60 हजार करोड़ रुपये से सुखोई लड़ाकू विमानों को आधुनिक बनाया जाएगा
नई दिल्ली । सरकार ने वित्त वर्ष 24-25 के बजट में 84 सुखोई लड़ाकू विमानों को आधुनिक बनाने और 12 नए सुखोई खरीदने के लिए अलग से 60 हजार करोड़ रुपये आवंटित करने का फैसला लिया है। बजट का बड़ा हिस्सा देश को घरेलू स्तर पर निर्मित अगली पीढ़ी की हथियार प्रणाली प्रदान करने के लिए घरेलू स्रोतों के माध्यम से खरीद के लिए उपयोग किया जाएगा, जिसका जीडीपी पर कई गुना प्रभाव पड़ेगा। बढ़े हुए बजटीय आवंटन से सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक, विशिष्ट प्रौद्योगिकी वाले घातक हथियारों, लड़ाकू विमानों, जहाजों, मानव रहित हवाई वाहनों, ड्रोन आदि से लैस किया जाएगा।
वित्तीय वर्ष 2024-25 में रक्षा बजट 6,21,540.85 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यह कुल केंद्रीय बजट का 13.04 प्रतिशत है। वित्त वर्ष 24-25 के लिए रक्षा का बजटीय आवंटन वित्त वर्ष 2022-23 के आवंटन से लगभग एक लाख करोड़ (18.35 प्रतिशत) और वित्त वर्ष 23-24 के आवंटन से 4.72 प्रतिशत अधिक है। वित्त वर्ष 24-25 के लिए रक्षा में पूंजीगत व्यय के लिए बजटीय आवंटन 1.72 लाख करोड़ रुपये है जो वित्त वर्ष 22-23 के वास्तविक व्यय से 20.33 प्रतिशत अधिक है और वित्त वर्ष 23-24 के संशोधित आवंटन से 9.40 प्रतिशत अधिक है। बढ़े हुए बजटीय आवंटन से सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक, विशिष्ट प्रौद्योगिकी वाले घातक हथियारों, लड़ाकू विमानों, जहाजों, प्लेटफार्मों, मानव रहित हवाई वाहनों, ड्रोन, विशेषज्ञ वाहनों आदि से लैस करने में सुविधा होगी।
सरकार ने वित्त वर्ष 24-25 के बजट में वायु सेना के 84 सुखोई लड़ाकू विमानों को आधुनिक बनाने और 12 नए सुखोई खरीदने के लिए अलग से 60 हजार करोड़ रुपये आवंटित करने का फैसला लिया है। आवंटित बजट के बड़े हिस्से का इस्तेमाल अगली पीढ़ी की स्वदेशी हथियार प्रणाली खरीदने के लिए किया जाएगा, जिसका जीडीपी पर कई गुना प्रभाव पड़ेगा। इसके अलावा मौजूदा मिग-29 के लिए उन्नत इंजनों के अधिग्रहण, परिवहन विमान सी-295 और मिसाइल प्रणालियों के अधिग्रहण की भी योजना है। ‘मेक इन इंडिया’ पहल को आगे बढ़ाने के लिए लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) एमके-1 के आईओसी/एफओसी कॉन्फ़िगरेशन को अतिरिक्त रूप से वित्त पोषित किया जाएगा।
बजट में भारतीय नौसेना की परियोजनाएं जैसे डेक-आधारित लड़ाकू विमान, पनडुब्बियां, अगली पीढ़ी के सर्वेक्षण जहाजों आदि का अधिग्रहण करने के लिए भी अलग से आवंटन किया गया है। बजट का बड़ा हिस्सा रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। इस बजट का इस्तेमाल घरेलू स्तर पर निर्मित अगली पीढ़ी की स्वदेशी हथियार प्रणाली खरीदने के लिए किया जाएगा, जिससे घरेलू अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा। इसका उद्देश्य विमान और जहाजों सहित सभी प्लेटफार्मों पर सर्वोत्तम रखरखाव सुविधाएं और सहायता प्रणाली प्रदान करना है। ज्यादा बजट आवंटन से सीमाओं के अग्रिम इलाकों में तैनाती मजबूत करने और किसी भी आकस्मिक घटना से निपटने के लिए सशस्त्र बलों को हमेशा तैयार रखने में मदद मिलेगी।
भारत-चीन सीमा पर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के लिए 6,500 करोड़ रुपये आवंटित किये गए हैं, जो वित्त वर्ष 23-24 के आवंटन से 30 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2021-22 के आवंटन से 160 प्रतिशत अधिक है। इस बजट से सीमावर्ती क्षेत्रों में रणनीतिक ढांचागत विकास के साथ-साथ पर्यटन को भी बढ़ावा दिए जाने की योजना है। इससे पूर्वी लद्दाख में 13,700 फीट की ऊंचाई पर न्योमा एयरफील्ड का विकास, अंडमान और निकोबार द्वीप में भारत की सबसे दक्षिणी पंचायत के लिए स्थायी पुल कनेक्टिविटी, हिमाचल प्रदेश में 4.1 किमी. लंबी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण शिंकू ला सुरंग, अरुणाचल प्रदेश में नेचिफू सुरंग और कई अन्य परियोजनाओं को वित्त पोषित किया जाएगा।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) को वित्त वर्ष 2023-24 में आवंटित 23,263.89 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वित्त वर्ष 2024-25 में 23,855 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इस आवंटन में से 13,208 करोड़ रुपये का बड़ा हिस्सा पूंजीगत व्यय के लिए आवंटित किया गया है। प्रौद्योगिकी विकास निधि योजना के लिए 60 करोड़ रुपये आवंटित किये गए हैं, जिससे डीआरडीओ के सहयोग से रक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट प्रौद्योगिकी विकसित की जाएगी। वित्त मंत्री ने बजट में रक्षा क्षेत्र की आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए नई डीप-टेक टेक्नोलॉजी लाने का वादा किया है। डीप टेक के लिए एक लाख करोड़ रुपये के कोष और रक्षा क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।