एक्सक्यूज मी तुम हिंदी एक्टर हो, सैफ के हिंन्दी ना समझने पर मां शर्मिला ने किया बेइज्जत
मुबंई। कॉफी विद करण शो का कॉन्ट्रोवर्सीज से पुराना नाता है। इस बार दीपिका और रणवीर वाला एपिसोड काफी ट्रोल किया गया था। अब सैफ अली खान और करण जौहर को रीसेंट एपिसोड के लिए ट्रोल किया जा रहा है। कॉफी विद करण सीजन 8 में सैफ अली खान अपनी मां शर्मिला टैगोर के साथ पहुंचे थे। बातचीत के बीच करण ने बताया कि उन्होंने सोहा से पूछा था कि क्या वह अपनी मां की फेवरिट हैं। इस पर सोहा बोलीं कि वह मानना चाहती हैं पर ऐसा नहीं है क्योंकि सैफ उनके ज्यादा चहेते हैं। करण बोले, इस मां-बेटे के रिश्ते में कुछ तो है। इस पर शर्मिला बोलीं- ‘पुत्र मोह’।दरअसल इस एपिसोड में शर्मिला टैगोर ने हिंदी के दो आसान से शब्द बोले। सैफ इनका मतलब नहीं समझ पाए । करण उनकी मदद करने लगे और वह भी सही नहीं बता पाए । शर्मिला ने दोनों को हिंदी कमजोर होने पर लताड़ लगाई। अब यह क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल है। लोग इस पर ट्रोलिंग कर रहे हैं।
सैफ को शर्मिला ने ही किया ट्रोल
सैफ चौंककर बोले क्या तो शर्मिला ने दोहराया- पुत्र मोह… बंगाली? शर्मिला ने उन्हें घूरकर कहा, एक्सक्यूज मी तुम हिंदी एक्टर हो। शर्मिला ने दोनों शब्दों को अलग-अलग करके समझाने की कोशिश की तो करण और सैफ पुत्र का मतलब बेटा समझ गए लेकिन मोह नहीं समझ आया।
सैफ बोले- मेरा बेटा
शर्मिला ने सैफ से पूछा, मोह का मतलब? सैफ बोले- जैसे गुलमोहर वैसे पुत्र मोहर का क्या मतलब है। इस पर करण भी बोले, पुत्र मोहर क्या है। शर्मिला झल्ला गईं और बोलीं- मोहर नहीं मोह। इस पर करण ने ऐसे रिएक्ट किया कि उन्हें समझ आ गया और जोर से बोले- मोह। फिर सैफ ने मोह का मतलब बताया मेरा और पुत्र मोह का मतलब मेरा बेटा। करण को भी लगा कि यही मतलब होता है। सैफ ने फिर से कहा कि बंगाली में पुत्र मोह का मतलब- मेरा बेटा। शर्मिला दोनों की समझ से परेशान हो गईं और बोलीं- मैं हार मानती हूं।
शर्मिला ने बताया मतलब
सैफ ने फिर पूछा, पुत्र मोह का क्या मतलब है? इस पर शर्मिला ने बताया, मोह का मतलब अटैचमेंट। इस पर सैफ बोले- मोह, मोह माया। इसके बाद करण और सैफ को समझ आया कि शर्मिला ने क्या बोला था।
एक यूजर ने कमेंट किया है, नवाजुद्दीन ने सही कहा था कि स्क्रिप्ट इंग्लिश में होती है, डायरेक्टर अंग्रेजी में बात करता है और फिल्म हिंदी बनाते हैं तो हिंदी सिनेमा में कुछ नया कैसे दिखेगा। एक ने लिखा है, बेल्ट से मारने की जरूरत है। एक कमेंट है, शर्मिलाजी खूबसूर, ग्रेसफुल और इस बातचीत में अकेली शिक्षित इंसान हैं। बाकी दोनों न घर के ना घाट के का उदाहरण हैं। एक कमेंट है, इतना तो कठिन शब्द भी नहीं है। ये लोग इतने दिनों से हिंदी फिल्में कैसे बना रहे हैं। एक ने लिखा है, इसीलिए अमिताभ बच्चन की तारीफ की जानी चाहिए। एक फॉलोअर ने लिखा है, तभी आदिपुरुष जैसी फिल्में बनती हैं। मोह मोह के धागे अवॉर्ड विनिंग गाना है