शारदीय नवरात्र का अंतिम दिन आज, मां सिद्धिदात्री की हो रही पूजा-अर्चना

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शारदीय नवरात्रि का आज अंतिम दिन है। महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मंदिरों में सुबह से भक्तों का तांता लगा हुआ है। वहीं आज कन्याभोज भी जगह- जगह करवाया जा रहा है।

मान्यता के अनुसार, माता सिद्धिदात्री की पूजा से सभी तरह की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। उनके इस दिव्य रूप को सरस्वती जी का ही एक रूप माना जाता है। माता को बैंगनी और लाल रंग बेहद प्रिय हैं। मां सिद्धिदात्री की सवारी शेर है। माता कमल पर विराजमान होती है। मान्यता है कि माता सिद्धिदात्री को तिल का भोग लगाने से सारी मुराद पूरी होती है। माना जाता है कि पूजा-पाठ और व्रत रखने से मन को शांति मिलती है। इसके अलावा कई शारीरिक संबंधी समस्याएं भी दूर होती हैं। आज सुबह से ही तमाम देवी मंदिरों में और दुर्गा पंडाल में आज हवन-पूजन करवाया जा रहा है।

माता सिद्धिदात्री की महिमा

सनातन धर्म में नवरात्र के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा विशेष रूप से की जाती है। नवरात्र की आखिरी तिथि यानी नवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा करने का विधान है। अगर भक्त, शक्ति के नौवें रूप की पूजा करें, तो विशेष फल की प्राप्ति होती है। नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और घर का माहौल खुशनुमा बना रहता है। मां सिद्धिदात्री का स्वरूप अत्यंत दिव्य है।

मां का वाहन सिंह है और देवी भी कमल पर विराजमान हैं। उनकी चार भुजाएं हैं, उनके निचले दाहिने हाथ में एक चक्र, उनके ऊपरी हाथ में एक गदा, उनके निचले बाएं हाथ में एक शंख और उनके ऊपरी हाथ में एक कमल का फूल है।

मां सिद्धिदात्री के मंत्र

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।
वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्।।
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

मां का वाहन सिंह है और देवी भी कमल पर विराजमान हैं. उनकी चार भुजाएं हैं, उनके निचले दाहिने हाथ में एक चक्र, उनके ऊपरी हाथ में एक गदा, उनके निचले बाएं हाथ में एक शंख और उनके ऊपरी हाथ में एक कमल का फूल है।

नंदा पर्वत पर विरजमान हैं मां सिद्धिदात्री

हिमाचल का नंदा पर्वत माता सिद्धिदात्री का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। देवी की कृपा से ही भगवान शिव को आठ सिद्धियों की प्राप्ति हुईं, ठीक उसी तरह इनकी उपासना करने से अष्ट सिद्धि और नव निधि, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है।

मां सिद्धिदात्री को लगाएं ये भोग

महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री को नारियल, पंचामृत और पुआ का भोग जरूर लगाएं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन चीजों का भोग लगाने से माता बेहद प्रसन्न होती हैं और अपनी कृपा बरसाती हैं।

माता सिद्धिदात्री की महिमा

सनातन धर्म में नवरात्र के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा विशेष रूप से की जाती है। नवरात्र की आखिरी तिथि यानी नवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा करने का विधान है। अगर भक्त, शक्ति के नौवें रूप की पूजा करें, तो विशेष फल की प्राप्ति होती है। नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और घर का माहौल खुशनुमा बना रहता है. मां सिद्धिदात्री का स्वरूप अत्यंत दिव्य है।

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