प्रयागराज में वार्षिक वायु सेना दिवस परेड के दौरान वायु सेना के नए ध्वज का अनावरण किया,जानें नए झंडे में क्या नया

0

नई दिल्ली। भारतीय वायु सेना (IAF) प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने रविवार को प्रयागराज में वार्षिक वायु सेना दिवस परेड के दौरान वायु सेना के नए ध्वज का अनावरण किया। 72 वर्षों में यह पहली बार भारतीय वायुसेना द्वारा इस तरह का अभ्यास किया गया है। नौसेना की तरह औपनिवेशिक अतीत का त्याग करते हुए अपने ध्वज में बदलाव किया है। यह एक ऐतिहासिक अवसर था। नए ध्वज में सबसे ऊपर और दाएं कोने में भारतीय वायुसेना की शिखा को दर्शाया गया है।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय वायु सेना की आधिकारिक तौर पर 8 अक्टूबर, 1932 को स्थापना की गई थी। इसकी दक्षता और उपलब्धियों को देखते हुए मार्च 1945 में इसे “रॉयल” शब्द से सम्मानित किया गया था। इसके बाद यह रॉयल इंडियन एयर फोर्स बन गई। 1947 में देश को आजादी मिलने के बाद 1950 में वायुसेना ने अपने नाम में लगा रॉयल उपसर्ग हटा दिया। अपने झंडे को भी बदल लिया।

आरआईएएफ ध्वज में ऊपरी बाएं कैंटन में यूनियन जैक और फ्लाई साइड पर आरआईएएफ राउंडेल (लाल, सफेद और नीला) शामिल था। स्वतंत्रता के बाद निचले दाएं कैंटन में यूनियन जैक को भारतीय तिरंगे के साथ और आरएएफ राउंडल्स को आईएएफ तिरंगे राउंडेल के साथ बदलकर भारीतय वायुसेना का ध्वज बनाया गया था।

भारतीय वायुसेना ने एक बयान में कहा, “भारतीय वायु सेना के मूल्यों को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने के लिए अब एक नया ध्वज बनाया गया है। ध्वज के ऊपरी दाएं कोने में फ्लाई साइड की ओर वायु सेना क्रेस्ट को शामिल किया गया है।”

भारतीय वायुसेना के शिखा पर राष्ट्रीय चिन्ह है। शीर्ष पर अशोक स्तंभ है। उसके नीचे देवनागरी में ‘सत्यमेव जयते’ लिखा है। अशोक स्तंभ के नीचे एक हिमालयी ईगल है जिसके पंख फैले हुए हैं, जो भारतीय वायुसेना के लड़ने के गुणों को दर्शाता है।

भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य ‘गौरव के साथ आकाश को छूएं’ देवनागरी में हिमालयन ईगल के नीचे अंकित है। यह वाक्य वाक्य भगवद गीता के अध्याय 11 के श्लोक 24 से लिया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed