परिवार के अंतर कलह में फंसी कल्पना, क्यों नहीं बन सकीं झारखंड की सीएम
नई दिल्ली । कथित जमीन घोटाले (alleged land scam)में फंसे हेमंत सोरेन अपनी पत्नी कल्पना सोरेन(Kalpana Soren) को मुख्यमंत्री (मुख्यमंत्री )बनाना चाह रहे थे, लेकिन ऐसा नहीं कर पाए। हालांकि कल्पना सोरेन के नाम को लेकर झामुमो ने आधिकारिक रूप से कोई घोषणा (any announcement)नहीं की। अंदरखाने बात चल रही थी। कहा जा रहा था कि जेल जाने से पहले हेमंत कल्पना को उसी तरह कुर्सी सौंप देंगे जिस तरह 90 के दशक में बिहार में लालू यादव ने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बना दिया था।
प्रमुख वजह परिवार से ही बगावत की आवाज उठना
कल्पना के सीएम नहीं बन पाने की सबसे प्रमुख वजह परिवार से ही बगावत की आवाज उठना है। कल्पना के नाम की चर्चा पर झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन बगावत पर उतर आईं। वह मंगलवार को विधायक दल की बैठक में नहीं आईं। मीडिया रिपोर्ट के आधार पर सीता सोरेन ने कहा है कि कल्पना सोरेन उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में किसी हाल में स्वीकार नहीं है। सूत्रों के अनुसार हेमंत के छोटे भाई बसंत सोरेन ने भी कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री के रूप में समर्थन नहीं किया। वह भी विरोध में उतर आए।
गांडेय उपचुनाव को लेकर बनी संशय की स्थिति
तीसरी बड़ी वजह महागठबंधन के सामने गांडेय उपचुनाव को लेकर बनी संशय की स्थिति बनी। दरअसल पांचवीं विधानसभा का कार्यकाल एक साल से कम बचा होने की वजह से गांडेय विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने में अड़चन है। गांडेय विधानसभा सीट से डॉ. सरफराज अहमद ने व्यक्तिगत कारण बता कर 30 दिसंबर 2023 को इस्तीफा दे दिया था। अब यहां उपचुनाव को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। कल्पना सोरेन के विधायक नहीं रहने की वजह से सीएम बनाने में तकनीकी दिक्कत आएगी। अगर गांडेय की खाली सीट पर उपचुनाव नहीं हुआ तो कल्पना छह माह बाद सीएम नहीं रह पाएंगी।
ईडी दफ्तर में हेमंत सोरेन से मिलीं कल्पना
हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर ईडी की टीम हिनू स्थित मुख्य कार्यालय में पहुंची। ईडी की टीम सोरेन को लेकर राजभवन से सीधे हिनू पहुंची। यह काफिला रात 10:08 बजे हिनू पहुंचा। इस काफिले में हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन भी साथ आई थी। हेमंत की गाड़ी आते ही वह पूरे मीडिया के घेरे में आ गए। कार्यालय के सामने सोरेन को कैमरे में कैद करने की काफी जद्दोजहद हुई लेकिन ईडीकर्मियों की तत्परता के कारण कोई भी बात नहीं हो सकी। इसके बाद ऑफिस का दरवाजा खुला और वह अंदर चले गए। इसके बाद एक एंबुलेंस पैरामेडिकल स्टाफ को लेकर ईडी कार्यालय के अंदर गई और कुछ देर के बाद यह निकल गई। हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन के यहां आने के बाद सीआरपीएफ के बड़े अधिकारी यहां सुरक्षा का जायजा लेने आए। अंदर से बाहर तक का मुआयना करने के बाद यहां से निकल गए।