लोकसभा में पास होने के बाद कानून बनने को तैयार नए क्रिमिनल बिल, जानें बिलों से जुड़ा हर सवाल का जवाब

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नई दिल्‍ली । केंद्र सरकार की ओर से 3 नए क्रिमिनल रिफॉर्म बिल को लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पास करा लिया गया है और दोनों सदनों में पास होने के बाद यह बिल पूरी तरह से कानून बनने को तैयार है. जल्द ही इसे राष्ट्रपति के पास मुहर लगाने के लिए भेजा जाएगा. हालांकि इन कानून के आने के बाद भारत में न्याय की दशा में कैसे बदलाव आएगा हम इस पर बात करेंगे।

नए बिल में राजद्रोह (धारा 124A) को रद्द कर दिया गया है और इसकी जगह देशद्रोह का कानून लाया गया है. इस कानून में 7 साल से आजीवन कारावास तक का प्रावधान है जिसमें किसी भी सरकार की आलोचना को देशद्रोह नहीं बताया गया है। देश में बढ़ रहे लव जिहाद के मामलों पर लगाम लगाने के लिए पहचान छिपाकर या गुमराह कर के शादी करने वालों के लिए 10 साल तक की सजा और जुर्माना देने का प्रावधान तय किया गया है।

IPC की धारा 375 में रेप को परिभाषित करते हुए 7 परिस्थितियां बताई गई हैं और सजा को कम से कम 10 साल से आजीवन कारावास तक कर दिया गया है. नाबालिग के साथ रेप के मामले में फांसी की सजा भी देने का प्रावधान तय कर दिया गया है। जेंडर न्यूट्रैलिटी के तहत सिर्फ पुरुषों को ही नहीं बल्कि महिलाओं को भी रेप के मामले में आरोपी बनाया जाएगा. IPC की धारा 354A और IPC 354C के तहत महिलाओं को भी कानूनन आरोपी बनाया जा सकेगा।

भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता और भीड़ के द्वारा किए गए गुनाह पर जल्द सजा तय नहीं हो पाती थी लेकिन अब सरकार ने मॉब लिंचिंग के मामलों में फांसी तक की सजा तय कर दी है. देश में ठगी कर भाग जाने वाले अपराधियों के लिए कानून में बदलाव कर उनकी गैरमौजूदगी में भी ट्रॉयल शुरू करने का अधिकार दे दिया गया है. इतना ही नहीं भगोड़ा साबित करने के मामलों की संख्या भी 120 कर दी गई है।

नए क्रिमिनल बिल में पहली बार संगठित और असंगठित अपराध से निपटने के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है और इसे कंट्रोल करने के लिए पुलिस को कई शक्तियां भी दी गई हैं। नए कानून में आतंकवाद को परिभाषित किया गया है और धारा 113 के तहत भारत की एकता, अखंडता, और सुरक्षा को खतरे में डालने, आम जनता या उसके एक वर्ग को डराने या सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने के इरादे से किए गए काम को आतंकवाद माना जाएगा और इसके लिए मौत से लेकर उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान है।

पहली बार सरकार ने आतंकवाद से जुड़े कानून में आर्थिक सुरक्षा शब्द जोड़ा है और देश में जाली नोट या सिक्कों की तस्करी करने वालों को भी आतंकवादी माना जाएगा. सरकारी अफसरों के खिलाफ ताकत का इस्तेमाल करना भी आतंकवादी घटना मानी जाएगी। सरकार ने जीरो एफआईआर के साथ धाराएं जोड़ने की इजाजत दे दी है और साथ ही छोटे मामलों (3 साल से कम की सजा वाले) को समरी ट्रॉयल किया जाएगा. अगर इतने में खत्म नहीं होता तो अदालत 90 दिन और दे सकती है।

अब 180 के दिन के भीतर जांच पूरी कर के ट्रायल शुरू करना और अदालत को आरोप तय करने के लिए 60 दिन का समय मिलेगा. सुनवाई के बाद 30 दिन के अंदर फैसला सुनाना होगा जिसे 7 दिन और बढ़ाया जा सकता है।

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