ड्रोन की जरूरतों के लिए भारत पर निर्भर इजरायल, साथ मिलकर UAV बनाएंगे दोनों देश

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India-Israel Collaboration Supports Drone Manufacturing For Israeli  Military Needs

नई दिल्‍ली । जहां एक ओर भारत की तीनों सेनाएं मानव रहित हवाई वाहनों (UAV) के विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं वहीं जंग के मैदान में हमास और हुतियों को कड़ी चुनौती देने वाला इजरायल अपनी ड्रोन की जरूरतों के लिए कहीं न कहीं भारत पर सबसे ज्यादा भरोसा जाता रहा है।

इजराइल हमास युद्ध में इजरायल की जरूरतों के लिए अब भारत की स्वदेशी कंपनी और इजराइल मिलकर ड्रोन बनायेंगे, जिनका निर्माण कार्य भारत की ही जमीन पर होगा।

भारत के अदानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस और इजराइल के एल्बिट सिस्टम्स द्वारा गठित ज्वाइंट वेंचर इजराइल के बाहर ड्रोन का उत्पादन करने वाली पहली फर्म बन चुकी है. भारत की ये स्वदेशी कंपनी युद्ध में मिलकर इजरायल के लिए ड्रोन बनाएगी. इस UAV का निर्माण और डिस्ट्रीब्यूशन हैदराबाद में किया जाएगा..यानी वो भारत जो जंग के साजो सामान, हथियार के लिए अब तक विदेशों का मुंह ताकता रहा वह भारत अब विदेशों में अपने हथियारों और तकनीक से धूम मचाएगा।

भारत में असेंबल होंगे अटैक ड्रोन

इन UAV का उत्पादन प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते के तहत किया जा रहा है. भारत की स्वदेशी कंपनी एल्बिट सिस्टम्स की इसमें 49% हिस्सेदारी है. इजरायल ने हर्मीस 900 किट्स भारत में भेजी है. भारत में इन जंगी और अटैक ड्रोन में सेंसर और उसे असेंबल करने का काम किया जाएगा जिन्हें बाद में इजरायल युद्ध में इस्तेमाल भी करेगा. इस निर्माण से न केवल भारत की जमीन पर इजरायल के लिए अटेकिंग ड्रोन का निर्माण कार्य होगा, बल्कि आतंक के खिलाफ भारत की अपने मित्र देशों के साथ प्रतिब्धता भी कायम होगी।

हर्मीस 900की खासियत :

हर्मीस 900 मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (MALE) श्रेणी का एक बड़ा ड्रोन है, जिसे सामरिक भूमिकाओं के लिए डिजाइन किया गया है.

यह चल रहे खुफिया संग्रह, निगरानी, ​​लक्ष्य प्राप्ति और टोही (ISTAR) जैसे मिशनों की एक विस्तृत श्रृंखला को अंजाम दे सकता है.

हर्मीस 900 के पंखों का फैलाव 15 मीटर (49 फीट) है और वजन 970 किलोग्राम (2,140 पाउंड) है, इसकी पेलोड क्षमता 300 किलोग्राम (660 पाउंड) है.

मीडियम-एल्टीट्यूड लॉन्ग-एंड्योरेंस (MALE)मानव रहित हवाई वाहन 10,000 से 30,000 फीट (3,000-9,000 मीटर) की ऊंचाई सीमा के भीतर संचालित होता है और इसे लंबे समय तक हवा में रहने के लिए डिजाइन किया गया है.

आमतौर पर 24 से 48 घंटों के बीच ये फ्लाई कर सकता है. इस श्रेणी में मानव रहित लड़ाकू हवाई वाहन और मानव रहित टोही हवाई वाहन दोनों शामिल हैं.

हर्मीस 900 एक ही मिशन पर लगातार 36 घंटे तक काम कर सकता है और 350 किलोग्राम तक का पेलोड ले जा सकता है. इसकी अधिकतम उड़ान क्षमता 30,000 फीट है.

हाई क्वालिटी सेंसरों के साथ हर्मीस 900 में व्यापक स्पेक्ट्रम में भूमि और समुद्री दोनों लक्ष्यों की पहचान करने की क्षमता रखता है.

इसे जमीनी लक्ष्यों पर हमला करने के लिए तैनात किया जा सकता है.

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2014 में हुआ था पहला इस्तेमाल

हर्मीस 900 को 2012 में इजरायली सेना में शामिल किया गया था और इसका पहला इस्तेमाल हमास के खिलाफ गाजा में 2014 में किया गया था. हर्मीस 900 को अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच दूसरे नागोर्नो-काराबाख संघर्ष के दौरान भी तैनात किया गया था. इजराइल और हमास के बीच मौजूदा संघर्ष में हर्मीस 900 यूएवी का उपयोग प्रमुखता से किया जा रहा है.इजराइल इन ड्रोनों को न केवल हमलों का नेतृत्व करने के लिए बल्कि तटीय क्षेत्र के नीचे सुरंगों के नेटवर्क की टोह लेने के लिए भी नियुक्त कर रहा है. हर्मीस 900 ने फिलिस्तीनी उग्रवादियों के नेताओं को निशाना बनाने और खत्म करने और विभिन्न लक्ष्यों पर हमला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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