन यादव को इसे शहर में ही जन्म लेने के साथ महाकाल का बेटा माना है। बताया है कि डॉक्टर मोहन यादव उज्जैन में ही जन्मे हैं और महाकाल के बेटे और सेवक के रूप में हमेशा रहे हैं इसलिए इन पर यह मिथक लागू नही होता है।
ये है महाकाल नगरी उज्जैन का मिथक
महाकाल नगरी उज्जैन में मिथक ये है कि उज्जैन के राजाधिराज महाकाल के अलावा उनके शहर में पद पर रहने वाला कोई भी शख्स यहां रात नहीं गुजार सकता। यानी अगर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या किसी भी राज्य का मुख्यमंत्री उज्जैन में एक रात रुक जाता है तो उसके सामने ऐसे हालात बन जाते हैं कि वो सत्ता से बाहर हो जाता है। पहले दो बार ये मान्यता सच भी साबित हो चुकी है। क्योंकि भारत के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई एक रात उज्जैन में रुक गए थे और दूसरे दिन ही उनकी सरकार गिर गई थी। कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा भी एक बार यहां रात्रि विश्राम कर चुके हैं। उसके 20 दिन बाद उन्हें अपने पद से त्याग पत्र देना पड़ा था। इन दो उदाहरणों के बाद इस मान्यता को और भी बल मिल गया था, इसके बाद से आज तक देश के किसी पद पर रहने वाले शख्स ने यहां रात नहीं गुजारी। हालांकि मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव उज्जैन में ही रुके ओर परिवार के साथ रात गुजारी है। अब इसका परिणाम क्या होगा यह तो भविष्य बताएगा।