पेसा एक्ट सदानों के लिए काला कानून: डॉ प्रदीप कुमार

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RANCHI : पेसा एक्ट झारखंड वासियों, मूलवासियों एवं सदानों के अस्तित्व को मिटाने की एक गहरी साजिश है।

झारखंड की सभी जातियों एवं धर्मावलंबियों को पेसा एक्ट के खिलाफ एकजुट होकर चरणबद्ध तरीके से जोरदार आंदोलन चलाया जाना चाहिए।

उक्त बातें अपने सदान विकास पार्टी युवा मोर्चा के अध्यक्ष डॉ प्रदीप कुमार ने कही।

डॉ प्रदीप कुमार ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि पेसा एक्ट राज्य में निवास करने वाले 70% सदानों, मूल वासियों के हक अधिकार एवं पद प्रतिष्ठा से वंचित करने वाला एक काला कानून है, राज के सभी जिलों में सदान बहुत संख्यक रूप से हैं।

आज राज्य में सभी पार्टियों के सांसद विधायक एवं मंत्रियों की मिली भगत से और आदिवासियों एवं मिशनरियों के नेताओं के नेतृत्व में 1996 में पास की गई पेसा कानून को लागू किए जाने की मांग की जा रही है।

और राज्य के सभी मंत्री सांसद विधायक एवं मुख्यमंत्री निजी स्वार्थ के लिए मूलवासियों एवं सभी धर्मावलंबियों के अधिकारों को लूटने में लगे हुए हैं।

आज इन्हीं सांसदों विधायकों एवं मंत्रियों की करतूत है कि राज्य में सारे एकल पदों को आरक्षित कर दिया गया है और ओबीसी आरक्षण लागू किए बिना पंचायत चुनाव कर दिया गया है।

और नगर निकाय चुनाव को करने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। इसके साथ ही झारखंड के खूंटी, लातेहार, गुमला, सिमडेगा, आदि सात जिलों में ओबीसी आरक्षण को शून्य कर दिया गया है।

डॉ प्रदीप कुमार ने आगे बताया की झारखंड में 70% सदान निवास करते हैं, आज असम में बहुत ही कम प्रतिशत में निवास करने वाले आदिवासियों की सरकार है।

सदान एवं मूल वासी झारखंड में अपनी सरकार बनाने की दिशा में पहल नहीं करते, वर्तमान में झारखंड में 20% भी आदिवासी नहीं बचे हैं, कुछ लोगों का यहां से पलायन हो गया है और अधिकांश लोगों ने ईसाई, मिशनरी धर्म अपना लिया है एक चिंतनीय विषय है।

डॉ प्रदीप कुमार ने यहां निवास करने वाले सभी सदानों, मूल बासियो के साथ ही सभी धर्मावलंबियों से यह आह्वान किया है की सभी लोग पूरी एक जुट के साथ अपनी चट्टानी एकता का

परिचय देते हुए जिले के सभी प्रखंडों में योजना बद्ध, एवं चरण बद्ध तरीके से जोरदार आंदोलन छेड़ते हुए सरकार की गलत नीतियों का पुरजोर विरोध करते हुए अपने हक एवं अधिकारों की लड़ाई में सदान विकास पार्टी का साथ दें।

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