शक्तिकांत दास बोले, कारोबारी घरानों को बैंकिंग लाइसेंस नहीं, मुश्किल होगी निगरानी

0

नई दिल्ली। कारोबारी घरानों को लेकर आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने स्पष्ट कहा, बैंक खोलने की मंजूरी देने की कोई योजना नहीं है। मंजूरी देने से हितों के टकराव और संबंधित पक्षों के लेनदेन से जुड़ा जोखिम बढ़ जाएगा। दास ने शुक्रवार को कार्यक्रम में कहा, बैंक चलाना अन्य व्यवसायों से अलग है। दुनियाभर के अनुभवों से पता चलता है कि संबंधित पक्ष के लेनदेन की निगरानी करना या उन्हें विनियमित करना और रोकना बहुत मुश्किल होगा। इसमें शामिल जोखिम बहुत अधिक होते हैं। आरबीआई ने एक दशक पहले कई बड़े कारोबारी समूहों को नए बैंकों का लाइसेंस देने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था। हालांकि आरबीआई के एक कार्यसमूह ने 2020 में इस मुद्दे पर नए सिरे से चर्चा शुरू की थी।

गवर्नर ने 1960 के दशक के अंत में बैंकों के राष्ट्रीयकरण से पहले के दौर का जिक्र करते हुए कहा, उस समय भारत में भी कारोबारी घराने बैंकिंग गतिविधियों में शामिल थे। हालांकि, अब हमें आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए अधिक बैंकों की जरूरत नहीं है बल्कि अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए संसाधनों की जरूरत है।

दास ने कहा, भारत को मजबूत व अच्छी तरह से संचालित बैंकों की जरूरत है। हमें लगता है कि ये प्रौद्योगिकी की मदद से पूरे देश में बचत जुटाने व कर्ज जरूरतें पूरा करने में सक्षम होंगे। दास ने कहा, मौजूदा माहौल में वृद्धि दर अच्छी है। मौद्रिक नीति को स्पष्ट रूप से महंगाई को काबू में लाने पर जोर देना चाहिए। तटस्थ दरों को लेकर बहस के बीच उन्होंने कहा, सैद्धांतिक और अमूर्त अवधारणाएं किसी व्यक्ति के निर्णय पर आधारित होती हैं। ये वास्तविक दुनिया में नीति निर्धारित नहीं कर सकती हैं।

अधिक ब्याज दर के कारण वृद्धि पर पड़ने वाले प्रभाव पर गवर्नर ने कहा, मौजूदा नीतिगत दर के बावजूद वृद्धि मजबूत रही है। हम 2024-25 में 7.2 फीसदी की वृद्धि दर का लक्ष्य हासिल कर लेंगे। केंद्रीय बैंक विशेष रूप से खाने-पीने की वस्तुओं की मुद्रास्फीति के मोर्चे पर ध्यान दे रहा है। थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई पर भी नजर है।

दास ने कहा, उनके छह साल के कार्यकाल में सरकार और आरबीआई के संबंध अच्छे रहे हैं। इसकी वजह से कोविड-19 के बाद अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार हुआ है। अपने पूर्ववर्ती की लिखी पुस्तक में लगाए आरोपों पर कहा, कोई भी यह उम्मीद नहीं करता कि आरबीआई ‘चीयरलीडर’ बनेगा। मेरा ऐसा कोई अनुभव नहीं है। दास का कार्यकाल इस साल दिसंबर में खत्म हो रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *