हेमंत सरकार राज्य के दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के साथ षड़यंत्र कर रहीः सुदेश महतो
news editor September 30, 2023 0खतियान आधारित स्थानीयता झारखंडी सपना, इसे हासिल करके रहेंगे
RANCHI: आजसू पार्टी महाधिवेशन के दूसरे दिन आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो कहा कि खतियान आधारित स्थानीयता नीति झारखंड के मूलवासियों एवं आदिवासियों का सिर्फ एक मांग पत्र नहीं है। यह हमारे पूर्वजों का सपना है।
जिसके लिए झारखंड की धरती ने बहुत कुर्बानियां दी है। यह आज के पीढ़ी का एक दृढ़ संकल्प भी है।
हम इसके लिए वैधानिक ढांचों के अंतर्गत तब तक ईमानदारी से लड़ते रहेंगे जब तक इसे हासिल नहीं कर लेते। इसके लिए राज्य के हर युवाओं को यदि सर पर कफन बांधकर भी निकालना पड़े तो हम सभी निकलेंगे।
सुदेश महतो स्व॰ विनोद बिहारी महतो एवं शहीद निर्मल महतो के बलिदान को व्यर्थ नहीं होने देगा। पूर्वजों ने इसके लिए अपनी जाने दी हैं और अब इसे हासिल करना हमारी जिद है।
राज्य के दलित अल्पसंख्यक एवं पिछड़े तथा आदिवासी हमारा साथ दें, हम खतियान आधारित स्थानीयता नीति देंगे।
मौजूदा सरकार राज के मूलवासी विशेषकर दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों एवं अल्पसंख्यकों के साथ षडयंत्र कर रही है। उन्हें धोखा दे रही है।
सदन में सरकार कहती है कि कानूनी रूप से खतियान आधारित स्थानीयता नीति संभव नहीं है, लेकिन सड़कों पर बड़े-बड़े पोस्टर चिपकती है कि हमने राज्य के मूलवासी-आदिवासी को 1932 खतियान आधारित स्थानीयता नीति दे दिया है।
यह षडयंत्र नहीं है तो क्या है। सरकार अपने नियोजन नीति से 1932 खतियान आधारित स्थानीयता नीति से जोड़कर नियुक्ति हेतु विज्ञापन क्यों नहीं निकलती है।
इस कानूनी उलझनों को सुलझाना उनकी जिम्मेदारी है जो सरकार में बैठे हैं। लेकिन यह सरकार वास्तव में दलितों पिछड़ों आदिवासियों एवं अल्पसंख्यकों के प्रति ईमानदार नहीं है।
झारखंड आंदोलन के शहीदों को अपमानित किया है। हम सभी आज एक झारखंडवासी के रूप में शर्मिंदगी महसूस कर रहे हैं। आज ऊपर से देख रहे हैं शाहिद लहू के आंसू बहा रहे होंगे। हेमंत जी शहीदों को याद करिए, अपनी कलंकित विरासत से बाहर निकलिए।
झारखंड के नियोजन कार्यालय में लगभग 7 लाख शिक्षित युवक रोजगार की तलाश में पंजीकृत हैं। यह शिक्षित युवाओं की हालात हैं। राज्य सरकार के कार्यालय में लगभग 3,30,000 पद खाली है।
आखिर यह सरकार इतने खाली पदों के साथ काम कैसे कर रही है? जो झारखंड कभी अपने गौरवमय इतिहास के लिए प्रसिद्ध था, वही आज सत्ता संरक्षित प्राकृतिक संसाधनों के लूट के लिए कुख्यात है।
5 लाख रोजगार हर साल देने का वादा के साथ जो व्यक्ति मुख्यमंत्री बनता है उसके राज्य में लगभग 7,50,000 से ज्यादा लोग बेरोजगार हैं।
यह एक बड़ी संख्या है जो राज्य के सामाजिक एवं आर्थिक ढांचे को तहस-नस कर देने की स्थितियां पैदा कर सकता है। एक लाख से ज्यादा पद स्कूली शिक्षा विभाग में रिक्त पड़े हैं, लगभग सभी 73938 पद गृह विभाग में खाली पड़े हैं।
कृषि को पसंदीदा व्यवसाय बनाने के लिए सभी प्रयास तेज करने होंगेः हरीश्वर दयाल
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और कई विषयों के जानकार हरीश्वर दयाल ने कहा है कि झारखंड में कृषि को पसंदीदा व्यवसाय बनाने के लिए सभी प्रयास तेज करने होंगे।
झारखंड में भूमि, कृषि एवं सिंचाई, खनन उद्योग, वन व पर्यावरण पर आयोजित परिचर्चा में उन्होंने बताया कि देश की कुल कृषि क्षेत्र का 1.8 प्रतिशत हिस्सा झारखंड क्षेत्र में है। जबकि देश में कुल जनसंख्या का 2.60 प्रतिशत हिस्सा जो राज्य में निवास करते हैं, उनके पेट भर सकें, इसकी व्यवस्था जरूरी है।
उन्होंने कहा कि राज्य के 43 प्रतिशत श्रमिक कृषि में लगे हैं, लेकिन हमारी कुल आय का सिर्फ 15 प्रतिशत ही हिस्सा कृषि से आता है। कृषि को मनपंसद व्यवसाय बनाने की जरूरत है। झारखंड में सिंचाई की कमी है।
झारखंड में जमीन और मिट्टी बचाना निहायत जरूरीः रमेश शरण
जाने- माने शिक्षाविद और अर्थशास्त्री डॉ रमेश शरण ने कहा कि झारखंड में जो हालात बन रहे हैं, उनमें जमीन और मिट्टी बचाना जरूरी है। आज जमीनें बड़े पैमाने पर खराब हो रही हैं। पिछले आठ साल में 80 हजार हेक्टेयर जमीन यहां बर्बाद हुई है।
शोध बताते हैं कि आने वाले समय में झारखंड में दो तिहाई मरूभूमि बनने का खतरा मंडरा रहा है। खनन, जंगलों की कटाई पर्यावरण के साथ मनमानी के चलते यह नौबत बनी है।
जबकि खनन कंपनियां पर्यावरण संरक्षण को तवज्जो नहीं देती। जमीन की ऊपरी मिट्टी बचाने की जरूरत है। झारखंड आंदोलन की तरह संघर्ष करना ही होगा।
ऊपर से नीचे तक धरती को बचाने की जरूरतः मेघनाथ भट्टाचार्य
झारखंड आंदोलनकारी और मशहूर फिल्मकार मेघनाथ भट्टाचार्य ने कहा कि ऊपर से नीचे तक धरती को बचाने की जरूरत है।
भगवान के नहीं, इंसान के हजारों हाथ होते हैं। अगर धरती और पानी बचायें, तो सभी हाथों को काम दे सकते हैं।
मेघनाथ भट्टाचार्य ने बारिश के बहते पानी को संरक्षित करने की पूरी विधि को विस्तार से लोगों को समझाया। उन्होंने बताया कि आज बारिश के बाद नदी का पानी 400 किलोमीटर प्रति दिन की रफ्तार से बंगाल की खाड़ी में चला जाता है।
इस रफ्तार को विभिन्न तरीकों के माध्यम से 4 मिलीमीटर प्रति दिन तक पहुँचा सकते हैं। उन्होंने कहा, मैं वक्ता नहीं हूं. फ़िल्म बनाता हूँ। विकास के नाम पर राज्य की सम्पदाओं का खनन हो रहा है। सरकारों ने झारखंड को विकास का कब्रगाह बना दिया है।
पर्यावरण पर आघात बढ़े हैः संजय उपाध्याय
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता और पर्वायरण संरक्षण के जानकार संजय उपाधाय ने परिचर्चा में कहा कि व्यवस्था में मतभेद के चलते है पर्यावरण पर बने कानूनों में फर्क दिखता है।
देश में पर्यावरण से जुड़े विषयों पर नीति बाद में बनती है कानून पहले बनता है। नीतिगत प्रक्रिया के बिना कोई भी कानून कारगर साबित नहीं हो सकता है।
पर्यावरण को बचाना ही सिर्फ जरूरी नहीं, पर्यावरण पर जिन विषयों, चीजों से आघात पहुँचता है उस पर भी सोचने की जरूत है। झारखंड राज्य जल, जंगल,जमीन के लिए महत्वपूर्ण है।
इसका धीरे धीरे केंद्रीकरण हो रहा है। केंद्र और राज्य के बीच समानता होनी चाहिए। को-ऑपरेटिव मॉडल पर काम करने की जरूरत है। साथ में सभी स्तर के लोगों को बैठ कर पर्यावरण के विषय में बात करने की आवश्यकता है।