सुप्रीम कोर्ट को मुहर लगते ही आज तीन नए जज मिल गए
NEW DELHI: केंद्र की मोदी सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश पर मुहर लगा दी।
केंद्र की मुहर लगते ही सुप्रीम कोर्ट को आज तीन नए जज मिल गए और इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में जजों की अधिकतम संख्या पूरी हो गई।
केंद्र ने जिन नामों पर मुहर लगाई है, उनमें दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा, राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह और गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संदीप मेहता शामिल है।
बता दें कि तीनों जज ने आज शाम 4 बजे सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश के तौर पर शपथ ली।
दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हैं सतीश चंद्र शर्मा
30 नवंबर 1961 को जन्में जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा फिलहाल दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हैं। इससे पहले वह तेलंगाना हाईकोर्ट के भी चीफ जस्टिस रह चुके हैं।
उन्होंने कर्नाटक हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश और कर्नाटक हाईकोर्ट और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जज के रूप में कार्य किया है।
1984 में उन्होंने अपने वकालत करियर की शुरुआत की। शर्मा 28 जून 2022 को दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे।
मई 2023 से राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हैं एजी मसीह
जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह मौजूदा वक्त में राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हैं। उन्हें 30 मई 2023 को राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में पदोन्नत किया गया था।
इससे पहले वह पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जज रह चुके हैं। जस्टिस एजी मसीह को 10 जुलाई, 2008 को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
वह ऑल इंडिया हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की वरिष्ठता सूची में सातवें स्थान पर हैं और अपने मूल हाईकोर्ट के न्यायाधीशों में पहले स्थान पर हैं।
जस्टिस संदीप मेहता अभी गुवाहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हैं। इससे पहले वह राजस्थान हाईकोर्ट के जज थे। जस्टिस मेहता 30 मई 2011 को राजस्थान हाईकोर्ट के जज बने थे।
वह इस साल 15 फरवरी से गुवाहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस है। वह ऑल इंडिया हाईकोर्ट जजों की सीनियॉरिटी लिस्ट में 23वें नंबर पर हैं और अपने मौजूदा हाईकोर्ट में जजों में पहले स्थान पर हैं।
बता दें कॉलेजियम का गठन 1993 में हुआ था। ये सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की एक कमेटी है। इसके अध्यक्ष चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया होते हैं।
कॉलेजियम जजों की नियुक्ति और प्रमोशन से जुड़े मामलों पर फैसला लेती है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जज की नियुक्ति कॉलेजियम की सिफारिश पर ही होती है।
इसके लिए कॉलेजियम केंद्र सरकार को नाम भेजती है, जिसे सरकार राष्ट्रपति के पास भेजती है।
राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद नोटिफिकेशन जारी होता है और जज की नियुक्ति होती है। आमतौर पर सरकार कॉलेजियम की सिफारिशों को मान लेती है। लेकिन कई बार कुछ नामों को दोबारा विचार करने को कहती है।
हालांकि, अगर फिर से कॉलेजियम वही नाम सुझाती है तो सरकार उसे मंजूर करने के लिए बाध्य है।