रामभक्ति पर सिर्फ हमारा एकाधिकार नहीं, इसे राजनीतिक नजरिए से ना देखें: क्यों बोलीं उमा भारती
नई दिल्ली । पूर्व केंद्रीय मंत्री, (former union minister)मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और राम जन्मभूमि आंदोलन (Agitation)में बढ़-चढ़कर (by leaps and bounds)हिस्सा लेने वालीं उमा भारती (Bharti)ने अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाली रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में विपक्षी नेताओं, उद्योगपतियों और मशहूर हस्तियों के शामिल होने के मुद्दे पर कहा है कि रामभक्ति पर हमारा एकाधिकार नहीं है बल्कि भगवान राम सबके हैं। उन्होंने विपक्षी नेताओं को भी वोट बैंक की राजनीति और जनाधार खिसकने की मानसिकता और आशंकाओं से बाहर निकलने का आह्वान किया है।
एक इंटरव्यू में भारती ने कहा, “प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने का निमंत्रण राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र न्यास का निर्णय है। यह कोई राजनीतिक आह्वान नहीं है। राम भक्ति पर हमारा कोई कॉपीराइट नहीं है। भगवान राम और हनुमान जी बीजेपी के नेता नहीं हैं बल्कि वे हमारे राष्ट्रीय गौरव हैं। उनके मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में कोई भी शामिल हो सकता है और किसी को भी इसके लिए आमंत्रित किया जा सकता है।
उमा भारती ने कहा, “मैं सभी राजनेताओं से भी कहूंगी कि इसे राजनीतिक नजरिए से ना देखें। आपके घरों में भी राम की तस्वीरें हैं; आपके नाम में भी राम हो सकता है। इसलिए, इसमें भाग लें। इससे आप मत डरें कि आपको वोट नहीं मिलेंगे।” भारती ने कहा, “मैं बीजेपी वालों से भी कहूंगी कि आप इस अहंकार से बाहर निकलें कि केवल आप ही राम की भक्ति कर सकते हैं। ल गे हाथ मैं विपक्ष से भी कहूंगी- अपने आप को इस डर से मुक्त कर लें कि आपको वहां नहीं जाना है।” मंदिर आंदोलन की बड़ी नेता रहीं साध्वी उमा भारती ने कहा कि अहंकार या भय से मुक्त होकर हम सभी को खुशी-खुशी से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में भाग लेना चाहिए।
बता दें कि उमा भारती ने 12 साल की उम्र में मंदिर आंदोलन में शिरकत की थी। 6 दिसंबर 1992 को जब बाबरी मस्जिद का ढांचा ढहाया जा रहा था, तब उमा भारती वहीं मौजूद थीं। वह उन 32 लोगों में शामिल थीं, जिन्हें बाबरी विध्वंस के लिए आरोपी बनाया गया था। हालांकि, इन सभी को 2020 में एक विशेष सीबीआई अदालत ने बरी कर दिया था। पिछले साल, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इन सबको बरी किए जाने के खिलाफ अपील भी रद्द कर दी थी। उमा भारती ने कहा कि वह 18 जनवरी से ही अयोध्या में रहेंगी।