मप्र में अमित शाह की समझाइश के बाद बगावत के सुर हुए गोल – aajkhabar.in
भोपाल । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के तीन दिन के प्रवास ने मध्य प्रदेश भाजपा में बगावत का बिगुल फूंकने वालों के अरमान ठंडे कर दिए। अपने दौरे के आखिरी दिन सोमवार को इंदौर में उन्होंने कई असंतुष्ट नेताओं से चर्चा की।
ग्वालियर-चंबल संभाग के पदाधिकारियों से चर्चा
इसमें पूर्व मंत्री रंजना बघेल भी शामिल थीं। अमित शाह ने बघेल से बातचीत की तो उन्होंने नामांकन पत्र नहीं भरा। अमित शाह ने ग्वालियर-चंबल संभाग के पदाधिकारियों से भी चर्चा की। इस दौरान अमित शाह ने हर संभाग के पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में स्थानीय बागी नेताओं से बातचीत की और उन्हें चुनाव न लड़ने के लिए सहमत कर लिया।
कई असंतुष्टों ने बदला निर्णय
उनकी समझाइश का असर रहा कि जबलपुर में धीरज पटैरिया, वारासिवनी से पूर्व विधायक डा. योगेंद्र निर्मल, लांजी विधानसभा क्षेत्र से रमेश भटेरे सहित कई असंतुष्टों ने चुनाव लड़ने का निर्णय बदल लिया है। भाजपा के कुछ बागी बसपा या सपा के टिकट पर चुनाव में खड़े हैं, उन सभी से बात की जाएगी। इसकी जिम्मेदारी अमित शाह ने पार्टी संगठन को दी है।
दो नवंबर तक वापस हो सकते हैं नामांकन
माना जा रहा है कि भाजपा नामांकन वापसी (दो नवंबर) तक अधिकांश बागियों को मैदान से हटाने में सफल हो जाएगी। दरअसल, इस चुनाव में भाजपा को अपने ही असंतुष्ट नेताओं से कई चुनौतियां मिल रही थीं।
पार्टी लाइन पर काम करने के लिए किया तैयार
कार्यकर्ताओं में उपेक्षा और टिकट वितरण के प्रति नाराजगी के कारण करीब कई जिलों में बड़े नेताओं ने बगावत के स्वर बुलंद किए। इन परिस्थितियों में अमित शाह के तीन दिन प्रवास ने काफी बदलाव कर दिया है। अमित शाह ने कई नेताओं को पार्टी लाइन पर काम करने के लिए तैयार कर लिया।
जबलपुर में भाजपा नेता धीरज पटैरिया टिकट न मिलने से वे नाराज थे और निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके थे। जबलपुर की उत्तर-मध्य सीट से टिकट मांग रहे पटैरिया से अमित शाह ने आमने-सामने बात की और उन्हें राजी कर लिया। इसी तरह वारासिवनी से भाजपा विधायक रहे डा. योगेंद्र निर्मल ने भी निर्दलीय नामांकन जमा करने का अपना निर्णय बदल लिया।
कमल नाथ सरकार में मंत्री थे प्रदीप जायसवाल
भाजपा ने वारासिवनी में निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल को टिकट दिया है। इससे निर्मल सहित अन्य कार्यकर्ता नाराज थे। कमल नाथ सरकार में प्रदीप मंत्री थे, बाद में भाजपा सरकार को भी समर्थन दिया था। पूर्व विधायक रमेश भटेरे खफा थे। समझाइश के बाद निर्दलीय लड़ने से कदम खींच लिया।
जबलपुर में समीकरण बिगड़ने से बचाए
जबलपुर जिले की कई सीटों को लेकर अमित शाह की भूमिका अहम रही। उत्तर मध्य सीट से ही टिकट की मांग करने वाले पूर्व मंत्री शरद जैन का भी अमित शाह ने हृदय परिवर्तन कर दिया। पश्चिम सीट से टिकट मांगने वाले पूर्व मंत्री हरेंद्र जीत सिंह बब्बू को भी अमित शाह ने पार्टी के लिए संगठित होकर कार्य करने के लिए मना लिया।
हमारे कार्यकर्ता संगठन और पार्टी नेतृत्व के प्रति प्रतिबद्ध हैं। कहीं कोई निर्दलीय होने या बगावत होने जैसी स्थिति कतई नहीं है। हमारे नेतृत्व की सबसे बड़ी विशेषता है कि वह
संवाद करता है और समाधान की ओर ले जाता है। – रजनीश अग्रवाल, प्रदेश मंत्री, भाजपा