टीबी सबसे संक्रामक रोगों में से एक: रिम्स निदेशक
रिम्स मे स्टेट टीबी टास्क फोर्स की बैठक
RANCHI : रिम्स में आज राष्ट्रीय यक्ष्मा (टीबी) उन्मूलन कार्यक्रम अंतर्गत स्टेट टीबी टास्क फोर्स की बैठक का आयोजन किया गया।
बैठक का आयोजन स्टेट टीबी टास्क फोर्स झारखंड के अध्यक्ष डॉ मनोज कुमार की अध्यक्षता में की गई।
बैठक को सम्बोधित करते हुए रिम्स निदेशक प्रो (डॉ) राज कुमार ने कहा कि, “टीबी सबसे संक्रामक रोगों में से एक है।
एक व्यक्ति 5-10 लोगों को संक्रमित कर सकता है। टीबी बाकी दुनिया के लिए उतनी चुनौती नहीं है पर यह बीमारी भारत में आम है और इसका एक-चौथाई बोझ भारत वहन करता है।
इसलिए हमें इस बीमारी के इलाज के तौर-तरीके और उचित जांच का पता लगाने की जरूरत है।”
उन्होंने कहा कि कई दवाओं के प्रति प्रतिरोध युवा पीढ़ी के लिए इस बीमारी के तौर-तरीकों और जांच का सही से पता लगाना एक चुनौती है।
“एक समय था जब टीबी का कोई इलाज नहीं था न ही कोई निश्चित निदान उपकरण थे।
आज हमारे पास दोनों हैं लेकिन कई दवाओं के प्रति प्रतिरोध चुनौती बन चुके हैं।
निदेशक के द्वारा राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज से आए प्रतिभागियों को टीबी उन्मूलन कार्यक्रम अंतर्गत किए जाने वाले कार्यों की समीक्षा कर सन 2030 तक टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
बैठक में राज्य यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ कमलेश कुमार ने राज्य में चलाए जा रहे टीबी कार्यक्रम के संबंध में अभी तक किए गए कार्यों के विषय विस्तार से बताया एवं सभी मेडिकल कॉलेजों में टीबी उन्मूलन हेतु किए जाने वाले कार्यों एवं नए-नए शोधों पर कार्य करने के लिए कहा जिससे कि टीबी के विभिन्न आयामों का अध्ययन कर समय-समय पर आवश्यकतानुसार रणनीति तैयार की जा सके।
बैठक में एसटीएफ के अध्यक्ष डॉ मनोज कुमार द्वारा राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेज में टीबी के क्षेत्र में किये जा रहे कार्यों के विषय में प्रेजेंटेशन दिया।
साथ ही रिम्स से डॉ अशोक कुमार शर्मा और स्वेता सिंकु,एम्स देवघर से डॉ अर्चना मलिक एवं मणिपाल मेडिकल कॉलेज से डॉ अभिषेक कुमार द्वारा टीबी पर किए जाने वाले शोध कार्य का प्रेजेंटेशन दिया गया।
साथ ही 25-26 जुलाई को होने वाले जोनल टास्क फोर्स को बैठक की तैयारियों पर भी चर्चा हुई।
बैठक में चिकित्सा अधीक्षक डॉ हीरेंद्र बिरुआ, टीबी चेस्ट विभागाध्यक्ष डॉ बृजेश मिश्रा, मेडिसिन विभाग से डॉ अजीत डुंगडुंग, राज्य में कार्य करने वाले टीबी के WHO कंसलटेंट के अलावा विभिन्न मेडिकल कॉलेज से आए प्रतिनिधि उपस्थित थे।