आदिवासी की गलत परिभाषा गढ़ रहे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन: समीर उरांव

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हेमंत सोरेन की परिभाषा में केवल उनका परिवार ही आदिवासी

 RANCHI: भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवम सांसद समीर उरांव ने आज मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर बड़ा हमला बोला।

श्री उरांव ने कहा कि गरीबों आदिवासियों को लूटने वाले हेमंत सोरेन जी आपने बचाव में अब भावनात्मक मुद्दा उठाकर आदिवासी कार्ड खेल रहे। जिसे राज्य का आदिवासी समझ भली भांति समझ चुका है।

कहा कि आदिवासी का मतलब होता है स्वाभिमानी, परोपकारी, अन्याय अत्याचार के खिलाफ लड़ने वाला। यह समाज भगवान बिरसा मुंडा,अमर शहीद सिदो कान्हु चांद भैरव तिलका मांझी,वीर बुधु भगत ,नीलांबर पीतांबर का वंशज है।
लेकिन मुख्यमंत्री जी अपने सोरेन परिवार की विशेषताओं को आदिवासी समाज से जोड़ कर बता रहे। जिसे बंद करना चाहिए। इससे आदिवासी महापुरुषों,शहीदों का अपमान होता है

कहा कि मुख्यमंत्री जी के परिवार का खरीद बिक्री को लेकर पुरानी आदत है।

पहले इनलोगों ने झारखंड आंदोलन को ही बेच दिया।आज झारखंड की स्मिता को बेच रहे और जमीन खरीद रहे। अपने दलालों,बिचौलियों के माध्यम से पत्थर, बालू,कोयला लोहा सब बेचकर अपनी तिजोरी भर रहे।

कहा कि आखिर झारखंड के गरीब आदिवासियों केलिए हेमंत सोरेन जी ने क्या किया?

कहा कि इनकी सरकार बनते ही चाईबासा में 7आदिवासियों की नृशंस हत्या हुई।अमर शहीद सिदो कान्हु के वंशज रामेश्वर मुर्मू की हत्या हुई।आदिवासी समाज की होनहार बेटी दरोगा रूपा तिर्की की संदेहास्पद मौत , गौ तस्करों के द्वारा तुपुदाना में दरोगा संध्या टोपनो की ट्रक से कुचलकर हत्या किस सरकार की उपलब्धि हैं।

कहा कि आदिवासी बेटी रुबिका पहाड़िया को टुकड़ों टुकड़ों में काटा गया,राज्य में हजारों आदिवासी बहन बेटियों की इज्जत को तार तार किया गया।होनहार आदिवासी युवक विकास मुंडा की हत्या किस सरकार की देन है।

कहा कि हेमंत सोरेन जी बताएं आदिवासी समाज की इस पीड़ा को दूर करने का आखिर क्या प्रयास मुख्यमंत्री जी ने किया।?

दरअसल हेमंत सोरेन जी को आदिवासी समाज की चिंता नहीं है।
ये केवल आदिवासी कार्ड खेलकर आदिवासियों को ही लूट रहे।
छोटानगपुर एवम संथाल परगना के कई जिलों में इन्होंने अकूत संपत्ति खड़ा की।

कहा कि बोकारो ,धनबाद,रांची,रामगढ़ ,दुमका कहां इनकी जमीन नही है।
यदि जमीन नही बिकती तो फिर रांची में फायरिंग रेंज के पास साढ़े 8एकड़ का फार्म हाउस कहां से आया जिसकी कीमत 100करोड़ रुपए की है।
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108 संपत्ति का तो एफिडेविट इन्होंने हाई कोर्ट में जमा किया है ।

इसके अलावा सैकड़ों बेनामी संपत्ति है जिनको इन्होंने गरीब आदिवासियों से नाम बदल बदल कर लूटा है।

ये आदिवासियों केलिए कितना सोचते है वह उसी समय उजागर हो गया जब इन्होंने अपने नाम से ही खदान की लीज ले ली।

आदिवासियों के रिजर्व सरकारी आद्योगिक भूमि को अपनी पत्नी,और अन्य परिजनों के नाम आवंटित कर दिया।
इन्होंने प्रेम प्रकाश,पंकज मिश्रा,अमित अग्रवाल जैसे अपने अनेक शुभचिंतकों को लूटने का अगुवा बना दिया।

कहा कि हेमंत सोरेन जी ने फाइल ,फोल्डर, बॉस की संस्कृति विकसित की है। उन्हे बताना चाहिए कि ये फाइल ,फोल्डर और बॉस क्या है,कौन है?

भ्रष्ट पदाधिकारियों को लूटने की छूट दी जो आज जांच एजेंसियों की कारवाई में जेल में हैं।

आज मुख्यमंत्री जी को जब ईडी बुला रही तो ये सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट दौड़ रहे।
जब सब सही है तो क्यों भाग रहे,आदिवासी समाज को क्यों बदनाम कर रहे।?

उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार ने मोदी सरकार द्वारा जनजाति समाज केलिए भेजी गई योजनाओं को लटकाया है। आज राज्य में एकलव्य विद्यालयों केलिए राज्य सरकार जमीन तक उपलब्ध नहीं करा रही।ट्राइफेड द्वारा वन धन विकास योजना पर राज्य सरकार उदासीन है ,योजना सही तरीके से लागू नहीं हो रहे। फॉरेस्ट एक्ट पर भी राज्य सरकार जनता को लाभ नहीं पहुंचा रही,पेसा कानून भी व्यवहारिक तरीके से लागू नहीं हो रहा।

कहा कि हेमंत सोरेन जी को उनके किए की सजा भुगतनी पड़ेगी उसके लिए आदिवासी समाज जिम्मेवार नहीं है।

आज की प्रेसवार्ता में प्रदेश अनुसूचित जनजाति मोर्चा के महामंत्री बिंदेश्वर उरांव,मंत्री रोशनी खलखो, मुंडा उपस्थित रहे।

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