वाराणसी से श्याम रंगीला का हलफनामा खारिज, कॉमेडियन का सवाल हंसे या रोएं
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए नामांकन दाखिल करने वाले कॉमेडियन श्याम रंगीला का हलफनामा बुधवार को चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया। इस पर कॉमेडियन ने सवाल किया की हंसे या रोएं। बता दें, वीडियो संदेश में रंगीला का दावा है कि सीट के लिए 55 उम्मीदवारों में से 36 के फार्म खारिज कर दिए गए। पीएम मोदी और कांग्रेस के उम्मीदवार अजय राय सहित 15 उम्मीदवारों के हलफनामे जांच प्रक्रिया से गुजरे।
उनका दावा है कि नामांकन प्रक्रिया में कई तरह की बाधाएं पैदा की गईं। उन्हें समय पर अपना नामांकन पत्र दाखिल करने से रोक दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि नामांकन प्रक्रिया के दौरान उन्हें गलत तरीके से निशाना बनाया गया और सहायता से वंचित रखा गया। रंगीला ने कहा, जिला मजिस्ट्रेट ने मुझे बताया कि मेरे दस्तावेजों में कुछ समस्या है और मैंने शपथ नहीं ली है। उन्होंने वकीलों को मेरे साथ अंदर नहीं जाने दिया और मुझे अकेले बुलाया। मेरे दोस्त को पीटा गया। मोदी भले ही नाटक करें और रोएं, लेकिन मैं यहां रोना नहीं चाहता। उन्होंने कहा, बीते दिन 27 नामांकन दाखिल किए गए और 32 खारिज कर दिए गए। मुझे चुनाव आयोग पर हंसने का मन कर रहा है, क्या मुझे हंसना चाहिए? या रोना चाहिए? वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया में रंगीला के हलफनामे में कमियों और प्रक्रियागत औपचारिकताओं का पालन करने में विफलता का हवाला देते हुए अस्वीकृति को उचित ठहराने का प्रयास किया गया।
वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट एस राजलिंगम ने एक्स को लिखा, आपके नामांकन पत्र की आपकी उपस्थिति में जांच की गई और आपको कमियों के बारे में सूचित किया गया। आपका नामांकन पत्र रद्द कर दिया गया है, क्योंकि आपके द्वारा प्रस्तुत हलफनामा अधूरा था और आपने शपथ/प्रतिज्ञान नहीं लिया था, जिसके आदेश की एक प्रति भी आपको उपलब्ध करा दी गई है।
पूर्व में प्रधानमंत्री मोदी के कट्टर समर्थक रहे रंगीला ने कहा था कि पिछले एक दशक में परिस्थितियां ऐसी बनीं कि उन्हें वाराणसी से प्रधानमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ने का निर्णय लेना पड़ा। उन्होंने कहा, 2014 में मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अनुयायी था। मैंने प्रधानमंत्री के समर्थन में कई वीडियो शेयर किए। राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल के खिलाफ भी वीडियो शेयर किए। उन्हें देखकर कोई भी कह सकता था कि मैं अगले 70 सालों तक केवल भारतीय जनता पार्टी को ही वोट दूंगा। लेकिन पिछले 10 सालों में स्थिति बदल गई है। अब मैं एक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ूंगा। वाराणसी लोकसभा क्षेत्र में 2014 में ऐतिहासिक मुकाबला देखने को मिला था, जब तत्कालीन भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार मोदी ने आप प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ा था। मोदी की 3 लाख से अधिक मतों के अंतर से शानदार जीत ने वाराणसी को भाजपा के गढ़ के रूप में मजबूत किया, जिसकी विरासत को वे आगामी चुनावों में आगे बढ़ाना चाहते हैं।
पांच विधानसभा सीटों वाला वाराणसी एक ऐसा चुनावी मैदान रहा है, जहां पिछले कई सालों से भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला होता रहा है। 1957 से लेकर अब तक भाजपा ने 1991 तक सात बार सीट जीतकर महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है, जबकि कांग्रेस ने भी छह बार जीत हासिल करके अपना प्रभाव जमाया है। वाराणसी सीट पर समाजवादी पार्टी या बहुजन समाज पार्टी कभी नहीं जीती है।