ठीक इस वक्त पर होगी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की रस्म, अयोध्या के कोटपाल को पहला न्योता
नई दिल्ली । भगवान राम (lord ram)के नवनिर्मित मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा (Dignity of life)की रस्म आगामी 22 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर होगी। राम मंदिर का निर्माण (construction of ram temple)करा रही संस्था श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने सोमवार को यह जानकारी दी। इसके साथ ही उन्होंने सबसे पहले अयोध्या के कोटपाल (किले के रक्षक) कहलाने वाले मत्त गजेन्द्र महाराज का पूजन कर उन्हें प्राण-प्रतिष्ठा का निमंत्रण दिया। साल के पहले दिन से अयोध्या की एक कॉलोनी से पूजित अक्षत वितरण की शुरुआत की गई।
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा, ‘प्राण-प्रतिष्ठा के बाद आरती करो, पास-पड़ोस के बाजारों में, मुहल्लों में भगवान का प्रसाद वितरण करो और सूर्यास्त के पश्चात दीपक जलाओ। ऐसा आग्रह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या से किया है।’ रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए अयोध्या में जोर शोर से तैयारी की जा रही है। प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले सजावट के लिए भोपाल की नर्सरी के बोगनविलिया फूलों का इस्तेमाल होगा। समारोह में एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है।
अयोध्या के कोटपाल को अक्षत से पहला न्योता
रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव पर 22 जनवरी को देश के पांच लाख मंदिरों में एक साथ उत्सव मनाने के लिए सोमवार से पूजित अक्षत का घर-घर वितरण शुरू कर दिया गया। नए साल के पहले दिन श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपतराय ने संत-महंतों के साथ सबसे पहले अयोध्या के कोटपाल (किले के रक्षक) कहलाने वाले मत्त गजेन्द्र महाराज का पूजन कर उन्हें प्राण-प्रतिष्ठा का निमंत्रण दिया। इसके साथ ही नगर निगम की बाल्दा कॉलोनी से पूजित अक्षत वितरण की शुरुआत की गई। घर-घर अक्षत वितरण में संघ-विहिप व अन्य संगठनों के कार्यकर्ताओं की टोलियों के अलावा भगवान राम एवं उनके अनुजों के स्वरूप भी शामिल थे। कॉलोनी में पहुंचते ही महिलाओं व पुरुषों ने भगवान के स्वरूपों की आरती उतारी और पुष्प वर्षा से उनका अभिनंदन किया। इसके उपरांत तीर्थ क्षेत्र महासचिव ने परिवार के सदस्यों को पूजित अक्षत के पैकेट के अलावा राम मंदिर का चित्र एवं एक पत्रक भी सौंपा।
भगवान राम ने खुद बनाया था कोटपाल
पौराणिक मान्यता है कि लंका पर विजय के बाद प्रभु श्रीराम अयोध्या आए तो उनके साथ वानर सेना, विभीषण और उनके पुत्र मत गजेन्द्र भी आए थे। मर्यादा पुरुषोत्तम अपने परमधाम को जाने लगे तो हनुमान को अयोध्या का राजा और विभीषण के पुत्र मत गजेन्द्र को अयोध्या का कोटपाल बनाया था। अयोध्या में कोटपाल का खास स्थान भी है।