समय रहते करायें हेपेटाइटिस की जांच :अभियान निदेशक

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विश्व हेपेटाइटिस दिवस के अवसर पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम नामकुम स्थित लोक स्वास्थ्य संस्थान के प्रेक्षागृह में संपन्न

28 अगस्त तक चलेगा हेल्दी लीवर कैम्पेन

RANCHI: हेपेटाइटिस के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इस बीमारी को खत्म करने के उद्देश्य से विश्व हेपेटाइटिस दिवस के अवसर पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम नामकुम स्थित लोक स्वास्थ्य संस्थान के प्रेक्षागृह में मंगलवार किया गया।

इस अवसर पर हेल्दी लीवर कार्यक्रम का भी शुभारंभ हुआ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, झारखण्ड के अभियान निदेशक शशि प्रकाश झा ने कहा कि किसी भी बीमारी को लेकर वैश्विक आयोजन क्यों हो रहा है,

इस बात को समझने की आवश्यकता है। हेपेटाइटिस बी और सी जानलेवा है और समय रहते इसका इलाज जरूरी है उन्होंने कहा कि शरीर में किसी भी तरह की परेशानी होने पर योग्य चिकित्सकों से ही सलाह लेनी चाहिए।

आजकल इन्टरनेट की दुनिया में लोग बीमारी का इलाज गूगल में ढूढंने लगते हैं, यह आदत मरीज को परेशानी में डाल देता है।

उन्होंने कहा कि चिकित्सक अपने अनुभवों और बीमारी के लक्षण को ध्यान में रखते हुए मरीज का इलाज करते हैं। इसलिए हमेशा योग्य चिकित्सक से ही स्वास्थ्य परामर्श लेना चाहिए।

हमारे सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थान में योग्य और विशेषज्ञ चिकित्सक उपलब्ध हैं।

उन्होंने कहा किसी भी स्वास्थ्य परेशानी में गूगल का नहीं बल्कि निःशुल्क डायल 104 पर संपर्क करना चाहिए। उन्होंने बताया कि आमजनों को 104 पर हमारे काउंसलर परामर्श देते हैं जरूरत पड़ने पर चिकित्सक से भी बात कराते हैं।

104 पर स्वास्थ्य संबंधित शिकायतें और सुझाव भी प्राप्त किये जाते हैं। रिम्स मेडिसीन विभाग प्रो. डॉ दिवाकर ने कहा कि 2030 तक हेपेटाइटिस उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित है।

उन्होंने कहा कि हेपेटाइटिस बी और सी के कारण होने वाले वायरल हेपेटाइटिस सार्वजनिक स्वास्थ्य पर अतिरिक्त बोझ डालता है।

हेपेटाइटिस के कारण लीवर सिरोसिस और कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि हेपेटाइटिस बी और सी रक्त, असुरक्षित यौन संपर्क और माँ से बच्चे में गर्भावस्था या प्रसव के दौरान फैल सकता है।

प्रभावित टीके हेपेटाइटिस बी को रोक सकते हैं और हेपेटाइटिस सी के लिए अत्यधिक प्रभावी उपचार उपलब्ध है।

रिम्स माइक्रोबॉयलॉजी विभाग के एचओडी डॉ मनोज कुमार ने कहा कि रिम्स में इस वर्ष हेपेटाइटिस बी के 28353 संभावित मरीजों की स्क्रीनिंग की गई जिसमें से 27907 मरीजों का रिपोर्ट निगेटिव आया है।

486 मरीज पॉजिटिव पाये गये हैं।

जिनका इलाज किया जा रहा है। नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम के कन्सल्टेन्ट डॉ प्रवीण कर्ण कहा कि हेपेटाइटिस ए बी सी डी और ई सभी लीवर में सूझन पैदा करने वाले विभिन्न प्रकार के संक्रामक वायरस हैं जो, अलग-अलग तरीकों से फैलता है।

हेपेटाइटिस ए दूषित भोजन, पानी या संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है।

हेपेटाइटिस बी संक्रमित व्यक्ति के रक्त, सुई या यौन संपर्क से फैलता है। हेपेटाइटिस सी संक्रमित रक्त के माध्यम से फैलता है।

हेपेटाइटिस डी बी के साथ ही होता है और हेपेटाइटिस बी वायरस से संक्रमित लोगों में ही होता है और हेपेटाइटिस ई दूषित पानी और भोजन से फैलता है। कार्यक्रम में नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ प्रमोद,

डॉ कमलेश, डॉ अश्विनी, डॉ बिरेन्द्र प्रसाद सिंह, डॉ अनिल कुमार सिंह, ने भी अपने विचार रखे।

कार्यक्रम का संचालन राज्य कार्यक्रम समन्वयक अकय मिंज ने किया। आईईसी के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ लाल माझी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

हेपेटाइटिस बीमारी को मात देकर स्वस्थ जीवनशैली जी रहे लोगों को कार्यक्रम में अभियान निदेशक  शशि प्रकाश ने मोमेन्टो, प्रशस्ति पत्र और अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया।

रांची की पूजा कुमारी, रेश्मी कुमारी, रविन्द्र मिस्त्री और सिमडेगा के अमन सोय हेपेटाइटिस जैसी बीमारी से ठीक होकर अब पीयर सपोर्टर के रूप में काम करेंगे और हेपेटाइटिस के मरीजों को स्वस्थ जीवनशैली के लिए प्रेरित करेंगे।
28 अगस्त तक चलेगा हेल्दी लीवर कैम्पेन

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम के तहत 29 जुलाई से हेल्दी लीवर कैम्पेन  शुरुआत की गई।

यह अभियान 28 अगस्त तक चलेगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, झारखण्ड के अभियान निदेशक  शशि प्रकाश झा ने निर्देश दिया है कि इस कैम्पेन के तहत हाई रिस्क गु्रप के मरीजों की हेपेटाइटिस बी और सी की जांच एवं उपचार सुनिश्चि करें।

उन्होंने बताया कि मेडिकल कॉलेज तथा जिला अस्पतालों में आ रही गर्भवती महिलाओं की हेपेटाइटिस बी और सी जांच की जायेगी।

स्वास्थ्य संस्थानों में काम करने वाले डॉक्टर, लैब टैक्नीशियन, स्टॉफ नर्स, मेडिकल हैंडलर, फर्माशिष्ट, वाड बॉय आदि को हेपेटाइटिस बी का टीका दिया जायेगा।

जिलों के ब्लड बैंक तथा एफआरयू केन्द्र पर ब्लड ट्रांसफ्यूजन के दौरान संभावित मरीजों को हेपेटाइटिस बी और सी की रैपिड किट से जांच की जायेगी तथा उपचार हेतु जिला के ट्रीटमेंट सेंटर में रेफर किया जायेगा।

कैम्पेन के क्रियान्वयन के लिए जिला आरसीएच पदाधिकारी जिले में कार्यरत जिला यक्ष्मा पदाधिकारी, जिला एड्स कंट्रोल पदाधिकारी, जिला एनसीडी पदाधिकारी, ब्लड बैंक प्रभारी तथा जेलों में प्रतिनियुक्त चिकित्सा पदाधिकारी से समन्वय कर हेपेटाइटिस बी और सी की स्क्रीनिंग करायेंगे।

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