हमास के इजरायल पर हमले के मायने
– ललित मोहन बंसल
इजरायल की सुरक्षा एजेंसियां गच्चा क्यों खा गयीं ? गाजा स्थित हमास आतंकवादियों ने अकस्मात इजरायल के दक्षिण में गाजा पट्टी के साथ लगी बस्तियों पर जमीनी हमले और तेल अवीव तथा यरुशलम की यहूदी बस्तियों पर एक साथ दो हजार राकेट दाग कर एक ‘निर्णायक’ युद्ध की दावत दे दी है। शनिवार तड़के जैसे ही इजरायली नींद से उठे, उन्हें अपने इर्द-गिर्द के शहरों और बस्तियों और खास कर देश के दक्षिणी हिस्से की क़रीब एक दर्जन उपनगरों से आ रही मातमी खबरों ने उद्धेलित कर दिया। इस हमले पर इजरायल के कुशल प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने त्वरित कार्रवाई में हमास आतंकवादियों के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। ये ही नेतान्याहू एक सप्ताह पूर्व अमेरिकी प्रस्ताव पर सऊदी अरब और इजरायल एक टेबल पर आने, मध्य पूर्व एशिया में शांति स्थापना के लिए गाजा में हमास आतंकवादियों को कुछेक रियायतें दिलवाने की कोशिश में जुटे थे। सऊदी अरब ने भी हाथ बढ़ा दिया था। फिर हमास आतंकवादियों ने हमला क्यों किया? क्या इस प्रस्ताव पर ईरान को गुरेज था?
इजरायल की मिली-जुली सरकार में दो दक्षिणपंथी राजनीतिक दलों के नेताओं की ओर से खबरें आ रही हैं कि हमास 18 वर्ष पूर्व कूटनीतिक दबाव से बच गया, वह गाजा पट्टी पर बेताज बादशाह भी बन गया, लेकिन इस बार इजरायली सेना उसकी हसरत मिटा कर रख देगी? यह एक बड़ी और चुनौतीपूर्ण धमकी है। हमास आतंकवादियों की प्रारंभिक सफलता पर पड़ोसी देश लेबनान में हेजबुल्ला की ओर से मिठाइयां बंटीं तो ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड ने सौलास आतिशबाजी की। अमेरिका के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी के कथन को सही माने तो हमास आतंकवादियों में इतना दम नहीं है, वह उसकी सैन्य मदद के बिना इजरायल के दरवाजे पर बंदूक रख सके। हां, कुवैत ने धर्म निभाया। उसने उलटे इजरायल की निंदा कर दी। मुमकिन है, मध्य पूर्व एशिया के कुछ और देश लामबंदी के लिए आगे आएं। यूं इजरायल के पड़ोसी देश जॉर्डन में अमेरिकी सैन्य अड्डा है। बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात, दो निकटवर्ती देश अमेरिकी मित्र हैं। सऊदी अरब ने भले ही ईरान के साथ कूटनीतिक संबंध बनाए हैं, लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि खाड़ी में वर्चस्व की लड़ाई में सऊदी प्रिंस एक बार अमेरिका का साथ भले ही नहीं दें, ईरान का साथ देने से बचेंगे।
यह युद्ध क्या मोड़ लेगा, अभी कहना कठिन है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इजरायल के साथ मित्रता और निकटता पूर्ण संबंधों के आधार पर हमास आतंकवादियों के अकस्मात आक्रमण की निंदा की है। सीमापार आतंकवाद कश्मीर में हो अथवा इजरायल में, मानवीय मूल्यों पर उसका पक्षधर कोई नहीं हो सकता। बाइडन ने ईरान सहित अन्य देशों को सतर्क किया है कि वे हमास आतंकवादियों से दूर रहें। यो डेमोक्रेट और रिपब्लिकन, दोनों ही इजरायल के हितैषी हैं।
‘अल अक्सा अभियान’ : फिलिस्तीन आतंकवादियों की ओर से सीमापार आतंकी हमलों की घटनाएं कोई नई नहीं है। इस बार यहूदियों के एक पर्व के अंतिम दिन शनिवार को यरुशलम में सैकड़ों एकड़ भू-भाग में फैले यहूदी धार्मिक स्थली ‘माउंट टेम्पल’ में सैकड़ों लोग एकत्रित थे। यहीं पर ‘अल अक्सा मस्जिद’ भी है, जिसे मक्का और मदीना के बाद तीसरा बड़ा पवित्र स्थल माना जाता है। इसके बाहर जमा सैकड़ों यहूदी दर्शनार्थियों का जमावड़ा था। इस पवित्र स्थल पर आने-जाने में कोई रोकटोक नहीं थी। गाजा पट्टी से भी अक्सर लोग आते-जाते रहे हैं। हमास आतंकवादियों को भी मौका मिल गया। उन्होंने पहले ही झटके में चहुंओर से जमीनी और हवाई राकेट से हमले कर इजरायली इंटेलिजेंस को बैकफ़ुट पर खड़ा कर दिया। बता दें, गाजा से आए दिन सैकड़ों लोग ‘अल अक्सा मस्जिद’ में आते-जाते रहे हैं।
इसी ‘अल अक्सा अभियान’ के तहत हमास आतंकवादियों ने गाजा पट्टी के साथ साथ इजरायल के दक्षिण में यहूदी बस्तियों पर पैदल सेना और इजरायल के सुदूर अंदर में 2200 राकेट दागे । इनमें से कुछ की मार तेल अवीव और यरुशलम तक थी। कहते हैं कि पिछले पच्चास सालों की आपसी लड़ाई में यह पहला बड़ा हमला है। इस युद्ध को लेकर पश्चिमी और मध्य पूर्व एशियाई मीडिया से जो संकेत मिल रहे हैं, इस बार परिणाम भयावह हो सकते हैं। खबरें आ रही हैं कि शनिवार सुबह से देर सायं तक हमास के आतंकवादी इजरायल की बाईस बस्तियों में घुस गए और उन्होंने महिलाओं और बच्चों सहित तीन सौ लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इनमें करीब 1400 लोग घायल हो चुके हैं। इजरायल ने गाजा पट्टी में बहुमंजिली इमारतों पर हवाई हमले किए। इसमें 234 लोगों को जानें गंवानी पड़ी हैं, जबकि 1600 लोगों घायल हुए हैं। रविवार सुबह से हवाई हमलों की चेतावनियां दी जा रही हैं। इजरायल के समुद्री तट के एक शहर अशकेलों में तनाव की स्थिति बनी हुई है। भारत सहित कुछ देशों ने बड़े स्तर पर हमलों की आशंका में तेलअवीव और यरुशलम की हवाई उड़ानें रद्द की हैं। इसके बावजूद इजरायली युवा अपने देश की रिजर्व सेना में पंजीकरण के लिए स्वदेश पहुंच रहे हैं।
इजरायल की रिजर्व सेना क्या है?: इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने युद्ध की घोषणा के बाद इजरायल के युवा और साठ वर्ष से नीचे की आयु के लोगों ने ‘रिजर्व सेना’ के अंतर्गत पंजीकरण करना शुरू कर दिया है। इसमें पूर्वप्रधान मंत्री नेफताली ने भी पंजीकरण कर दिया है। न्यूयॉर्क में बसे ऐसे सैकड़ों यहूदी रिजर्व सेना में पंजीकरण के लिए महंगी हवाई टिकट ले कर घर लौट रहे हैं। इजरायल में सोलह वर्ष की उम्र होते ही एक किशोर युवा को मिलिट्री ट्रेनिंग लेना जरूरी है और देश पर आक्रमण की स्थिति में युद्ध के लिए पंजीकरण आवश्यक है।
कूटनीतिक प्रयासों में तेजी: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित अनेक पश्चिमी देशों की ओर से किसी उकसावे की कार्रवाई के बिना हमास की ओर से हमले की निंदा की जा रही है। अमेरिकी विदेशमंत्री एंथनी ब्लिंकन ने शनिवार को सऊदी अरब के प्रिंस फैजल और मिस्र के विदेश मंत्री से अलग अलग फोन पर बातचीत की। ब्लिंकन ने कहा है कि हमास के हमलों के जवाब में इजरायली सेना को अपने बचाव में सैनिक कार्रवाई का पूरा हक है। इससे बेहतर होगा कि हमास आतंकवादियों को हिंसात्मक कार्रवाई करने से रोकने के लिए संयुक्त प्रयास किए जाएं। व्हाइट हाऊस के एक अधिकारी की ओर से कहा जा रहा है कि ईरान की ओर से हमास को सीधे सैनिक सहयोग के बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं है। फ्रांस और जर्मनी ने इजरायल के समर्थन में कहा है कि उसे आत्मरक्षा करने का अधिकार है। इन दोनों देशों ने इस्लामिक जिहाद के आक्रमण के मद्देनजर इजरायल के मंदिरों की रक्षा में तैनाती मजबूत कर दी है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव सक्रिय हो गए हैं, तो फिलिस्तीन के राष्ट्रपति भी मित्र देशों से बातचीत में रत हैं।
इंटेलिजेंस में विफलता: इजरायल को पहली बार चूक का सामना करना पड़ रहा है। एक, इंटेलिजेंस में विफलता। दूसरे, इजरायल के सैनिक गाजा पट्टी पर तैनात होते हुए भी हमास आतंकवादियों के जमीनी हमलों में मार खा गए । न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार यह पांच दशक में योम किपूर युद्ध के बाद पहली बड़ी विफलता है। यह कहना गलत होगा कि इजरायली सुरक्षा एजेंसियों ने पहले कभी हमास आतंकवादियों और गाजा के बारे में पुख्ता सूचनाएं नहीं दी थीं। कहा जा रहा है कि कुछ अर्से से हमास ने योजनानुसार सीमापार हमले काम कर दिए। दूसरे, हमास के ही एक कनिष्ठ फिलिस्तीन इस्लामिक जिहाद की ओर से यह प्रचारित किया गया, इजरायल के सुरक्षा सम्मत ‘आयरन डोम’ पर राकेट का असर नहीं हो रहा है, इसलिए हमलों में कमी लाई जाए। इस पर इजरायली इंटेलिजेंस ने अमेरिकी एजेंसियों को भी ज्यादा भरोसे में नहीं लिया। वाल स्ट्रीट जर्नल की माने तो यह हमास की यह पूर्व योजना कारगर सिद्ध हुई।
हमास की पूर्व योजनाः हमास आतंकवादियों ने पूर्व योजनानुसार इजरायल के दक्षिण में यहूदी बस्तियों में दो तरफा हमले किए। एक ओर हमास के आतंकवादियों ने सीमापार यहूदी बस्तियों में घुस कर प्रहार किए। इसका जवाब लोगों को खुद ब खुद देना भारी पड़ा। दूसरे, रॉकेट से हमले किए गए । इजरायली नगर सडेरोट की बस्तियों में मोटर वाहनों और बस स्थलों पर रॉकेट बरसाए गए। इनमें अनेक नागरिक हताहत हुए। कफर अज्जा के किबबूतज के एक बस्ती में अनेक लोग रॉकेट हमले में मारे गए। इस तरह हमास आतंकवादियों ने इजरायली सैनिकों को मौत के घाट उतारने और घरों में घुस कर नागरिकों को बंधक बनाने में सफलता पाई। यही नहीं, इजरायल में अफरातफरी फैलाने और मित्र देशों में वाह वाही लूटने की गरज से हमास आतंकवादियों ने इन घटनाओं के वीडियो बनाए और इजरायली जनसमूह में भ्रम फैलाने की पूरी कोशिश की। इजरायली सेना संभलती, तब तक देर हो चुकी थी। शनिवार देररात तक व्हाट्स अप पर खबरें आती रहीं कि इजरायल के दक्षिण में गाजा पट्टी के साथ साथ इजरायली बस्तियों में हमास के आतंकवादियों घरों में घुस आए हैं, अंधाधुंध फायर कर रहे हैं। महिलाओं और बच्चों की चीख पुकार जारी है। कुछ महिलाएं अपनी जान और इज्जत बचाने के लिए शापिंग मॉल में घुस कर शरण लेने के लिए विवश हैं।
इजरायल और हमास के बीच सन 2005 में जब खूनी झड़पें हुई थीं, तब इजरायल सेना गाजा पट्टी से पीछे हट गई थी। इसके बाद हमास गाजा पट्टी की स्वयंभू मालिक बन बैठा। इसके बावजूद हमास आतंकवादियों और इजरायली सेना के बीच हर साल सैनिक झड़पें होती रही हैं। ये खूनी झड़पें कुछ ही दिनों तक रहती हैं। इसमें राकेट दागे जाते हैं। हमास के आतंकवादी भी कुछेक इजरायलियों को उठा कर ले जाते हैं, उन्हें बंधक बना लेते हैं, अथवा मार देते हैं। इसके जवाब में इजरायली लड़ाकू हवाई जवाब गाजा पट्टी में हमास आतंकवादियों को ही अपना शिकार बनाते रहे हैं। नेतान्याहू सहित पूर्ववर्ती सरकारें गाजा पट्टी को तहस नहस करने अथवा इस पट्टी पर कब्जा करने के बारे में विचार नहीं कर पाईं। उन्हें मालूम था कि इससे लाखों घर उजड़ जाएंगे हजारों लोग मारे जाएंगे।