सभी की निगाहें ,राजस्थान में इन वीआईपी सीटों पर टिकी हैं
जयपुर। राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा के दिग्गज प्रत्याशियों वाली वीआईपी सीटों पर सबकी नजरें टिकी हैं। राजस्थान विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस से सीएम अशोक गहलोत, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी, मंत्री शांति धारीवाल, बीडी कल्ला, भंवर सिंह भाटी, महेंद्रजीत सिंह मालवीय, सालेह मोहम्मद, ममता भूपेश, प्रताप सिंह खाचरियावास, राजेंद्र यादव, शकुंतला रावत, उदय लाल आंजना, अशोक चांदना, राजेंद्र यादव, शकुंतला रावत, उदय लाल आंजना, और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट वीआईपी उम्मीदवारों में शामिल हैं।
भाजपा से पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया, सांसद दीया कुमारी, राज्यवर्धन राठौड़, बाबा बालकनाथ और किरोड़ी लाल मीणा वीआईपी उम्मीदवार हैं। झालरापाटन राजस्थान के रण में सबसे हाई प्रोफाइल सीटों में शुमार है, जहां से भाजपा की कद्दवार नेता और राज्य की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे मैदान में हैं। वसुंधरा और झालरापाटन का ये रिश्ता काफी पुराना रहा है।
साल 2003 से राजे झालरापाटन से विधायक हैं और अबकी बार पांचवीं बार वो इस सीट पर मैदान में हैं। बता दें कि झालरापाटन को राजस्थान में बीजेपी का गढ़ माना जाता है, जिसे भेदने का सपना कांग्रेस अब तक साकर नहीं कर पाई है। अगर साल 2018 विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर गौर करें तो, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने यहां से 1,16,484 वोट मिले थे।
इस बार कांग्रेस से, रामलाल चौहान (पिड़ावा) राजे के सामने चुनाव लड़ रहे हैं। सौंधिया राजपूत चेहरे के बदौलत कांग्रेस ने उनकी उम्मीदवारी का दाव खेला है। साथ ही क्षेत्र में सौंधिया राजपूत समाज के वोटर की जातिगत गणित साधते हुए बेहतर समीकरण के आस में उन्हें टिकट सौंपा हैं।
अशोक गहलोत 2018 से राजस्थान के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेता गहलोत 1998 से 2003 तक और फिर 2008 से 2013 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। वह 1999 से सरदारपुरा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जब उन्होंने उपचुनाव में जीत हासिल की थी। गहलोत ने 2003, 2008, 2013 और 2018 में सीट जीती।
2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में, गहलोत ने भारतीय जनता पार्टी के शंभू सिंह खेतासर को 45,597 वोटों से हराया। गहलोत 1985, 1994 और 1997 में राजस्थान राज्य कांग्रेस प्रमुख भी रहे। वह पहली बार जनता पार्टी के उम्मीदवार बलबीर सिंह कच्छवाह को हराकर जोधपुर निर्वाचन क्षेत्र से 7वीं लोकसभा के लिए चुने गए। हालांकि भाजपा ने गहलोत के सामने महेंद्र सिंह राठौड़ को उतारा है. लिहाजा इस मुकाबले पर पूरे देश की नजर टिकी रहेगी।
फिलहाल राजस्थान की राजगद्दी पर काबिज कांग्रेस ने अपने पांच साल के कार्यकाल में कई समस्याओं का सामना भी किया, इसकी एक मुख्य वजह रही गहलोत और दिग्गज कांग्रेस नेता सचिन पायलट के बीच खराब रिश्ते। इसीलिए ये सीट भी काफी ज्यादा जरूरी हो जाती है। बता दें कि टोंक में साल 2018 में पहली बार सचिन पायलट यहां से चुनाव जीते थे।
इससे पहले भाजपा के अजीत सिंह मेहता यहां के विधायक रह चुके हैं। हालांकि टोंक का चुनावी इतिहास कांग्रेसमय ही रहा है, क्योंकि साल 1998, 2003 और 2008 तक यहां कांग्रेस की ही सत्ता रही है। हालांकि 2013 वाली कहानी दोबारा रिपीट करने की आस लिए भाजपा ने फिर मेहता को मैदान में उतारा है।
लक्ष्मणगढ़ में, यह राजस्थान के तीन जिलों सीकर, झुंझुनू और चूरू में फैली 21 सीटों वाले शेखावाटी क्षेत्र में जाट राजनीति के ताज के लिए लड़ाई है। लक्ष्मणगढ़ में जाट मतदाताओं (लगभग 92,000) की अच्छी उपस्थिति है, जो शेखावाटी क्षेत्र में राजनीतिक रूप से मायने रखते हैं और इस प्रकार, इस सीट पर ‘जाट बनाम जाट’ मुकाबला देखा जा रहा है।
इसलिए, न तो मौजूदा कांग्रेस और न ही प्रमुख प्रतिद्वंद्वी भाजपा 2024 के लोकसभा चुनावों से लगभग छह महीने पहले कोई कसर नहीं छोड़ रही है। कांग्रेस पार्टी के सबसे प्रमुख जाट चेहरे और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा, जो इस सीट से लगातार चौथी बार चुनाव लड़ रहे हैं, को पूर्व केंद्रीय मंत्री और सीकर से तीन बार सांसद (1998-2009) भाजपा के सुभाष महरिया से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
सवाई माधोपुर सीट राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में आती है। साल 2018 के पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार ने इस सीट पर कब्जा जमा लिया था। इस सीट पर अधिकतर कांग्रेस का ही राज रहा है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां जीत हासिल की थी। भाजपा एक बार फिर इस सीट पर कब्जा करने की पूरी तैयारी कर चुकी है। BJP नेतृत्व ने इसी वजह से इस बार सवाई माधोपुर विधानसभा सीट से राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा को उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारा है। इस सीट पर किरोड़ी लाल मीणा की टक्कर कांग्रेस के मौजूदा विधायक दानिश अबरार से है।