अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महबूबा मुफ्ती बोलीं यह सजा-ए-मौत से कम नहीं
श्रीनगर। अनुच्छेद 370 की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। शीर्ष अदालत ने केंद्र के 370 पर फैसले को बरकरार रखा और कहा कि अब इस पर चर्चा करना मुनासिब नहीं क्योंकि जब जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बना था, तभी जम्मू कश्मीर ने अपनी संप्रभुता खो दी थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने खुशी जताई है तो जम्मू कश्मीर से भी प्रतिक्रियाए दी जा रहीं हैं। उमर अब्दुल्ला और गुलाम नबी आजाद समेत कई नेताओं ने इस फैसले पर निराशा जताई और कहा कि वे लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं। महबूबा मुफ्ती ने सोशल मीडिया पर विवादित वीडियो पोस्ट कर इस फैसले की सजा-ए-मौत से तुलना की है।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने फैसले को निराशाजनक बताया और कहा कि वे लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं। उमर ने एक्स पर लिखा, निराश हूं लेकिन हतोत्साहित नहीं। संघर्ष जारी रहेगा। भाजपा को यहां तक पहुंचने में दशकों लग गए। हम भी लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी (डीपीएपी) के प्रमुख गुलाम नबी आजाद ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निराशाजनक बताया। आजाद ने कहा, सर्वसम्मति से फैसला सुनने के बाद मैं निराश हूं। मैं पहले दिन से कहता था कि संसद या सुप्रीम कोर्ट इस पर फैसला ले सकते हैं। केंद्र सरकार ने इसे रद्द करवा दिया, इसलिए तीन-चार बार मामले की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट से भी उम्मीद खत्म हो गई है। महीनों और आज के फैसले से जम्मू-कश्मीर के लोग खुश नहीं हैं।
मुफ्ती ने कहा- हमारे विरोधी चाहते हैं हम हिम्मत छोड़ दें
महबूबा मुफ्ती ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विवादित बयान दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया, निसंदेह यह निराशाजनक है लेकिन, हमें निराश होने की जरूरत नहीं है। हमारे विरोधी चाहते हैं कि हम निराश हो जाएं और पीछे हट जाएं लेकिन, जम्मू कश्मीर के लोग इतने कमजोर नहीं हैं। यह हमारी हार नहीं है, यह आइडिया ऑफ इंडिया की हार है। उनकी हार है। जिस गंगा-जमुनी तहजीब के साथ कश्मीर के मुसलमानों ने पाकिस्तान को दरकिनार करके गांधी के मुल्क के साथ, हिन्दू भाइयों के साथ हाथ मिलाया, ये उनकी हार है। मुफ्ती ने कहा कि सरकार ने जिस गैर कानूनी कार्य को संसद में किया, उसे जो जायज करार दिया गया। यह सिर्फ जम्मू कश्मीर के लिए ही नहीं पूरे भारत के लिए सजा-ए-मौत से कम नहीं है। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने कहा कि न्याय फिर से जम्मू-कश्मीर के लोगों से दूर हो गया है। उन्होंने एक्स पर कहा, अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला निराशाजनक है। न्याय एक बार फिर जम्मू-कश्मीर के लोगों से दूर है। अनुच्छेद 370 भले ही कानूनी तौर पर खत्म कर दिया गया हो, लेकिन यह हमेशा हमारी राजनीतिक आकांक्षाओं का हिस्सा रहेगा।