कब हैं मोक्षदा एकादशी व्रत जानें इसकी कहानी और तिथि व व्रत पारण के नियम
नई दिल्ली। हिंदू धर्म में मोक्षदा एकादशी का बहुत महत्व है। कहा जाता है कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था। हर साल मार्गशीर्ष मास की एकादशी को मोक्षदा एकादशी मनाई जाती है, ऐसे में मोक्षदा एकादशी पर व्रत करने का विशेष महत्व होता है, लेकिन मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा क्या है और व्रत करने का नियम क्या कहता है आइए हम आपको बताते हैं।
मोक्षदा एकादशी व्रत नियम
मोक्षदा एकादशी पर व्रत करने से पहले सुबह स्नान आदि करके सबसे पहले व्रत का संकल्प लें। व्रत का पारण चावल या आंवला से करना चाहिए और मोक्षदा एकादशी के दौरान भूल कर भी बैंगन, मसूर, उड़द की दाल, मूली और चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रत पारण में किसी ब्राह्मण को भोजन करा कर खुद भोजन ग्रहण करना चाहिए।
मोक्षदा एकादशी व्रत कथा
मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु के दामोदर रूप की पूजा की जाती है। मान्यताओं के अनुसार, गोकुल नगर में बैखानस नाम का राजा रहता था, उसके राज्य में चारों वेदों को जानने वाले ब्राह्मण रहते थे। एक बार रात में राजा ने एक सपना देखा कि उसके पिता नरक में चले गए और यह सोचकर उसे बहुत बुरा लगा। सुबह उठकर वह विद्वान ब्राह्मणों के पास गए और अपना सपना उन्हें बताया, राजा ने ब्राह्मणों को बताया कि मेरे पिता ने कहा यहां से तुम मुझे मुक्त कराओ।।। उनकी बात सुनकर मैं बहुत बेचैन हूं। अब आप कृपा करके कोई ऐसा उपाय बताए जिससे मेरे पता को मुक्ति मिल जाए। ब्राह्मणों ने कहा- हे! राजन यहां पास में ही भूत, भविष्य, वर्तमान के ज्ञाता पर्वत ऋषि का आश्रम है वो ही आपकी समस्या का हल कर सकते हैं, ऐसा सुनकर राजा मुनि के आश्रम गए।
मुनि के आश्रम में कई साधु संत और योगी तपस्या कर रहे थे, उसी जगह पर्वत मुनि बैठे थे। राजा ने मुनि को साष्टांग दंडवत प्रणाम किया और अपनी व्यथा बताई। तब मुनि बोले हे! राजन मैंने योग के बल से तुम्हारे पिता के कुकर्म को जान लिया है, उन्होंने पूर्व जन्म में कामातुर होकर एक पत्नी को रति दी, पर सौत के कहने पर दूसरी पत्नी को रितुदान मांगने पर भी नहीं दिया। उसी पापकर्म के कारण तुम्हारे पिता को नर्क में जाना पड़ा है, तब राजा ने कहा इसका कोई उपाय बताएं? तो मुनि ने कहा आप मार्ग शीर्ष एकादशी का उपवास करें और उस उपवास के पुण्य को अपने पिता को अर्पित कर दें। ऐसे में मुनि के वचन सुनकर राजा महल में आए और मोक्षदा एकादशी का व्रत किया। इसके प्रभाव से उनके पिता को मुक्ति मिल गई और स्वर्ग जाते हुए राजा के पिता ने कहा हे! पुत्र तेरा कल्याण हो। इसलिए इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है, जो लोग मोक्षदा एकादशी का व्रत करते हैं उनके सभी पाप दूर होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
डिस्क्लेमर:यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। आज खबर डाॅॅट इन इसकी पुष्टि नहीं करता है।)