इस बार मां के इस सवारी से राजनीतिक में उथल-पुथल और आपदाओं का द्योतक, जानेंइसका महत्व
नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार वर्ष में चार बार नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। इसमें दो मुख्य होते हैं, चैत्र और शारदीय नवरात्रि। इस बार चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से आरंभ हो रही है और इसका समापन 17 अप्रैल को होगा। 17 को रामनवमी मनाई जाएगी। इन पूरे नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग अलग रूपों की पूजा की जाती है। इस बार प्रतिपदा तिथि नौ अप्रैल दिन मंगलवार पड़ रहा है। इसी दिन घट स्थापना के साथ नौ दिन तक मां दुर्गा की आराधना प्रारंभ होगी।
मां के आगमन और गमन की सवारी है अहम- मां दुर्गा चैत्र नवरात्र में किस वाहन से आती हैं और किससे जाती हैं, यह बेहद महत्वपूर्ण है। क्योंकि इसी से देश की दिशा और दशा की भविष्यवाणी तय होती है। वेदाचार्य पंडित त्रिपाठी बताते हैं कि इस बार मां दुर्गा का आगमन मंगलवार के दिन को हो रहा है। देवी पुराण के अनुसार मंगलवार को देवी घोड़े पर सवार होकर आती हैं, जिसे शुभ नहीं माना जाता। यह राजनीतिक उथल-पुथल, युद्ध और आपदाओं का द्योतक है।
स्थापित कलश होता है भगवान विष्णु का प्रतीक- खड़ेश्वरी मंदिर के पुजारी राकेश पांडेय बतातें हैं कि नवरात्रि के पूरे नौ दिन मां देवी को समर्पित होते हैं। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कलश को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है। इसलिए नवरात्रि के दिन देवी दुर्गा की पूजा से पहले कलश की स्थापना की जाती है। इस वर्ष अश्विनी नक्षत्र में प्रात: 6।11 बजे से लेकर 10।23 बजे तक कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त बन रहा है। अश्विनी नक्षत्र और मंगलवार पड़ने के कारण विशेष योग अमृतसिद्धि का निर्माण हो रहा है, जो कि इस तिथि को और भी विशेष बना रहा है।