क्या आप जानती हैं स्तनपान भी हो सकता है दर्दनाक? दर्द होने के पीछे छिपे हो सकते हैं ये 7 कारण
क्या आप जानती हैं कि बच्चे को स्तनपान करवाना भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है? एक सर्वे के मुताबिक 83 प्रतिशत नई मां इसमें चुनौती का सामना करती हैं और फिर भी विशेषज्ञ की सलाह नहीं लेतीं।
नवजात शिशु के लिए मां का दूध ही सर्वोत्तम आहार होता है, इसीलिए बच्चा होने पर डॉक्टर नई मां को ज्यादा से ज्यादा स्तनपान कराने की सलाह देते हैं। लेकिन कुछ महिलाओं के लिए अपने शिशु को स्तनपान कराना बहुत बड़ी चुनौती बन जाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जिसमें पर्याप्त मात्रा में दूध ना बनना, स्तनपान की सही तकनीक ना पता होना, इससे जुड़ी समस्याओं के बारे में बात ना करना या असहज महसूस करना कुछ ऐसे कारण हैं, जो नई मां के लिए समस्या का सबब बन सकते हैं। लेकिन इन सभी समस्याओं में शिशु को स्तनपान कराते समय दर्द होना एक ऐसी समस्या है, जो ज्यादातर प्रसूताएं महसूस करती हैं। लेकिन यह कोई ऐसी समस्या नहीं है, जिसका इलाज संभव नहीं है। स्तनपान करवाना क्यों कई महिलाओं के लिए हो जाता है मुश्किल भरा काम, बता रही हैं स्वाति गौड़।स्तनपान के दौरान दर्द होने के पीछे छिपे हो सकते हैं ये कारण-
र्लैंचग की समस्या-
शुरुआत में शिशु को सही ढंग से निप्पल पर पकड़ बनानी नहीं आती है, जिसकी वजह से वह पूरी तरह दूध नहीं पी पाता और निप्पल पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। इसे र्लैंचग की समस्या कहते हैं और इससे निप्पल में दर्द या घाव हो सकते हैं।
अत्यधिक दूध का स्त्राव-
कुछ महिलाओं को बहुत ज्यादा दूध बनता है और शिशु उसे पूरी तरह पी नहीं पाता। ऐसा होने पर स्तनों पर सूजन आ सकती है और तेज दर्द भी होता है।
बैक्टीरियल संक्रमण-
ब्रेस्ट टिश्यूज में बैक्टीरियल संक्रमण हो जाने पर स्तनों पर लालिमा, सूजन, बुखार और तेज दर्द की शिकायत हो सकती है।
फंगल इंफेक्शन-
इस संक्रमण को थ्रश के नाम से भी जाना जाता है। इसमें निप्पल और ब्रेस्ट में खुजली, जलन और तेज दर्द की शिकायत हो सकती है।
दूध कम बनना-
यदि शिशु शुरुआत में अच्छी तरह स्तनपान नहीं कर पाता, तो धीरे-धीरे दूध कम बनने लगता है और लंबे समय तक ऐसा चलने पर दूध बनना बिल्कुल बंद हो सकता है। इसके अलावा मां का तनावग्रस्त रहना भी दूध बनने में बाधक होता है।
दूध नलिकाओं में रुकावट-
मिल्क डक्ट यानी दूध नलिकाएं मां के स्तन से बच्चे के मुंह तक आहार पहुंचाने का जरिया होती हैं। लेकिन इनमें किसी प्रकार की रुकावट या गांठ पड़ जाने पर दूध की आपूर्ति कम हो जाती है।
निपल्स पर घाव हो जाना-
नवजात शिशु एक बार में बहुत ज्यादा दूध नहीं पी पाता इसलिए उसे बार-बार स्तनपान कराना पड़ता है। इससे स्तनों पर जख्म हो जाते हैं।
क्या है समाधान?
बच्चे को सही मुद्रा में पकड़ना-
इस बात का ध्यान रखें कि दूध पिलाते समय बच्चे का मुंह पूरी तरह खुला हो ताकि वह निप्पल को पूरी तरह मुंह में ले सके और उसकी ठुड्डी आपके स्तन को छू रही हो। साथ ही हमेशा बैठ कर दूध पिलाएं।
अतिरिक्त दूध निकाल देना-
कभी-कभी ज्यादा मात्रा में दूध बनने से स्तनों पर सूजन और दर्द हो सकता है। ऐसा होने पर दूध पिलाने से पहले अतिरक्त दूध निकल दें, इससे शिशु को दूध पिलाते समय दर्द नहीं होगा।
ठंडी और गर्म सिंकाई-
दर्द होने पर गर्म कपड़े से सिंकाई करने से सूजन और दर्द में आराम मिलता है। ठंडी सिंकाई भी दर्द के एहसास को कम करने में मदद करती है।
आरामदायक मुद्रा में बैठें-
दूध पिलाते समय एक बड़े से तकिए पर बच्चे को इस तरह लेटाएं कि बिना ज्यादा झुके आप सीधे बैठकर उसे दूध पिला सकें। बहुत देर तक एक ही स्तन से दूध ना पिलाएं ।
दर्द निवारक दवाएं-
डॉक्टर की सलाह पर दर्द निवारक दवाओं या लोशन का इस्तेमाल करें। इससे दर्द में राहत मिलने के साथ-साथ घावों को जल्द ठीक होने में भी मदद मिलेगी।
आजमाएं ये उपाय भी-
-भरपूर पौष्टिक आहार लें ताकि पर्याप्त मात्रा में दूध बन सके।
-रात के समय विशेष रूप से बच्चे को दूध पिलाएं, ताकि दूध जमा ना हो।
-अतिरिक्त दूध बनने पर उसे मशीन की सहायता से या हाथों से दबाकर निकाल लें और स्टोर कर लें।
-स्तनपान कराने वाली मांओं के लिए विशेष रूप से मिलने वाले इनर ही पहनें ताकि ब्रेस्ट को सपोर्ट मिल सके।
-निप्पल की स्वच्छता का पूरा ख्याल रखें और बच्चे के दूध पी लेने के बाद किसी नर्म कपड़े से उन्हें जरूर साफ करें ताकि किसी प्रकार के संक्रमण का डर ना रहे।