बांग्लादेश: अंतरिम सरकार में खत्म हो सकते हैं भारत के साथ हुए समझौते

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ढाका। बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अगुवाई में जब अंतरिम सरकार का गठन हुआ था तभी से यह सवाल उठने लगे थे कि क्या भारत के साथ संबंध पहले जैसे रहेंगे? क्‍या इस अंतरिम सरकार में बांग्‍लादेश के भारत के साथ हुए समझौते खत्‍म हो जाएंगे? हालांकि यूनुस सरकार की ओर से पहले बयान में कहा गया था कि वो भारत के साथ सकारात्मक संबंध बनाए रखना चाहते हैं. लेकिन उनकी सरकार का ताजा फैसला इसके विपरीत नज़र आ रहा है. दरअसल यूनुस सरकार के विदेश सलाहकार ने कहा है कि सरकार भारत के साथ किए गए एमओयू की समीक्षा कर सकती है. अंतरिम सरकार के विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन ने कहा है कि अगर शेख हसीना के कार्यकाल में हुए एमओयू बांग्लादेश के लिए फायदेमंद नहीं होंगे तो उन्हें रद्द किया जा सकता है.

मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से कहा गया है कि बांग्लादेश की नई सरकार का मानना​है कि शेख हसीना भारत की करीबी रही हैं और उन्होंने भारत को लाभ पहुंचाने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं. शेख हसीना इसी साल जून में जब भारत दौरे पर आईं थीं, तब दोनों देशों के बीच 10 एमओयू पर हस्ताक्षर हुए थे. इनमें से 7 नए समझौते थे वहीं 3 को रिन्यू किया गया था. इनमें सबसे अहम समझौता था रेल ट्रांजिट से जुड़ा हुआ, जिसके तहत बांग्लादेश की ज़मीन का इस्तेमाल कर भारत यात्री ट्रेन और मालगाड़ी को एक हिस्से से दूसरे हिस्से में भेज सकता है. इस समझौते से दोनों ही देशों को फायदा पहुंचता, बांग्लादेश को अपना माल नेपाल और भूटान भेजने में मदद मिलती तो दोनों देशों के लिए समय और लागत में बचत होगी.

लेकिन नई सरकार के आते ही अब इन समझौतों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. 5 अगस्त को बांग्लादेश में एक बार फिर तख्तापलट हुआ, शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और वह अपनी जान बचाने के लिए मुल्क छोड़कर भारत आ गईं. आरक्षण विरोधी आंदोलन ने शेख हसीना की सत्ता को उखाड़ फेंका. लेकिन सेना ने जिस नई और अंतरिम सरकार का गठन किया है उसकी कार्यशैली पर दुनियाभर की नज़रें हैं.

अंतरिम सरकार पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी नीतियों की विरोधी है, विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन पहले से ही भारत-बांग्लादेश के बीच हुए समझौतों की आचोलना करते रहे हैं. शेख हसीना को लेकर भी उन्होंने रविवार को एक सवाल के जवाब में कहा है कि अगर जरूरत पड़ती है तो अंतरिम सरकार उनके प्रत्यर्पण की मांग कर सकती है. ऐसे में सवाल उठता है कि शेख हसीना के भारत में रहने और इन समझौतों की समीक्षा करने के अंतरिम सरकार के फैसले में क्या कोई कनेक्शन है?

दरअसल शेख हसीना 5 अगस्त से भारत में ही हैं, उनका राजनयिक पासपोर्ट रद्द किया जा चुका है. लिहाज़ा वह किसी और देश में शरण नहीं ले सकतीं हैं, भारत के साथ उनके काफी अच्छे संबंध रहे हैं, ऐसे में भारत सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि शेख हसीना भारत में कब तक रहेंगी यह उनका फैसला होगा. हसीना सरकार में भारत और बांग्लादेश के रिश्ते काफी मजबूत हुए हैं, वह भले ही सत्ता से बाहर हों लेकिन उनकी पार्टी अभी खत्म नहीं हुई है. ऐसे में माना जा रहा है कि भारत सरकार, मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के साथ संबंधों को सामान्य तो करना चाहेगी लेकिन शेख हसीना की कीमत पर नहीं. ऐसे में देखना होगा कि क्या अंतरिम सरकार का यह फैसला कहीं भारत पर दबाव बनाने की कोशिश का हिस्सा तो नहीं है?

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