क्या केजरीवाल देंगे पद से इस्तीफा या क्या दिल्ली में लगेगा राष्ट्रपति शासन?

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नई दिल्ली। कथित शराब घोटाले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद से ही राजधानी की सरकार को लेकर सस्पेंस और सवाल बढ़ गए हैं। केजरीवाल ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्हें पद पर रहते हुए गिरफ्तार किया गया है या फिर यूं कहें कि वह ऐसे पहले सीएम हैं जिन्होंने अपनी गिरफ्तारी से पहले पद से इस्तीफा नहीं दिया। केजरीवाल का कहना है कि वह जेल से ही सरकार चलाएंगे।

आम आदमी पार्टी, दिल्ली सरकार और खुद केजरीवाल ने बार-बार कहा है कि मुख्यमंत्री अरविंद ही रहेंगे। आम आदमी पार्टी का कहना है कि केजरीवाल जेल में रहकर ही अपनी सरकार चलाते रहेंगे। संवैधानिक जानकारों का कहना है कि गिरफ्तारी की वजह से एक मुख्यमंत्री या मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। हां, 2 या 2 से अधिक साल की सजा मिलने पर सदन की सदस्यता छिन जाने का प्रावधान है। पूर्व विधानसभा सचिव एसके शर्मा ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा है कि कानून में कोई ऐसा प्रावधान नहीं है कि गिरफ्तारी पर किसी मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना होगा या नया मुख्यमंत्री बनाया जाए।

इस बीच दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने उनके प्लान को खारिज करते हुए साफ कर दिया है कि दिल्ली की सरकार जेल से नहीं चलेगी। एलजी की ‘ना’ के बाद अब इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि दिल्ली में अब क्या होगा? क्या केजरीवाल को इस्तीफा देना होगा? क्या उनके पद ना छोड़ने पर राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है? या फिर इस खींचतान का परिणाम दिल्ली को भुगतना होगा? आइए देखते हैं आने वाले दिनों में क्या-क्या मुमकिन है।

आम आदमी पार्टी के नेता रहे पत्रकार आशुतोष ने भी कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली में संवैधानिक संकट उत्पन्न हो चुका है। यदि केजरीवाल अपना पद छोड़कर किसी और मुख्यमंत्री नहीं बनाते हैं तो एलजी को राष्ट्रपति शासन के लिए सिफारिश कर देनी चाहिए। हालांकि, आम आदमी पार्टी ने कहा है कि दिल्ली में राष्ट्रपति शासन नहीं लगाया जा सकता है। दिल्ली की मंत्री आतिशी ने कहा, ‘राष्ट्रपति शासन केवल तभी लगाया जा सकता है, जब कोई अन्य विकल्प न हो। अनुच्छेद 356 का मुद्दा कई बार उच्चतम न्यायालय में गया है और न्यायालय ने हर बार फैसला सुनाया है कि राष्ट्रपति शासन केवल तभी लगाया जा सकता है, जब राज्य के शासन के लिए कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि अगर राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह राजनीतिक प्रतिशोध का मामला है। संविधान का अनुच्छेद 356 राज्य में संवैधानिक व्यवस्था की विफलता के मामले में प्रावधानों से संबंधित है।’

हालांकि, जेल से सरकार कैसे चल पाएगी, इसको लेकर सभी जानकार एकमत में सवाल उठा रहे हैं। एक मुख्यमंत्री को हर दिन कई बैठकें करनी होती हैं, फाइलों का निपटारा करना होता है, अफसरों को निर्देश देने होते हैं, यह सब काम जेल में रहकर केजरीवाल कैसे कर पाएंगे यह सबसे बड़ा सवाल है। यही वजह है कि कुछ एक्सपर्ट मानते हैं कि शासन-प्रशासन में दिक्कत आने पर केजरीवाल को पद छोड़ने का फैसला करना पड़ सकता है। ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि केजरीवाल को पीएमएलए केस में गिरफ्तार किया गया है, जिसमें आसानी से जमानत नहीं मिलती। इसी केस में गिरफ्तार किए गए दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और राज्यसभा सांसद महीनों से जेल में बंद हैं। निचली से सबसे ऊपरी अदालत तक से उनकी जमानत याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं। सिसोदिया और एक अन्य पीएमएलए केस में गिरफ्तार दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन महीनों तक जेल में भी मंत्री रहे, लेकिन बाद में उनसे इस्तीफा ले लिया गया। ऐसे में माना जा रहा है कि यदि केजरीवाल को जल्दी जमानत नहीं मिली तो शासन-प्रशासन में दिक्कतों की वजह से उन्हें पद छोड़ने का फैसला भी लेना पड़ सकता है और दिल्ली को नया मुख्यमंत्री मिल सकता है।

‘एक मुख्यमंत्री के लिए जेल से सरकार चलाना असंभव है।

एलजी वीके सक्सेना ने कहा है कि दिल्ली की सरकार जेल से नहीं चलेगी। आम आदमी पार्टी और कुछ एक्सपर्ट एलजी की बात को इस बात का इशारा मान रहे हैं कि दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। वरिष्ठ वकील महिंदर सिंह कहते हैं, ‘एक मुख्यमंत्री के लिए जेल से सरकार चलाना असंभव है। चूंकि संवैधानिक संकट की अनुमति नहीं दी जा सकती है, राष्ट्रपति शासन एक विकल्प है।’ इस बीच ध्यान देने लायक बात यह है कि भाजपा केजरीवाल से इस्तीफे की मांग कर रही है, दिल्ली में राष्ट्रपति शासन की नहीं। दरअसल, पार्ट्री के रणनीतिकारों का मानना है कि यदि राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है आम आदमी पार्टी को ‘विक्टिम कार्ड’ खेलने का मौका मिलेगा। केजरीवाल यह कह सकते हैं कि उनकी प्रचंड बहुमत सरकार को हटाने के लिए ही उन्हें गिरफ्तार किया गया था। ऐसे में उन्हें आने वाले चुनाव में सहानुभूति के सहारे फायदा मिल सकता है, जो भाजपा के लिए मुफीद नहीं होगा।

क्या जस की तस बनी रहेगी स्थिति?
यदि केजरीवाल इस्तीफा नहीं देते हैं और दिल्ली में राष्ट्रपति शासन भी नहीं लगाया जाता है तो तीसरा रास्ता वह होगा जो दिल्ली के लिए ठीक नहीं माना जा रहा है। केंद्र और राज्य सरकार की खींचतान की वजह से पहले ही शासन-प्रशासन में कई रुकावटों का सामना करती रही दिल्ली को नई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। केजरीवाल जेल से कोई निर्देश जारी करेंगे और भाजपा उसकी वैधानिकता को कोर्ट में चुनौती देगी।

कोर्ट देगा कोई फैसला?
इस सबके बीच नजरें अदालतों पर भी हैं। यह मुद्दा जल्द ही अदालत तक पहुंच सकता है और कोर्ट के माध्यम से कोई रास्ता निकल सकता है। अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिस पर गुरुवार को सुनवाई होनी है। यह देखना दिचस्प होगा कि कोर्ट उन्हें जेल से सरकार चलाने की इजाजत देता है या फिर उन्हें इस्तीफा देने की नसीहत दी जाएगी।

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