बाप का पैसा वाले बयान पर वित्त मंत्री की उदयनिधि को सलाह, बोलने से पहले अपने शब्दों पर दें ध्यान

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नई दिल्‍ली। केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने उदयनिधि स्टालिन को उनके ‘बाप का पैसा’ वाले बयान पर चेतावनी देते हुए कहा कि वह बोलने से पहले अपने शब्दों पर ध्यान दें। वित्त मंत्री ने कहा कि स्टालिन उस तरीके से बोलें जो एक राजनीतिक नेता को शोभा देता है।

निर्मला सीतारमण ने उदयनिधि स्टालिन को शब्दों को लेकर सतर्कता बरतने की सलाह दीनिर्मला सीतारमण ने उदयनिधि स्टालिन को शब्दों को लेकर सतर्कता बरतने की सलाह दी

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के ‘बाप के पैसे’ वाले तंज का जवाब देते हुए उन्हें अपने शब्दों का चयन करने में सावधनी बरतने की सलाह दी। उदयनिधि ने इस महीने की शुरुआत में केंद्र द्वारा तमिलनाडु को कथित तौर पर धनराशि नहीं दिए जाने के बारे में कहा था, “हम किसी के बाप का पैसा नहीं मांग रहे हैं। हम केवल तमिलनाडु के लोगों द्वारा भुगतान किए गए कर का हिस्सा मांग रहे हैं।”

वित्त मंत्री की उदयनिधि को सलाह

उदयनिधि स्टालिन के इसी बयान के जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “जब वह मंत्री हैं तो उन्हें जिम्मेदारी से बोलना चाहिए। वह पिता के पैसे के बारे में पूछ रहे हैं। क्या वह अपने पिता की संपत्ति का उपयोग करके सत्ता का आनंद ले रहे हैं? क्या मैं ऐसा पूछ सकती हूं? उन्हें लोगों ने चुना है, तो क्या हम इसके लिए उनका सम्मान नहीं कर रहे हैं? राजनीति में पिता और माँ को घसीटना ठीक नहीं है।’

उन्होंने आगे कहा कि एक राजनीतिक नेता के रूप में उदयनिधि, जो आगे बढ़ना चाहते हैं तो इसके लिए उन्हें अपनी जुबान पर ध्यान देना चाहिए और ऐसे शब्द बोलने चाहिए जो उनके पद की गरिमा के अनुरूप हों। निर्मला सीतारमण ने यह भी कहा कि केंद्र ने हाल ही में बारिश के प्रकोप के दौरान राज्य को 900 करोड़ रुपये पहले ही वितरित कर दिए हैं। उन्होंने कहा,”मैं तो यह नहीं कह रही हूं कि यह मेरे पिता का पैसा है या उनके पिता का पैसा है।”

तमिलनाडु के वित्त मंत्री का आरोप

इस बीच, तमिलनाडु के वित्त मंत्री थंगम थेनारासु ने कहा कि मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के अनुरोध के बावजूद निर्मला सीतारमण ने पैसा प्रदान करने से इनकार करके राज्य के लोगों का अपमान किया है, जो आपदा से जूझ रहे थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सीतारमण ने बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए द्रमुक सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान “दुश्मन देश पर युद्ध छेड़ने की क्रोधपूर्ण भाषा में” जवाब दिया था।

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