संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के कश्मीर राग पर भारत के जवाब से इस्लामाबाद की हो गई थू-थू

0

न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान ने फिर से कश्मीर राग अलापा तो भारत ने ऐसा जवाब दिया कि इस्लामाबाद की भयंकर बेइज्जती हो गई। भारत ने कहा कि पाकिस्तान बार-बार संयुक्त राष्ट्र का ध्यान भटकाने के लिए इस मुद्दे को उठाता है।

जबकि पाकिस्तान का आरोप निराधार, बेतुका और ध्यान भटकाने के लिए किया जाने वाला आदतन प्रयास है। पाकिस्तान अपने देश में बच्चों के साथ हो रहे घनघोर अपराधों से दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए ऐसा कर रहा है। बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आयोजित बहस के दौरान यूएन में भारत के उप-प्रतिनिधि आर. रविंद्रन ने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है और हमेशा रहेगा।

भारत ने कहा कि पाकिस्तान का उक्त बयान आदतन, राजनीति से प्रेरित और भारत के खिलाफ दुर्विचार रखने की वजह से है। भारत इस निराधार और बेतुके बयान को सिरे से खारिज करता है। उन्होंने कहा कि यूएनएससी में वर्षों से बच्चों पर होने वाली बहस ने सशस्त्र संघर्ष स्थितियों के चलते बच्चों पर आने वाली चुनौतियों को सामने लाकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मदद की है। लिहाजा अंतरराष्ट्रीय समुदाय बच्चों के खिलाफ होने वाले उल्लंघनों को रोकने और उसे समाप्त करने के महत्व को पहचाने। बता दें कि बच्चों पर होने वाली बहस के दौरान पाकिस्तान ने कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन का निराधार आरोप लगाया था।

आर रविंद्रन ने कहा कि इस मामले में हम संयुक्त राष्ट्र कार्यालय और महासचिव के विशेष प्रतिनिधि के कार्यों की सराहना करते हैं। हालांकि सशस्त्र संघर्षों के बदलते परिदृश्य में बच्चों के सामने आने वाली विविध चुनौतियों से निपटने और उसे रोकने के लिए अभी काफी काम किया जाना बाकी है। भारतीय दूत ने कहा कि बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1261 को अपनाने के 25 साल इस वर्ष पूरे हो चुके हैं। वर्षों से बच्चों और सशस्त्र संघर्ष के मुद्दे पर यूएन में होने वाली बहस ने बच्चों के सामने आने वाली गंभीर चुनौतियों को सामने लाने में अंतररराष्ट्रीय समुदाय की वाकई में बहुत मदद की है।

सशस्त्र संघर्ष की स्थितियों में बच्चों के खिलाफ होने वाले गंभीर उल्लंघनों की भयावहता और गंभीरता गहरी चिंता का विषय है। बच्चों के साथ गंभीर उल्लंघन, यौन हिंसा, बच्चों के खिलाफ आतंकी कृत्यों को रोकने और इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *