नेहरू की दो गल्तियों की वजह से जम्मू-कश्मीर को भारी नुकसान उठाना पड़ा

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– सेना जीत रही थी, पंजाब का क्षेत्र आते ही संघर्ष विराम कर दिया गया, इसके बाद पीओके का जन्म हुआ

-संयुक्त राष्ट्र में भारत के आंतरिक मसले को नहीं ले जाना चाहिए था, नेहरू ने खुद इसे गलती माना था

-नेहरू पर की गई अमित शाह की टिप्पणी के बाद सदन में हंगामा मच गया, विपक्ष ने वाकआउट कर दिया

नई दिल्‍ली। लोकसभा में बुधवार को जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पास हो गया। इस दौरान सदन में जमकर हंगामा हुआ। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को लेकर भी सख्त टिप्पणी की। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पीएम नेहरू की दो बड़ी गल्तियों की वजह से जम्मू-कश्मीर को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। पहली गलती ये कि उन्होंने पाकिस्तान के साथ युद्धविराम की घोषणा की, दूसरी ये कि वो जम्मू-कश्मीर के मामले को संयुक्त राष्ट्र ले गए।
मंत्री अमित शाह ने कहा, संयुक्त राष्ट्र में भारत के आंतरिक मसले को नहीं ले जाना चाहिए था और अगर ले जाना जरूरी था तो संयुक्त राष्ट्र के चार्टर 51 के तहत ले जाना चाहिए था, लेकिन इसे चार्टर 35 के तहत ले जाया गया। ये एक ऐतिहासिक भूल थी। उन्होंने कहा कि नेहरू ने खुद इसे गलती माना था। लेकिन मैं इसे बड़ी गलती मानता हूं।

संघर्ष विराम का फैसला गलत था

अमित शाह ने कहा कि जब हमारी सेना जीत रही थी, पंजाब का क्षेत्र आते ही संघर्ष विराम कर दिया गया। इसके बाद ही पीओके का जन्म हुआ। उन्होंने कहा कि अगर संघर्ष विराम तीन दिन बाद किया जाता तो आज पीओके भारत का हिस्सा होता। उन्होंने कहा कि पूर्व पीएम नेहरू ने अगर उस समय सही कदम उठाया होता तो पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) अस्तित्व में ही नहीं आता।

नेहरू पर टिप्पणी से सदन में मचा हंगामा

पूर्व पीएम नेहरू पर की गई अमित शाह की टिप्पणी के बाद सदन में हंगामा मच गया। कांग्रेस के सदस्यों ने इसका पुरजोर विरोध किया। इस दौरान सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहसाबासी हुई। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल के सदस्यों ने सदन से वाकआउट कर दिया।

70 साल में अब लोगों को मिलेगा इंसाफ

अमित शाह ने ये भी कहा कि जम्मू कश्मीर से संबंधित जिन दो विधेयकों पर विचार किया जा रहा है वो 70 साल से अनदेखी का शिकार लोगों को इंसाफ दिलाने के लिए है। ये विधेयक उन लोगों को विधानसभा में प्रतिनिधित्व देंगे जिन्हें कश्मीर छोड़ना पड़ा था। गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू और कश्मीर पर दो विधेयकों में से एक में विधेयक में एक महिला सहित दो कश्मीरी समुदाय के लोगों को विधानसभा में नामांकित करने का प्रावधान है। पहले जम्मू में 37 सीटें थी लेकिन अब 47 सीटें है वहीं कश्मीर में पहले 46 सीटें थीं यहां एक सीट बढ़ा दी गई है, अब यहां 47 सीटें हो गई हैं।

पीओके के लिए 24 सीटें आरक्षित
अमित शाह ने कहा कि पीओके भारत का हिस्सा है इसीलिए वहां के लिए 24 सीटें आरक्षित रखी गई हैं। वहीं दो सीटें कश्मीरी प्रवासी समुदाय के लिए आरक्षित होंगी, साथ ही एक सीट पीओके से विस्थापित लोगों के लिए आरक्षित होगी। अमित शाह ने कहा कि पहली बार यहां 9 सीटें एससी/एसटी समुदायों के लिए आरक्षित होंगी।

दोनों विधेयकों को कश्मीरी याद रखेंगे

अमित शाह ने कहा कि 2019 में कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने के संबंध में जो विधेयक संसद में लाया गया था उसमें ये बात शामिल थी और इसलिए विधेयक में न्यायिक परिसीमन की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने परिसीमन की सिफारिश के आधार पर तीन सीटों की व्यवस्था की है। शाह ने कहा कि इन दोनों संशोधन को हर वो कश्मीरी याद रखेगा जो पीड़ित और पिछड़ा है।

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