भाजपा सरकार के कामों को अपना बता तारीफ बटोरने में लगी है हेमन्त सरकार: नीलकंठ सिंह मुंडा

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झारखंड भवन, विधानसभा भवन, झारखंड उच्च न्यायलय, प्रेस क्लब भवन,, हज हाउस जैसे भवनों का निर्माण भाजपा सरकारकी देन

भ्रष्टाचार में लिप्त ठगबंधन सरकार काम पूरा होने के बाद कराती है टेंडर

RANCHI: भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने पथ एवं भवन निर्माण विभाग पर दिए अपनी प्रतिक्रिया, प्रेस वार्ता कर खामियों को किया उजागर।

भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि

झारखंड सरकार राज्य की जनता को बेवकूफ बनाने में लगी है। राज्य सरकार द्वारा रघुबर सरकार के किये किये गए कामो को अपना बताकर वाह वाही लूटने में लगी है।

श्री मुंडा ने कहा कि जिस झारखंड भवन को हेमन्त सरकार अपनी सरकार की उपलब्धियों में शामिल कर बताने में लगी है वह रघुबर सरकार की देन है। साथ ही झारखण्ड विधानसभा, झारखंड उच्च न्यायालय, रांची प्रेस क्लब भवन, हज हाउस जैसे भवनों का निर्माण कार्य भाजपा सरकार की देन है।

श्री मुंडा ने कहा कि पिछले रघुबर सरकार के 5 वर्ष के कार्यकाल में 22865 किमी सड़क का निर्माण किया गया था।

वहीं राज्य सरकार के प्रेस वार्ता के माध्यम से बताया गया कि मात्र 5200 किमी सड़क ही हेमन्त सरकार में बन पाए है।

श्री मुंडा ने कहा कि भ्रष्टाचार में लिप्त सरकार अपने चहेतों को काम दिलाने के कारण पहले संवेदक तय कर देती है और काम पूरा होने पर टेंडर निकालती है।

श्री मुंडा ने आगे कहा कि बीते चार वर्षो में झारखंड राज्य में भ्रष्टाचार ने सारे रिकाॅर्ड तोड़ डाले हैं।

स्वाभाविक है, भवन निर्माण विभाग और पथ विभाग इससे अछूता नहीं है। पूरे राज्य में विभागों में लूट मचा हुआ है। यह विभाग कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है।

श्री मुंडा ने कहा कि चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 के 9 महीने में भवन निर्माण के योजना बजट की 5350 करोड़ की कुल राशि में से 44.61 प्रतिशत राशि ही खर्च हो सकी है।

श्री मुंडा ने कहा कि भवन निर्माण विभाग में स्वीकृत 1749 पद के मुकाबले केवल 497 ही कार्यरत हैं जबकि 1252 पद रिक्त है।

श्री मुंडा ने कहा कि भवन निर्माण विभाग में नियम कायदों को ताक पर रखकर टेंडर का खेल चलता रहा है। पहले काम, फिर टेंडर की परंपरा चल रही है।

चहेते ठेकेदारों को पहले काम दिया जा रहा है फिर दिखावे के लिए टेंडर प्रक्रिया प्रारंभ की जाती है।

विभाग के अफसर गाइडलाईन को पूरी तरह नजरअंदाज कर रहे हैं।

जमशेदपुर सर्किट हाउस भवन की 6.76 लाख रूपये की मरम्मति, सर्किट हाउस चहारदीवारी की 4.98 लाख रूपये से मरम्मति, 24.87 लाख की लागत से भालकी पंचायत भवन और इतनी ही लागत से सिंहपूरा पंचायत भवन की मरम्मति कार्य का मामला एक उदाहरण भर है।

इन योजनाओं का टेडर काम होने के उपरांत निकाला गया।

श्री मुंडा ने कहा कि भवन निर्माण विभाग में अफसरशाही किस कदर हावी है, इससे साफ समझा जा सकता है कि एमजीएम मेडिकल काॅलेज का निरीक्षण करने गए स्वास्थ्य मंत्री द्वारा दो दो बार फोन करने के बावजूद भवन निर्माण विभाग के सचिव द्वारा नहीं उठाया जाता है।

विभाग में जेई तबादले के वर्षों बाद भी रिलीव नहीं होते, उनपर रजिस्टर्ड ठेकेदारों के साथ पार्टनरशिप में ठेकेदारी का आरोप लगता रहा है।

श्री मुंडा ने कहा कि भवन निर्माण विभाग के अधिकांशः प्रमंडल प्रभार व्यवस्था के भरोसे है।

एक इंजीनियर कई इंजीनियरों का काम संभाल रहे हैं। कई जगहों पर कार्यपालक अभियंता का पद खाली है।

श्री मुंडा ने कहा कि चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 के 9 महीने में पथ निर्माण के योजना बजट की 631 करोड़ की कुल राशि में से 56.65 प्रतिशत राशि ही खर्च हो सकी है।

श्री मुंडा ने कहा कि पथ निर्माण विभाग में स्वीकृत 3601 पद के मुकाबले केवल 1654 ही कार्यरत हैं जबकि 1947 पद रिक्त है।

श्री मुंडा ने कहा कि सुव्यवस्थित परिवहन व्यवस्था किसी भी राज्य में विकास का आईना मानी जाती है।

लेकिन हेमंत सोरेन सरकार में सड़कों की बदहाल स्थिति जगजाहिर है।

राजधानी रांची सहित ग्रामीण इलाकों की सड़के बदहाल हैं। कई काॅरिडोर परियोजनाएं जमीन तो कहीं फाॅरेस्ट क्लीयरेंस के कारण फंसी हुई हैं।

पूरे राज्य में जमीन की लूट खसोट करने और करवाने वाली राज्य सरकार को राजधानी में सड़क के लिए जमीन नहीं मिल रही है।

भू अर्जन कार्यालय में लगभग 600 करोड़ पड़े हुए हैं, भुगतान नहीं होने से कई प्रोजेक्ट का प्रभावित होना स्वाभाविक है।

रैयतों को भुगतान नहीं हो रहा है, इस कारण भी कई योजनाएं प्रभावित हो रही हैं।

श्री मुंडा ने कहा कि राज्य में डीएमएफटी फंड का दुरूपयोग तो हो ही रहा है, इसमें भारी लूट खसोट किया जा रहा है।

कमीशन का खेल खुलेआम जारी है। जहां रास्ता भी नहीं वहां लाखों का पुल बनाया जा रहा है। जैसी सरकार वैसी ही उनकी योजनाएं। पूरी तरह दिशाहीन और लक्ष्य विहीन।

श्री मुंडा ने कहा कि लातेहार में डीएमएफटी फंड का दुरूपयोग करते हुए अलकतरा रोड के लिए 2.5 करोड़ का टेंडर निकाला गया परंतु पीसीसी सड़क बना दी जाती है।

श्री मुंडा ने कहा कि पथ निर्माण विभाग में इंजीनियरों की बड़ी कमी है। इसमें सहायक अभियंता से लेकर कार्यपालक अभियंता, अधीक्षण अभियंता, मुख्य अभियंता, अभियंता प्रमुख के पद शामिल हैं। प्रभार व्यवस्था के भरोसे है विभाग।

श्री मुंडा ने कहा कि लोहरदगा में केंद्र सरकार ने 2022 में 19.9 किलोमीटर बायपास रोड की हरी झंडी दी है। अभी तक भूमि अधिग्रहण का काम पूरा नहीं होने से यह योजना ठंडे बस्ते में है। अपेक्षित गति नहीं पकड़ सकी है।

श्री मुंडा ने कहा कि झारखंड में 25 करोड़ तक का टेंडर लोकल ठेकेदार को देने का कितना लाभ स्थानीय युवाओं को कितना मिला है, यह सरकार को बतलाना चाहिए।

श्री मुंडा ने कहा कि सोनारी डोबो पुल से एनएच 33 को जोड़ने वाली एप्रोच सड़क जानलेवा हो चुकी है। 7.8 किमी में 170 गड्ढे हैं। इसमें 19-20 तो जानलेवा हैं।

 

श्री मुंडा ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में सड़क नहीं होने की वजह से खटिया से गर्भवती को एंबुलेंस और अस्पताल तक पहुंचाने की खबरें आये दिन सामने आती रहती है। इस कारण लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ती है। यह राज्य सरकार के लिए शर्मनाक है।

श्री मुंडा ने कहा कि सड़क सहित विकास योजनाओं में जुड़ी कंपनियों को सुरक्षा देने में सरकार नाकाम रही है। चतरा में नक्सलियों के डर से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की 40 करोड़ की 4 योजनाएं बंद कर ठेकेदार भाग तक खड़े हुए हैं। निर्माण साइट पर उग्रवादी हमले और आपराधिक गतिविधियां तो आम बात हो चुकी है।

श्री मुंडा ने कहा कि प्रशासनिक उदासीनता और भू-माफियाओं की दबंगई के कारण हजारीबाग में चार साल में साढ़े 5 किलोमीटर का रिंग रोड नहीं बन पाया। 50.39 करोड़ की लागत से 05.528 किलोमीटर लंबे रिंग रोड में अब तक 2.5 किलोमीटर का ही निर्माण पूरा हो पाया है। पहले 17 मार्च 2021 तो बाद में अवधि विस्तार के बाद 17 मार्च 2023 तक पूरा करना था काम।

प्रेस वार्ता में प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी एवं प्रदेश मीडिया सह प्रभारी अशोक बड़ाईक उपस्थित थे।

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