भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक राहत भरी खबर, निर्यात बढ़ने से देश के चालू खातें में होगा सुधार
नई दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक राहत भरी खबर सामने आई है। देश का चालू खाता घाटा कम रहने की उम्मीद है। व्यापार के मोर्चे पर सुधार खासकर निर्यात बढ़ने से देश को चालू खाता घाटा कम करने में मदद मिल रही है। इस कारण अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारत का चालू खाता घाटा जीडीपी के एक फीसदी से कम रह सकता है।
नौ महीने में सबसे बेहतर डेटा
चालू वित्त वर्ष के दौरान अब तक के उपलब्ध आंकड़ों में देश का व्यापार घाटा कम हुआ है। जनवरी में भारत का मर्चेंडाइज ट्रेड डेफिसिट 17।5 बिलियन डॉलर रहा था, जो नौ महीने में सबसे कम है। इससे पहले दिसंबर महीने में भारत का मर्चेंडाइज व्यापार घाटा 19।8 बिलियन डॉलर रहा था। सर्विस सेक्टर ने इसे कम करने में सबसे अहम योगदान दिया। सर्विस सेक्टर का सरप्लस जनवरी में बढ़कर 16।8 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया।
इस तरह से कम हुआ व्यापार घाटा
चालू वित्त वर्ष के दौरान सिर्फ फरवरी और मार्च के आंकड़े सामने आने बाकी है। यानी शुरुआती 10 महीनों के आंकड़े साफ हो चुके हैं। अप्रैल 2023 से लेकर जनवरी 2024 तक देश का व्यापार घाटा 206 बिलियन डॉलर रहा है। यह पिछले वित्त वर्ष के शुरुआती 10 महीने में 229 बिलियन डॉलर रहा था। इस दौरान सेवा क्षेत्र का शुद्ध निर्यात साल भर पहले के 117 बिलियन डॉलर से बढ़कर 138 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है।
इतना हो गया विदेशी मुद्रा भंडार
विदेशी निवेश के मामले में भी राहत मिल रही है। चालू वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश दोनों बढ़ा है। सितंबर तिमाही में भले ही एफडीआई में आउटफ्लो दिखा था, लेकिन उसके बाद दिसंबर तिमाही के दौरान अक्टूबर और नवंबर महीने में एफडीआई इनफ्लो अच्छा रहा। एफपीआई भी ओवरऑल सकारात्मक बना हुआ है। हालांकि विदेशी निवेश के बेहतर आंकड़ों से रुपये को कम ही मदद मिल पाए, क्योंकि सेंट्रल बैंक इस मौका का फायदा उठाकर विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत बनाने पर फोकस कर सकता है, जो 9 फरवरी तक 617 बिलियन डॉलर पर था।
क्या कहते हैं एनालिस्ट के अनुमान?
इन आंकड़ों के चलते तमाम एक्सपर्ट चालू खाता घाटा नियंत्रित रहने का अनुमान दे रहे हैं। गोल्डमैन सैश ने जनवरी में कहा था कि भारत का चालू खाता घाटा इस वित्त वर्ष में कम होने की उम्मीद है। एचडीएफसी बैंक का अनुमान कैड जीडीपी के 1 फीसदी से नीचे रहने का है। आईडीएफसी फर्स्ट बैंक को 1 से 1।2 फीसदी और कोटक महिंद्रा बैंक को 1।1से 1।4 फीसदी रहने की उम्मीद है। भारत को चालू वित्त वर्ष में कच्चे तेल के आयात का बिल कम रहने से भी बड़ी मदद मिल रही है।