विवाह पंचमी के दिन क्या करें और क्या न करें?
प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार विवाह पंचमी 17 दिसंबर को है।
सनातन धर्म में विवाह पंचमी का खास महत्व है
इस बार विवाह पंचमी 17 दिसंबर को है।
विवाह पंचमी के दिन मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं
नई दिल्ली। सनातन धर्म में विवाह पंचमी का खास महत्व है। विवाह पंचमी भगवान श्रीराम और मां सीता जी के विवाह की वर्षगांठ के रूप में मनाई जाती है।
इसलिए प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाता है।
इस बार विवाह पंचमी 17 दिसंबर को है। मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीराम विवाह का आयोजन करने से व्यक्ति को जीवन में सफलता हासिल होती है और वैवाहिक जीवन में खुशियों का आगमन होता है।
शास्त्रों में विवाह पंचमी के दिन कुछ कार्यों को करने की मनाही है। जिनको करने से व्यक्ति को अशुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आइए, आपको बताते हैं कि विवाह पंचमी के दिन क्या करें और न करें।
विवाह पंचमी के दिन क्या करें
विवाह पंचमी के अवसर पर भगवान श्रीराम और मां सीता का विवाह का आयोजन करना अधिक फलदायी होता है।
इस दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद भगवान श्रीराम और मां सीता की मूर्ति स्थापित कर पूजा करें।
विवाह पंचमी के दिन कुंवारी कन्याओं को 108 बार जानकी मंत्र का जाप करना चाहिए।
इस दिन उपवास अवश्य रखें।
इसके अलावा भजन-कीर्तन करना चाहिए।
गरीब लोगों को भोजन कराएं और श्रद्धा अनुसार दान दें।
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विवाह पंचमी के दिन क्या न करें
विवाह पंचमी के दिन तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
इसके अलावा मांगलिक कार्यों को करने से बचना चाहिए।
किसी का अपमान नहीं करना चाहिए और जीवनसाथी से लड़ाई- झगड़ा भी नहीं करना चाहिए।
अभद्र भाषा का प्रयोग न करें।
विवाह पंचमी के दिन पूजा करने से मिलेंगे ये लाभ
विवाह पंचमी के दिन बालकाण्ड विवाह कथा सुनने या पढ़ने से भगवान श्रीराम और माता सीता की कृपा सदैव बनी रहती है और वैवाहिक जीवन में खुशियों का आगमन होता है। पूजा के दौरान मां सीता को सुहाग की चीजें जैसे चूड़ी, सिंदूर, काजल, बिछिया, बिंदी, मेहंदी और पायल अर्पित करें। धार्मिक मत है कि इस काम को करने से वैवाहिक जीवन में कोई परेशानी नहीं आती है।