JNU की दीवारों पर फिर लिखें विवादित नारे, गाँधी-इंदिरा के फोटो के साथ NSUI का नाम भी

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नई दिल्‍ली । एनएसयूआई ने JNU में लिखे गए आपत्तिजनक नारों के मामले में खुद को अलग कर लिया है और कहा है कि ये काम शरारती तत्वों का काम है। जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (JNU) में एक बार फिर से आपत्तिजनक नारे लिखे गए हैं। इस बार जेएनयू के भाषा अध्ययन केंद्र में स्प्रे-पेंट से ‘बाबरी मस्जिद फिर बनेगी’ के स्लोगन लिखे गए हैं। स्लोगन के साथ ही 6 दिसंबर की तारीख भी लिखी हुई है। यही नहीं, इसके साथ ही एनएसयूआई का ठप्पा भी लगा है, जिसमें महात्मा गाँधी, सरदार भगत सिंह और इंदिरा गाँधी की तस्वीरें हैं। हालाँकि, एनएसयूआई ने कहा है कि ये काम शरारती तत्वों का है।

‘बाबरी मस्जिद फिर बनेगी’ और NSUI की सफाई

जानकारी के मुताबिक, जेएनयू के भाषा अध्ययन केंद्र की दीवारों पर ‘Rebuild Babri Masjid’ और ‘6 December’ लिखा मिला है। ये स्लोगन ऐसे समय में लिखा गया है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या जा रहे हैं और 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में भव्य राम मंदिर का लोकार्पण होने जा रहा है। वहीं, 6 दिसंबर की तारीख वह तारीख है, जब कारसेवकों ने विवादित बाबरी ढाँचे को गिरा दिया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मामले में NSUI के जेएनयू इकाई के अध्यक्ष सुधांशु शेखर की सफाई आई है। सुधांशु शेखर का कहना है कि उनके संगठन का नाम काले मार्कर से पहले ही लिखा गया था। बाद में वहाँ विवादित स्लोगन लाल रंग से लिख दिए गए। ये NSUI को बदनाम करने की कोशिश है। उन्होंने माँग की है कि पूरे इलाके की सीसीटीवी कैमरों की जाँच कराई जाए तो आरोपित पकड़े जा सकते हैं।

स्लोगन लिखे जाने पर जुर्माना

दरअसल, इस साल अक्टूबर में JNU में विवादित नारे लिखे जाने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने नए नियम बनाए थे। उस समय जेएनयू की दीवारों पर ‘फ्री कश्मीर’, ‘तेरी कब्र खुदेगी’ और ‘भगवा जलेगा’ जैसे स्लोगन लिखे गए थे। इसके बाद जेएनयू प्रशासन ने विश्वविद्यालय परिसर में किसी भी तरह के विवादित धार्मिक, सांप्रदायिक, जातिवादी या राष्ट्र-विरोधी टिप्पणियों वाले पोस्टर या पैम्फलेट को छापने, प्रसारित करने या चिपकाने पर रोक लगा दी थी। आदेश को नहीं मानने वालों पर भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया था।

इन नियमों के तहत पोस्टर या पैम्फलेट के अलावा यदि कोई छात्र किसी शैक्षणिक और प्रशासनिक परिसर के 100 मीटर के दायरे में भूख हड़ताल, धरना या किसी अन्य तरह के विरोध-प्रदर्शन में शामिल पाया जाता है या इनमें से किसी भी परिसर के प्रवेश या निकास को बाधित करते हुए पाया जाता है तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा। इसके अलावा, उसे 2 महीने के लिए छात्रावास या फिर परिसर से बाहर करने का प्रावधान किया गया था। इसमें 10 हजार रुपए से लेकर 30 हजार रुपए तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

नए नियमों के तहत हर तरह की जबरदस्ती जैसे कि घेराव, धरना या परिसर में कोई भी बदलाव (दीवारों को गंदा करना, परिसर की संपत्ति को नुकसान पहुँचाना) अब प्रतिबंधित सूची में हैं। मैनुअल में कहा गया है कि जिस छात्र को यूनिवर्सिटी में अपने अध्ययन के दौरान पाँच या उससे अधिक बार सज़ा मिलेगी, उसे हमेशा के लिए निष्कासित कर दिया जाएगा।

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