खाट पर ढोए जा रहे मरीज, सरकार क्लिनिक का नाम बदलने में व्यस्त : प्रवीण प्रभाकर

अटल मोहल्ला क्लिनिक का नाम
बदलने पर आजसू पार्टी ने साधा निशाना
RANCHI: आजसू पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं झारखंड आंदोलनकारी प्रवीण प्रभाकर ने कहा है कि झारखंड में मरीज खाट पर ढोए जा रहे हैं और हेमंत सरकार स्वास्थ्य सेवा की बदहाली को नामकरण की राजनीति से ढंकने में जुटी है।
अटल मोहल्ला क्लिनिक का नाम बदलने पर झारखंड निर्माता अटल बिहारी वाजपेयी और नोबल पुरस्कार प्राप्त मदर टेरेसा दोनों महान हस्तियों का अपमान हुआ है।
श्री प्रभाकर ने कहा कि कांग्रेस–झामुमो झारखंड आंदोलन की सौदेबाजी करते रहे,
जबकि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने आजसू से वार्ता कर अलग राज्य का गठन किया और वनांचल की बजाय झारखंड नामकरण किया। उनका अपमान करना ठीक नहीं।
श्री प्रभाकर ने कहा कि विगत दिनों साहिबगंज में पहाड़िया जनजाति की युवती को खाट पर 10 किमी अस्पताल लाया गया,
जिसकी बेहतर इलाज के अभाव में मौत हो गई। एंबुलेंस नहीं मिलने पर खाट पर ही शव को वापस ले जाना पड़ा।
श्री प्रभाकर ने कहा कि क्लीनिक का नाम बदलने की बजाय राज्य सरकार स्वास्थ्य से संबंधित बुनियादी ढांचा विकसित करने और चिकित्सकों की नियुक्ति पर ध्यान दे तो राज्य की गरीब जनता का भला होगा।
उन्होंने कहा कि झारखंड में चिकित्सकों की पहले से ही भारी कमी है। वर्तमान में सरकारी चिकित्सकों के लगभग 55 प्रतिशत पद रिक्त हैं।
इसका असर स्वास्थ्य सेवा पर पड़ रहा है। झारखंड में सरकारी चिकित्सकों के 3,691 पद स्वीकृत हैं। इसमें से 2,028 पद खाली पड़े हैं।
उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार, हर 1000 नागरिकों पर एक डॉक्टर होना चाहिए, जबकि झारखंड में एक डॉक्टर पर करीब 3000 मरीजों का बोझ है।
रिम्स में ज्यादातर विभागाध्यक्ष सेवानिवृत हो चुके हैं, पर बहाली नहीं हो रही। सरकार का ध्यान सिर्फ निदेशक को हटाने पर है।
श्री प्रभाकर ने कहा कि हेमंत सरकार द्वारा संस्थानों एवं योजनाओं का नाम बदलने की प्रवृति महापुरुषों का अपमान है और यह लोकतंत्र के लिए घातक परंपरा की शुरुआत है।
उन्होंने कहा कि इसकी बजाय मदर टेरेसा के नाम पर कोई नई योजना शुरू कर उन्हें सम्मान दिया जाता तो बेहतर होता।