भारतीय रुपया नेपाल में इतनी आसानी से क्‍यों चल जाता है, वजह जानकर आप भी हिल जाएंगे

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नई दिल्‍ली । अपनी जेब या पर्स में हाथ डालिए तो आपको जरूर रुपये का कोई न कोई नोट मिल जाएगा. सुबह से शाम तक आप कई बार इन पैसों को हाथ भी लगाते हैं, लेकिन क्‍या कभी ध्‍यान दिया है कि आपकी इस करेंसी पर एक विदेशी भाषा भी लिखी होती है। न जी, हम अंग्रेजी की बात नहीं कर रहे हैं. भारतीय रुपये पर भारत की 16 आधिकारिक भाषाओं के अलावा अंग्रेजी और एक विदेशी भाषा लिखी होती है. अगर आज तक आप नहीं जानते होंगे तो हम आपको बताते हैं।
आप रुपये की नोट को हाथ में लेकर देखिए तो सामने की ओर अंग्रेजी और हिंदी भाषा लिखी होती है, जबकि पीछे की तरफ 15 और भाषाओं का इस्‍तेमाल किया जाता है. ये भाषाएं देश में ऑफिशियल रूप से बोली जाने वाली 22 भाषाओं का हिस्‍सा हैं. लेकिन, आश्‍यर्च तब होता है जबकि इसमें एक विदेशी भाषा भी शामिल दिखती है।
कौन सी विदेशी भाषा का इस्‍तेमाल
भारतीय रुपये पर हिंदी, अंग्रेजी के अलावा देश में इस्‍तेमाल की जाने वाली 14 प्रादेशिक भाषाओं असमी, गुजराती, कन्‍नड़, कश्‍मीरी, मराठी, उडि़या, पंजाबी, तेलुगु, उर्दू, संस्‍कृत, तमिल, मलयालम, कोंकणी और बंगाली का इस्‍तेमाल किया जाता है. इसके अलावा एक विदेशी भाषा नेपाली भी भारतीय रुपये पर लिखी होती है. जी, बिल्‍कुल सही पढ़ा आपने भारतीय रुपये पर नेपाली भाषा भी लिखी होती है।
संविधान में भी शामिल है नेपाली भाषा
आपको जानकर हैरानी होगी कि नेपाली भाषा को देश की 22 आधिकारिक भाषाओं में शामिल किया गया है. इतना ही नहीं भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में भी नेपाली भाषा को शामिल किया गया है. यही कारण है कि नेपाली भाषा को भी भारतीय करेंसी पर जगह मिली है।
क्‍यों दी जा रही इतनी तवज्‍जो
नेपाली भाषा को इसलिए भी भारतीय रुपये पर जगह दी गई है, क्‍योंकि नेपाल ही एक ऐसा देश है जहां भारतीय करेंसी को सीधे तौर पर चलाया जा सकता है. इसकी वजह भी यही है कि एकमात्र भारतीय रुपये पर ही नेपाली भाषा लिखी होती है. लिहाजा इसे नेपाल में चलन मुद्रा के रूप में स्‍वीकार कर लिया जाता है. दोनों देशों के बीच सांस्‍कृतिक और पारंपरिक संबंध इतने मजबूत हैं कि भारत को अपनी करेंसी साझा करने में कोई दिक्‍कत नहीं होती।

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